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शहर के विकास की रफ्तार धीमी, सरकार ने मास्टर प्लान 2051 तक बढ़ाया

अलवर. शहर के विकास की जिम्मेदारी नगर विकास न्यास (यूआईटी) की है लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है। शहर में समुचित विकास नहीं हो पाया। यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने मास्टर प्लान 2031 को बढ़ाकर वर्ष 2051 तक कर दिया गया। इससे यूआईटी को राहत मिली है। वर्ष 2031 तक जो काम पूरा करना था अब वर्ष 2051 तक कर सकेंगे। जानकार इस धीमी गति के विकास को सही नहीं मान रहे हैं। क्योंकि शहरों की रफ्तार दौड़ रही है पर यहां रेंग रही है।

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अलवर

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susheel kumar

Mar 26, 2023

शहर के विकास की रफ्तार धीमी, सरकार ने मास्टर प्लान 2051 तक बढ़ाया

शहर के विकास की रफ्तार धीमी, सरकार ने मास्टर प्लान 2051 तक बढ़ाया

अलवर. शहर के विकास की जिम्मेदारी नगर विकास न्यास (यूआईटी) की है लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है। शहर में समुचित विकास नहीं हो पाया। यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने मास्टर प्लान 2031 को बढ़ाकर वर्ष 2051 तक कर दिया गया। इससे यूआईटी को राहत मिली है। वर्ष 2031 तक जो काम पूरा करना था अब वर्ष 2051 तक कर सकेंगे। जानकार इस धीमी गति के विकास को सही नहीं मान रहे हैं। क्योंकि शहरों की रफ्तार दौड़ रही है पर यहां रेंग रही है।


ये बना था मास्टर प्लान
वर्ष 2012-13 में नगर नियोजक विभाग की ओर से मास्टर प्लान 2031 तैयार किया गया था। पुराना शहर योजना क्षेत्र में सड़कें, नाले, नक्शायुक्त आवास, सामुदायिक केंद्र, कॉम्प्लेक्स आदि बनाने की योजना थी। इसी तरह मोती डूंगरी योजना क्षेत्र के विकास के लिए भी खाका तैयार किया गया था। इस क्षेत्र में यूआईटी की ओर से कुछ कार्य जरूर करवाया गया लेकिन क्षेत्र विस्तार नहीं हो पाया। तिजारा रोड योजना क्षेत्र में आबादी बस नहीं पाई। इस क्षेत्र में कॉलोनाइजर्स का दबदबा है। बताते हैं कि इस क्षेत्र में यूआईटी अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं को लांच नहीं कर रहा। इससे बिल्डर्स आदि को भी नुकसान होगा। उत्तर पूर्व योजना क्षेत्र, पेरिफेरल पट्टी योजना क्षेत्र के विकास पर भी काम नहीं हो पाया। इसके अलावा बाईपास के दोनों ओर ग्रीन क्षेत्र विकसित नहीं हो पाया।


किशनगढ़ मार्ग पर औद्योगिक क्षेत्र नहीं बना
वर्ष 2011 तक किशनगढ़ क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र बनाया जाना प्रस्तावित था जो नहीं बन पाया। इसी तरह आवासीय भूमि का लक्ष्य 2240 हेक्टेयर रखा गया जिसकी पूर्ति 1858 तक ही हो पाई। विकसित आवासीय क्षेत्र का प्रतिशत 1858 ही है। भूमि विकसित क्षेत्र का लक्ष्य पांच हजार हेक्टेयर का रखा गया था जो कि 4070 तक ही हो पाया। कच्ची बस्ती 42 थी जिनका समुचित विकास नहीं हो पाया। वर्ष 2011 में शहरी क्षेत्र में 86 गांव शामिल किए गए थे। इन गांवों का बुनियादी विकास नहीं हो पाया। यूआईटी सूर्य नगर, वैशाली नगर, अंबेडकर नगर कॉलोनी आदि ही बसा पाई।

शहर बढ़ रहा पर नियमों की उड़ रहीं धज्जियां
जानकारों का कहना है कि शहर का विस्तार कुछ होने लगा है लेकिन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। मास्टर प्लान के मुताबिक जहां पर ग्रीनबेल्ट बननी हैं वहां पर काम नहीं हो पाया। भवनों के नक्शे पास होने चाहिए लेकिन तमाम भवन बिना नक्शों के बने रहे हैं। कॉलोनाइजर्स की ओर से जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। यदि यूआईटी अपनी योजनाएं धरातल पर लाएगी तभी विकास हो पाएगा।

मास्टर प्लान में पहले ही विकास का एरिया काफी ले लिया गया था, ऐसे में नए एरिया की जरूरत नहीं थी। अब विकास की रफ्तार बढ़ रही है। समय पर लक्ष्य पूरे किए जाएंगे।

- अशोक कुमार योगी, सचिव यूआईटी