21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

135 साल में भी नहीं बदला रामलीला का स्वरूप, आज भी दिन में होता है मंचन

1889 में साधु की देखरेख में हुई थी शुरुआत, दो घोड़ों की बग्घी में आता है रावण, अहिरावण कोटकासिम. खैरथल-भिवाड़ी जिले के कोटकासिम के रामलीला मैदान में आज भी दिन में होने वाली रामलीला अपनी सादगी के लिए मशहूर है। एक तरफ जहां रामलीला में आधुनिकता और तकनीकी का इस्तेमाल कर उसे हाईटेक बना दिया […]

2 min read
Google source verification

अलवर

image

mohit bawaliya

Oct 01, 2024

alwar patrika

1889 में साधु की देखरेख में हुई थी शुरुआत, दो घोड़ों की बग्घी में आता है रावण, अहिरावण

कोटकासिम. खैरथल-भिवाड़ी जिले के कोटकासिम के रामलीला मैदान में आज भी दिन में होने वाली रामलीला अपनी सादगी के लिए मशहूर है। एक तरफ जहां रामलीला में आधुनिकता और तकनीकी का इस्तेमाल कर उसे हाईटेक बना दिया गया है। वहीं दिन वाली रामलीला आज भी उसी तरह से होती है, जैसे 135 साल पहले होती थी। तकनीक के नाम पर इस रामलीला में सिर्फ लाउड स्पीकर का इस्तेमाल किया जाता है। पूरी तरह से सादगी के साथ होने वाली इस रामलीला की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई है। पात्रों के जीवंत मंचन देख दर्शक भाव-विभोर हो जाते है। श्रीरामलीला कमेटी कोटकासिम के पदाधिकारियों ने बताया के वर्ष 1889 में एक साधु ने रामलीला की शुरुआत की। इस रामलीला को देखने 84 गांवों के लोग आते है। राम-रावण का युद्ध बहुत प्रसिद्ध हैं। तलवार बाजी, लाठी, पट्टाबाजी अनेकों युद्ध कला रामलीला की भव्यता को दर्शाता हैं। राम दरबार और रावण का दरबार अलग-अलग बनता है। पंचवटी का ²श्य देखने योग्य होता हैं। रामलीला के दौरान यहां दशहरे तक मेले का माहौल रहता है। इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन लोगों से मिले चंदे से कराया जाता है।


दर्शकों का मन मोह लेता है कलाकार : पात्र को रामायण के छंद, चौपाई की अच्छी जानकारी है। इससे रामलीला मंचन के दौरान पात्र छंदों और चौपायों का उपयोग कर मंचन को जीवंत बना देते हैं। पात्रों की ओर से प्रस्तुत करुण, वीर, हास्य और शृंगार रस प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लेते हैं। दो घोड़ों की बग्घी में आते हैं रावण, मेघनाथ आदि।

खुर्शीद निभाते है विशेष भूमिका: रामलीला में अधिवक्ता खुर्शीद खान विशेष भूमिका निभाते है। जो पिछले लंबे समय से नियमित अभिनय करते आ रहे है। खुर्शीद का कहना है कि रामलीला में काम शुरू किया तब कई तरह की बातें सामने आई लेकिन उनकी नहीं सुनकर वह प्रतिवर्ष रामलीला में भाग लेते है। रामलीला में रावण का पुतला व सोने की लंका बनाने वाले कलाकार भी अधिकतर मुस्लिम है।


खुले में होता है राम-रावण का युद्ध : रामलीला मैदान पर आयोजित होने वाली रामलीला में किसी तरह का मैच तैयार नहीं किया जाता बल्कि पूरी रामलीला खुले मैदान पर ही होती है।

100 से ज्यादा कलाकार: रामलीला में 100 से ज्यादा कलाकार है। जिनमें अधिकतर कलाकार राज्य कर्मचारी है। जो नौकरी के अलावा समय निकालकर अपना समय रामलीला को देते है। इनमें शिक्षक, पटवारी, चिकित्सक, व्यापारी, वकील आदि शामिल है।

कई वर्षों से रामलीला मंचन में खुर्शीद अहमद खान मुख्य पात्र की भूमिका निभा रहे हैं। इससे अच्छा सौहार्द व भाइचारे का प्रतीक क्या हो सकता हैं। रामलीला मंचन में ये अपने आप में एक अच्छी मिशाल हैं। -नरेंद्र सोनी, अध्यक्ष रामलीला कमेटी

रामलीला में वास्तविक अस्त्र-शस्त्र से युद्ध कला का संचालन होता रहा हैं। जिसमें तीर, नंगी तलवारें, भाले, बरछी, लाठी, आग लगी बनेठी से खुले मैदान में युद्ध होता हैं। - चतुर्भुज शर्मा, निर्देशक रामलीला कमेटी