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Rajasthan Assembly Election 2023: M3-EVM मशीन से होंगे विधानसभा चुनाव, पलक झपकते ही आएंगे रिजल्ट

Rajasthan Assembly Election 2023: प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव एम-3 ईवीएम से होंगे। यह मशीन एम-2 की अपेक्षा काफी अपग्रेड है। पलक झपकते ही इसके परिणाम सामने होंगे।

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अलवर

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Akshita Deora

Apr 20, 2023

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अलवर. Rajasthan Assembly Election 2023: प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव एम-3 ईवीएम से होंगे। यह मशीन एम-2 की अपेक्षा काफी अपग्रेड है। पलक झपकते ही इसके परिणाम सामने होंगे। ऐसे में इस बार चुनाव के रिजल्ट जल्दी मिल सकेंगे। इस मशीन की कई खासियत हैं। इस मशीन के साथ यदि कोई भी छेड़छाड़ करेगा या फिर स्क्रू आदि खोलने की कोशिश करेगा तो यह मशीन बंद हो जाएगी। विधानसभा चुनाव के लिए यह अपग्रेड मशीनें बिहार से यहां भेजी जा रही हैं। दो हजार से ज्यादा मशीनें यहां आई हैं।

चुनाव नवंबर माह में करवाने की संभावनाएं हैं। ऐसे में चुनाव आयोग पूरी तैयारी में जुटा है। आए दिन अधिकारियों की वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग आदि हो रही हैं। वहीं ईवीएम मशीनें आदि भेजी जा रही हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक एम-2 ईवीएम की अपेक्षा एम-3 ईवीएम 30 सेकेंड पहले परिणाम देगी। इस तरह परिणाम के कुल समय में भी कमी आएगी और उम्मीदवारों व जनता को रिजल्ट भी जल्दी मिल सकेंगे। बेहतर फीचर इस मशीन में उपलब्ध हैं। टेंपर डिटेक्शन वाला फीचर प्रमुख है, जो छेड़छाड़ करने पर मशीन को बंद होने का संकेत देगा। यदि सॉफ्टवेयर में कोई दिक्कत भी आ जाती है तो वह डिस्प्ले पर पहले ही संदेश दे देगा।

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ये है एम-3 ईवीएम
अपडेट ईवीएम थर्ड जेनरेशन की ईवीएम है। इसी कारण इसका नाम एम-3 ईवीएम पड़ा। एम-3 ईवीएम की खासियत ये है कि इसके चिप को सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता है। इसको दोबारा लिखा भी नहीं जा सकता है। इस ईवीएम को इंटरनेट या किसी नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। मशीन में रियल टाइम क्लाॅक और डायनेमिक कोडिंग जैसी सुविधाएं हैं।

नहीं की जा सकती हैकिंग
ईवीएम-3 की हैकिंग या री-प्रोग्रामिंग नहीं की जा सकती है। खास बात यह है कि एम-3 में 24 बैलेट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी होगी। पहले सिर्फ चार यूनिट और 64 प्रत्याशियों की जानकारी ही रखी जा सकती थी। इस मशीन के कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट आपस में संवाद करने में सक्षम हैं। साथ ही बाहर से कोई कंट्रोल यूनिट या बैलट यूनिट लगाई जाएगी तो इसके डिजिटल सिग्नेचर मैच नहीं होंगे और सिस्टम काम करना बंद कर देगा। बताते हैं कि सबसे पहले एम-3 मशीन का प्रयोग हिमाचल के उपचुनाव में किया गया था, उसके बाद के चुनावों में इसी का प्रयोग हो रहा है।

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एम-3 ईवीएम यहां आई हैं। यह मशीनें एम-2 की अपेक्षा काफी अपग्रेड हैं। इस ईवीएम की कई खासियत हैं। इससे परिणाम आदि भी जल्दी आएंगे।
- उत्तम सिंह शेखावत, एडीएम प्रथम, अलवर।