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Rajasthan Election 2023: नौकरशाहों की एन्ट्री से नेताओं के बिगड़ रहे समीकरण, जानिए कौन-कौन है टिकट की दौड़ में

Rajasthan Assembly Election 2023: कहते हैं नौकरशाह राजनीतिक मौसम का मिजाज भांपने में माहिर होते हैं। नौकरशाहों का जिस ओर रूख ज्यादा होता है, चुनावी सीजन में उसका पलड़ा भारी माना जाता है।

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अलवर

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Nupur Sharma

Sep 08, 2023

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क/अलवर। Rajasthan Assembly Election 2023: कहते हैं नौकरशाह राजनीतिक मौसम का मिजाज भांपने में माहिर होते हैं। नौकरशाहों का जिस ओर रूख ज्यादा होता है, चुनावी सीजन में उसका पलड़ा भारी माना जाता है। राजनीति के मिजाज भांपने में माहिर होने के कारण नौकरशाह सरकारी नौकरी की पारी पूरी करने या पहले ही नौकरी छोड़कर राजनीतिक दलों के द्वार खटखटाने लग जाते हैं। ऐसे नेताओं की इन दिनों अलवर जिला ही नहीं राज्यभर में भागदौड़ लगी है। अकेले अलवर जिले में ही इस बार आधा दर्जन से अधिक नौकरशाह भाजपा, कांग्रेस या अन्य दल का दामन थाम चुके हैं, तो कुछ अभी राजनीतिक मौसम का मिजाज जानने के लिए भागदौड़ और संपर्क में जुटे हैं। यही वजह है कि पांच साल तक पार्टी की सेवा करने वाले टिकट से वंचित रह जाते हैं और इन नौकरशाहों की लॉटरी लग जाती है।

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चुनावी लॉटरी लगने की उम्मीद में ही जिले में अभी तमाम आइएएस, आइपीएस, कॉलेज प्रोफेसर व प्रवक्ता, आरएएस, आरपीएस, डॉक्टर, कॉलेज संचालक समेत कई लोग कतार में लगे हैं। इनमें एक दिल्ली में आइपीएस की सेवा से एच्छिक सेवानिवृति लेकर, एक कलक्टर रह चुके सेवानिवृत आइएएस, प्रमुख शासन सचिव पद पर रहे एक आइएएस समेत कई सेवानिवृत अधिकारी शामिल हैं। कुछ ने तो पार्टियों के मुख्यालय पर वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ले ली है। हालांकि इन नेताओं ने चुनाव किस सीट से लड़ने के लिए दावेदारी कर रहे हैं, यह सार्वजनिक रूप से एलान तो नहीं किया, लेकिन इन नौकरशाहों की पार्टी में एन्ट्री ने दलों के टिकट की दौड़ में लगे नेताओं की नींद जरूर उड़ा दी है।

नौकरशाहों की कांग्रेस-भाजपा पहली पसंद
विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए नौकरशाहों की पहली पसंद भाजपा-कांग्रेस पार्टी ही है। हालांकि कुछ नौकरशाह इन दलों से टिकट नहीं मिलने पर बसपा, सपा व अन्य राजनीतिक दलों के दरवाजे भी खटखटाने से नहीं चूक रहे है।

पहले कई चख चुके राजनीति का स्वाद
चुनाव से पहले नौकरशाहों के राजनीतिक दलों में एन्ट्री करने की दौड़ इस बार ही नहीं, पिछले चुनावों से ही यह सिलसिला चला आ रहा है। अलवर में चिकित्सा पेशे से आए डॉ. करणसिंह यादव लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़े और कामयाब भी हुए। इसी तरह डॉ. आर सी यादव भी चिकित्सक से राजनीति में आए और बहरोड़ से कांग्रेस का टिकट लेने में सफल रहे। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र से भी कई राजनीति में आए और सफल रहे।

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अब जनसेवा का दावा
नौकरशाह रह चुके ज्यादातर वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि राजकीय सेवा में रहते लोकसेवा की। अब सेवानिवृत्त या अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद वे चुनाव लड़ कर जन सेवा करने के इच्छुक हैं।

11 सीट, भाजपा-कांग्रेस में 500 दावेदार
प्रदेश में विधानसभा चुनाव में करीब ढाई माह बचा है और अगले माह चुनाव आचार संहिता लग सकती है। राजनीतिक दलों के नेताओं के दौरे और यात्राएं शुरू हो चुकी हैं। वहीं टिकट वितरण को लेकर सभी दलों ने मशक्कत शुरू कर दी है। अलवर में 11 विधानसभा क्षेत्रों के लिए राज्य के प्रमुख दल भाजपा-कांग्रेस में ही करीब 500 लोग टिकट के लिए कतार में लगे हैं। अन्य दलों में भी इसी तरह टिकट के लिए मशक्कत चल रही है।