
अलवर। दिल्ली की तर्ज पर अलवर के सटोरिए भी अलग से खुद का सट्टा कारोबार संचालित कर रहे हैं। जानकारों की माने तो सट्टे का नेटवर्क दिल्ली से शुरू होकर पूरे देश में फैला हुआ है। सट्टे का लकी नंबर भी सटोरियों को दिल्ली से ही मिलता है। वहीं, पिछले कुछ साल से अलवर शहर के कुछ बड़े सटोरियों ने मिलकर दिल्ली सट्टा की तर्ज पर महालक्ष्मी और दिल्ली दरबार के नाम से खुद का सट्टे का पूरा साम्राज्य खड़ा कर दिया। जहां दिल्ली नंबर के अलावा महालक्ष्मी और दिल्ली दरबार के नाम से हर दिन लाखों रुपए का सट्टा लगाया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार सटोरियों के सभी ठिकानों की पुलिस को पूरी जानकारी है। यही नहीं सटोरियों का नेटवर्क भी इतना मजबूत है कि कभी-कभार उच्च अधिकारियों के दबाव में पुलिस अथवा विशेष टीम की कार्रवाई होती भी है तो सटोरियों तक इसकी पहले से ही जानकारी पहुंच जाती है। इसके कारण सट्टे का यह खेल लगातार बढ़ता जा रहा है।
महालक्ष्मी और दिल्ली दरबार पर हर दिन सैकड़ों लोग लाखों रुपए का दाव खेलते हैं। इस दौरान सट्टा कारोबारी पूरा गणित लगाकर देखते हैं कि किस नंबर पर सबसे कम सट्टा लगाया गया है। इसके बाद उस नंबर पर सट्टा खोला जाता है, जिस पर सबसे कम दाव खेला गया हो। इससे सटोरियों की हर दिन मोटी कमाई हो रही है।
वहीं, महीने के आखिरी दिन सटोरिए अवकाश रखकर महीने भर की अपने अवैध कारोबार की काली कमाई का लेखा-जोखा तैयार करते हैं। इस दौरान सट्टे की काली कमाई का एक हिस्सा अपने आकाओं और मदगारों को दिया जाता है। साथ ही आगे की रणनीति भी तैयार की जाती है।
शहर के अशोका टॉकीज के समीप एक बड़ा सटोरिया और उसके साथी दिल्ली दरबार व महालक्ष्मी सट्टे के अंकों को खोलते हैं। यहीं से शहरभर में सट्टे की अनैतिक गतिविधियों का संचालन भी होता है। वहीं, बड़े सटोरियों के अधीन शहर में कई जगहों पर कमीशन पर एजेंट काम कर रहे हैं, जो अंकों पर लाखों रुपए का सट्टा लगवाकर बड़े सटोरियों के पास रुपए भिजवाते हैं। इस दौरान रुपयों के लेनदेन का खेल सुबह 10 से 12 बजे तक चलता है। इस बीच शहर के कई छोटे-बड़े सटोरिए यहां अपना लेनदेन करने के लिए आते रहते हैं।
Updated on:
13 Dec 2024 02:42 pm
Published on:
13 Dec 2024 02:39 pm
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