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राजस्थान सरकार ने रेवड़ियों की तरह बांट दिए कॉलेज, ना भवन मिला- ना स्टाफ, जर्जर भवन में बैठने को मजबूर बच्चे

locationअलवरPublished: Oct 18, 2020 01:29:23 pm

Submitted by:

Lubhavan

ये राजस्थान सरकार की ओर से शुरू किया गया कॉलेज, घोषणा तो कर दी गई लेकि अब भवन और फर्नीचर तक नहीं हैं।

Rajasthan Government Open Government Colleges Without Facilities

राजस्थान सरकार ने प्रदेश में रेवड़ियों की तरह बांट दिए कॉलेज, ना भवन मिला- ना स्टाफ, जर्जर भवन में बैठने को मजबूर बच्चे

अलवर. पिछले वर्षों में राज्य सरकार ने जिले के ज्यादातर उपखंड मुख्यालयों व क्षेत्राधिकार में सरकारी महाविद्यालय खोल दिए, लेकिन इनमें से कई कॉलेजों में अभी बैठने के लिए फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। हालत यह है कि बानसूर का कॉलेज अभी असुरक्षित व जर्जर स्कूल भवन में संचालित हैं। इतना ही नहीं इन महाविद्यालयों में न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही भौतिक संसाधन। इस कारण विद्यार्थियों में नई कॉलेज खुलने को लेकर क्रेज ही खत्म होने लगा है। अलवर जिले में इस समय 19 राजकीय महाविद्यालय हैं।
अलवर जिले में पिछले कुछ सालों में सरकारी महाविद्यालय रेवड़ी की तरह बांटे गए हैं। इनमें कुछ वर्ष पूर्व किशनगढ़बास, मुंडावर और बानसूर में महाविद्यालय खोले गए, वहीं इस वर्ष कठूमर, रामगढ़, बहरोड़ और मालाखेड़ा में महाविद्यालय खोले गए हैं।
बानसूर कालेज चल रहा जर्जर भवन में-

बानसूर में कॉलेज खुले 3 वर्ष हो गए हैं लेकिन अभी तक इसका भवन नहीं बना है। यह अभी एक पुराने स्कूल भवन में चल रहा है जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। इस महाविद्यालय को जो जमीन आवंटित हुई है, उस पर अतिक्रमण है। ऐसे में कॉलेज का भवन निर्माण में भी परेशानी आना तय है। यहां बैठने के लिए भामाशाहों के सहयोग से स्टूल व मेज खरीदे गए थे।
कृषि महाविद्यालय खोला, जमीन तो दीजिए-

किशनगढ़बास. किशनगढ़बास नगर पालिका के ग्राम बासकृपाल नगर में कृषि महाविद्यालय पुराने डिग्री कॉलेज के भवन में खोला गया है। कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. एसएस शेखावत नें बताया कि इस विद्यालय में 60 छात्रों के लिए सरकार की ओर से सीटें आवंटित की गई है। इसके प्रवेश जेट के माध्यम से होते हैं जिसका रिजल्ट आ गया है, जिसकी काउंसलिंग चल रही है । कृषि महाविद्यालय के लिए (30 हेक्टेयर) 130 बीघा भूमि भूमि की आवश्यकता है। इसके लिए समीपवर्ती ग्राम नंगलिया में सरकारी भूमि स्वीकृत की गई है। यहां पहले खुला डिग्री कॉलेज खैरथल में खोल दिया गया है।
इस साल भी खोल दिए कॉलेज, स्टाफ तक नहीं मिला-
इस साल रामगढ़, मालाखेड़ा व कठूमर मे महाविद्यालय खोले गए हैं, लेकिन इनमें अभी स्टाफ की व्यवस्था नहीं की गई है। इनमें अन्य महाविद्यालयों से नोडल प्रभारी बनाए गए हैं। रामगढ़ में इस सत्र में महाविद्यालय की बीए प्रथम वर्ष में 200 सीटों पर प्रवेश दिया गया है । महाविद्यालय के लिए कोई अलग भवन नहीं बना है, फिलहाल बालिका स्कूल के पुराने भवन में महाविद्यालय संचालन की अस्थाई व्यवस्था की गई है । महाविद्यालय के लिए भूमि की तलाश की जा रही है । मालाखेड़ा महाविद्यालय में भी अन्य नए महाविद्यालयों की तरह स्टॉफ की नियुक्ति नही हुई है । भवन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, जिसके लिए मालाखेड़ा के राजकीय विद्यालय में अस्थाई तौर पर महाविद्यालय संचालित किया जाएगा । कठूमर में भी खुले महाविद्यालय के पास न भवन है और न ही पर्याप्त स्टॉफ।
प्राइमरी स्कूल में कॉलेज चल रहा

मुण्डावर. मुण्डावर विधानसभा क्षेत्र का सरकारी महाविद्यालय स्वयं के भवन के अभाव में अभी प्राइमरी स्कूल के नकारा भवन में चल रहा है। इस कॉलेज में न तो पर्याप्त स्टॉफ है और न ही सुविधाएं हैं।
दो साल पहले मुण्डावर में सरकारी महाविद्यालय की स्वीकृती दी थी, जो करीब छह वर्ष पूर्व मर्ज होने के बाद प्राथमिक स्कूल के नकारा भवन में पिछले करीब दो वर्ष से चल रहा है, वहीं छात्र-छात्राओं के भविष्य को देखते हुए कस्बे के व्यापारियों व भामाशाहों की मदद से कॉलेज में बैठने के लिए कुर्सी-मेज व नि: शुल्क कपडा बैंक समिति की ओर से वाटर कूलर लगावाया गया। लेकिन कक्षा कक्षों के अभाव में कुर्सी मेज भी बंद कमरों में पड़े हुए हैं।

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