
best 11 govt school handover to private sector in alwar district
धर्मेन्द्र अदलक्खा. अलवर.
राज्य सरकार प्रदेश के 300 सरकारी माध्यमिक और सीनियर माध्यमिक विद्यालयों को पीपीपी मॉडल पर निजी क्षेत्र को सौंपने की तैयारी कर रही है। प्रथम चरण में अलवर जिले के 11 सरकारी स्कूलों को निजी क्षेत्र में सौंपे जाएंगे।
राज्य सरकार ने कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के 300 सरकारी माध्यमिक व सीनियर माध्यमिक विद्यालयों को पीपीपी मॉडल पर निजी क्षेत्र को सौंपने का निर्णय किया है। इस निर्णय से अलवर जिले का सरकारी शैक्षणिक ढांचा प्रभावित होगा। इससे पूर्व निजी क्षेत्र की अलवर जिले के सरकारी स्कूलों पर पहले से ही निगाहें थी।
बच्चे बढऩे की संभावना
राज्य सरकार की अलवर जिले के ११ सरकारी स्कूलों पर नजर है जिन्हें निजी क्ष्ेात्र को सौंपने की तैयारी चल रही है। शिक्षा विभाग ने एेसे करीब ११ स्कूलों को चिह्नित किया है। इनमें अलवर जिल के खैरथल, भिवाड़ी, खेरली, बहरोड़, बानसूर, तिजारा तहसील के स्कूलों को शामिल किया गया है। इन स्कूलों को निजी क्षेत्र में सौंपने के लिए इनमें होने वाले विकास कार्यों के लिए निजी क्षेत्र के कम्पनियो को इन्हें दिखाया जाएगा। निजी क्षेत्र की कम्पनी उन्हें स्कूलों को लेगी जिनकी बड़ी सम्पत्ति है ओर वहां बच्चों की संख्या बढऩे की सम्भावना है।
आंकी गई अरबों की सम्पत्ति
प्रदेश के शिक्षा विभाग ने दो वर्ष पूर्व ही अलवर जिले के दो सरकारी स्कूलों को निजी क्षेत्र में सौंपने की तैयारी की थी जिनमें खैरथल के सरकारी स्कूल की सम्पत्ति सार्वजनिक निर्माण विभाग ने ६० करोड़, ५८ लाख, १७ हजार व ४३ रुपए आंकी थी। इसी प्रकार भिवाड़ी के स्कूल की सम्पत्ति १ अरब, ६२ करोड़, ६० लाख, १३ हजार १२२ रुपए आंकी गई। इन स्कूलों में एक प्राइवेट कम्पनी ने विकास कार्य भी करवाए थे, लेकिन विरोध के चलते यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया। इसके लिए कम्पनी व सरकार के बीच अनुबंध तैयार होने वाला था जिसकी शर्त थी कि ४० प्रतिशत विधार्थियों को सरकार की ओर से निर्धारित फीस वसूली जाएगी लेकिन ६० प्रतिशत विधार्थियों से फीस कम्पनी स्वयं तय करेगी।
इधर, सरकार के इस कदम को लेकर सवाल उठ रहे हैं। एक तरफ खुद की पार्टी के ही नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर मुखरता से विरोध कर रही है। पार्टी का कहना है कि शिक्षा के बाजारीकरण और निजीकरण पर सवाल उठाने वालों ने ही निजीकरण कर दिया है। गअब देखना यह है कि सरकार की कवायद रंग लाती है या नहीं। हालांकि विद्यार्थी और अभिभावक असमंजस में हैं।
पहले भी 5 में से 2 स्कूल अलवर जिले में
सन् २०१५ में प्रदेश में पांच सरकाीर स्कूलों को पीपी मॉडल पर देने का निर्णय लिया था, जिनमें दो स्कूल अलवर जिले के थे। इन स्कूलों में खैरथल व भिवाड़ी का राजकीय सीनियर माध्यमिक विद्यालय हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश के चूरू जिले का बीदासर, जयपुर जिले के बगरू व झालावाड़ जिले का भवानी मंडी में स्कूल था।
सभी को कैसे उपलब्ध होगी शिक्षा
सभी बच्चों को सुलभ शिक्षा की बात कही जा रही है। एक तरफ तो शिक्षा में सुधार की बात की जा रही है। पहले फेज में तो ३०० स्कूलों को शामिल किया गया है इसका अर्थ यह है कि अगले फेज में स्कूलों की संख्या बढ़ जाएगी। यह सरकार का कदम अलोकतंत्रीय है। इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए।
मूलचंद गुर्जर, प्रदेशाध्यक्ष पंचायती राज शिक्षक व कर्मचारी संघ, अलवर
सरकार सरकारी स्कूलों के ढांचे को पूरी तरह समाप्त करने पर उतारू है। अब अरबों के सरकारी स्कूल निजी क्षेत्र में सौंप देंगे जिससे गरीबों को कैसे शिक्षा मिल पाएगी। सरकार का यह कदम सही नहीं है।
लालाराम सैनी, प्रदेश उपाध्यक्ष, शिक्षक संघ, अलवर
Published on:
07 Sept 2017 06:38 am
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