
राजस्थान में बढ़ा इतना अपराध, जेलों में कैदियों को रखने की जगह नहीं, गंभीर रोग के हो रहे शिकार
अलवर. प्रदेश के अन्य जिलों सहित अलवर में अपराध के ग्राफ में तेजी का परिणाम है कि जेलों में कैदियों को रखने की जगह नहीं बची। यही कारण है कि अलवर सहित प्रदेश भर की जेलों में वर्तमान में क्षमता से दोगुने से ज्यादा कैदी बंद होने से अनेक मानसिक रोग से ग्रस्त हो रहे हैं। अभी अलवर के केन्द्रीय कारागार में 5 एवं प्रदेश की जेलों में 290 कैदी मानसिक रोग से ग्रस्त हैं।
प्रदेश की 6 सेंट्रल जेल, 19 जिला कारागार एवं 31 उप कारागारों में क्षमता से ज्यादा कैदी बंद रखने की मजबूरी है। वर्तमान में प्रदेश के 6 केन्द्रीय कारागारों में 6087 क्षमता की तुलना में 11843 कैदी बंद हैं। कुछ ऐसे ही हाल जिला व उप कारागारों के हैं।
प्रदेश की जेलों में 290 मानसिक रोगी
प्रदेश की जेलों में मानसिक रोग से ग्रस्त 290 कैदी बंद हैं। इनमें अलवर केन्द्रीय कारागार में 7 मानसिक रोग से ग्रस्त रोगी बंद हैं। इसी तरह केन्द्रीय कारागार उदयपुर में 26, अजमेर में 22, कोटा में 14, भरतपुर में 84, जोधपुर में 27, बीकानेर में 23, जयपुर में 21 मानसिक रोगी बंद हैं। वहीं जिला जेल चित्तोड़गढ़ में 2, राजसमंद में एक, टोंक में 6, भीलवाड़ा में 2, बूंदी में 3, झालावाड़ में 4, धौलपुर में एक, बाड़मेर में 3, जयपुर 3, दौसा में एक मानसिक रोगी बंद है। उप कारागृह रतनगढ़ में एक, कोटपूतली में एक, नौहर में एक, बाली में दो, सांचोर में दो, रामगंज मंडी में एक मानसिक रोगी बंद है। वहीं विशिष्ट केन्द्रीय कारागार श्यालावास में मानसिक रोग से ग्रस्त 10 बंदी हैं।
12 महिला बंदी भी मानसिक रोग से ग्रस्त
विभिन्न अपराधों में जेल में बंद महिला बंदी भी मानसिक रोग से ग्रस्त हैं। इनमें महिला सुधार गृह अजमेर में एक, कोटा में एक, भरतपुर में 8, बीकानेर में एक, जयपुर में एक महिला बंदी मानसिक रोग से ग्रस्त है।
जेल में सामान्य की तरह मरीज-
जेल में मिलने वाले मानसिक रोगी भी उस तरह मिलते हैं जिस प्रकार सामान्य जीवन में मिलते हैं। हमारे देश में 13 प्रतिशत लोग मानसिक रोगी हैं जिनमें 3 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिनको इलाज की जरूरत होती है। इसके हिसाब से ही जेल में भी कुछ कैदी मानसिक रोगी हो जाते हैं।
-डॉ. ओ.पी. गुप्ता, मनोरोग चिकित्सक, अलवर।
Published on:
19 Mar 2022 05:44 pm
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