
करीब चार करोड़ रुपए की लागत से शहर के प्रतापबंध पर बायोडायवर्सिटी पार्क को जमीन पर उतारने में हजारों पेड़ तो काट दिए लेकिन, लगाया एक भी नहीं है। यही नहीं बायो डायवर्सिटी पार्क के कारण अवैध रूप से लकड़ी काटने वालों को खुला रास्ता मिल रहा है। जंगल में अंधाधुंध लकड़ी कटाई कर बायोडायवर्सिटी पार्क के बीचों बीच से लाई जा रही हैं। जबकि कुछ ही दूरी पर वन विभाग की चौकी है। बावजूद इसके कोई रोकने वाला नहीं है।
यही नहीं बायोडायवर्सिटी पार्क का विकास करने के लिए बड़ी संख्या में पेड़ कटे हैं। उनकी जगह नए व औषधीय पौधे भी लगाए जाने हैं। जिसके लिए यूआईटी ओर से वन विभाग को करीब 85 लाख रुपए दिए जाने हैं। अभी तक एक भी नया पेड़ नहीं लगा है।
धोक की लकड़ी ला रहे
बाला किला बफर जोन में धोक की लकड़ी की भरमार है। यह लकड़ी काफी महंगी व मजबूत मानी जाती है। हर दिन लोग इस एक ही रास्ते से लकड़ी काटकर ला रहे हैं। जिस जगह पर बायो डायवर्सिटी पार्क बन रहा है उसके आगे के क्षेत्र में भी अब लकडिय़ां काटी जाने लगी हैं।
मांच का तिराहा, आड़ा पाड़ा मंदिर
माच का तिराहा और आड़ा पाड़ा मंदिर की तरफ पहाड़ के नीचे से हरे पेड़ों को काटा जा रहा है। वनकर्मियों की चौकी के सामने से भी लकड़ी काटने वाले निकलते हैं। लेकिन इन दिनों को दोपहर के समय भी लकड़ी काटकर लाने वाले सामान्य तौर पर नजर आ जाते हैं।
पैंथर की हलचल भी यहां
इस समय तो यहां के आसपास के जंगल से लकड़ी काटने खतरे से कम नहीं है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आसपास के जंगल में कई पैंथर देखे गए हैं। इस समय भी करीब पांच से दस पैंथर इस क्षेत्र में घूमते रहते हैं। कभी भी कोई घटना हो सकती है।
सख्ती कराएंगे
लकड़ी काटे जाने पर पहले से सख्ती है। यदि फिर भी चोरी छुपे लकडि़यां काटी जा रही हैं तो और अधिक सख्ती कराकर आवश्यक कार्रवाई अविलम्ब करेंगे। पेड़ों को कटने नहीं दिया जाएगा। शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है।
जितेन्द्र, रेंजर, अलवर बफर जोन सरिस्का बाघ परियोजना।
Published on:
13 Jan 2018 03:32 pm
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