सरिस्का में महीने कई हजार वाहनों को प्रवेश दिया जाता है। इनमें सफारी पर जाने वाले वाहनों की संख्या कुछ सौ तक सीमित रहती है। जबकि धार्मिक पर्यटन पर जाने वाले पर्यटक वाहनों की संख्या कई हजार तक पहुंच जाती है। सरिस्का में प्रतिदिन अधिकतम 75 जिप्सियों व कैंटरों को प्रवेश दिया जा सकता है। शनिवार व रविवार को राजकीय अवकाश के दिन ही सरिस्का में पूरी संख्या में जिप्सियां जा पाती हैं, जबकि अन्य दिनों में सैर पर जाने वाली पर्यटक जिप्सियों की संख्या 10 से 20 के बीच ही रह पाती है। वहीं सप्ताह में शनिवार व मंगलवार को धार्मिक पर्यटन पर जाने वाले वाहनों की संख्या एक हजार तक पहुंच जाती है।
इस वर्ष चार हजार से ज्यादा वाहन धार्मिक पर्यटकों के सरिस्का में वर्ष 2020-21 में दिसम्बर माह तक 10 हजार 347 पर्यटक सैर करने पहुंचे, वहीं इस दौरान सरिस्का में धार्मिक पर्यटन पर जाने वाले वाहनों की संख्या 681 रही। यह स्थिति तो तब है जब कोरोना के चलते वर्ष 2020-21 में सरिस्का पार्क करीब चार महीने ही खुल पाया। वहीं धार्मिक पर्यटन को भी दो-तीन महीने ही मिल सके। लेकिन वर्ष 2019-20 में सरिस्का में सैर के लिए जाने वाले पर्यटकों की संख्या 44 हजार 828 रही। वहीं इस दौरान धार्मिक पर्यटन पर सात हजार से ज्यादा रही।
लाभ कम नुकसान ज्यादा धार्मिक पर्यटन से सरिस्का को वर्ष 2020-21 में 1 लाख 11 हजार 675 रुपए की आय हुई, जबकि सैलानियों के सैर करने से सरिस्का को 1 लाख 94 हजार 40 रुपए की आय हुई। वहीं वर्ष 2019-20 में धार्मिक पर्यटन से 8 लाख 73 हजार 255 रुपए की आय हुई। वहीं पर्यटकों के सैर करने से सरिस्का को एक करोड़ 54 लाख 57 हजार 775 रुपयों की आय हुई। जबकि धार्मिक पर्यटन पर जाने वाले वाहनों का शोर व धुएं से ध्वनि एवं वायु प्रदूषण आय से कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला रहा।
न इलेक्ट्रिक बस और न ही रोडवेज सरिस्का को प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार यहां धार्मिक पर्यटन के लिए इलेक्ट्रिक बस शुरू करने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने भी सरिस्का में प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की जरूरत बताई है। इसके बावजूद सरिस्का में अब तक इलेक्ट्रिक बसों का संचालन नहीं हो सका है। पूर्व में सरिस्का प्रशासन ने सरिस्का गेट से पाण्डुपोल तक रोडवेज बसों का संचालन शुरू किया और यात्रियों का किराया भी न्यूनतम रखा, लेकिन यह व्यवस्था ज्यादा दिन नहीं चल पाई।