
अलवर. तीन माह के कार्य को केवल दो दिन में पूरा दर्शा लाखों रुपए का भुगतान करना सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों को महंगा पड़ गया है। अधीक्षण अभियंता की जांच में गड़बड़ी उजागर होने के बाद विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता ने मामले की रिपोर्ट मुख्य अभियंता को भेजी है।
उन्होंने अधीक्षण अभियंता को मामले के दोषी अधिकारियों के खिलाफ दस दिवस में आरोप पत्र प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने गोविन्दगढ़ में स्टेट हाईवे पर पेच मरम्मत का कागजों में ही करा डाला। उन्होंने तीन माह का कार्य केवल दो दिन में ही पूरा दर्शा उसकी फर्जी माप करा संवेदक को लाखों रुपए का भुगतान भी कर दिया।
मामले का खुलासा सहायक अभियंता के चार्ज हस्तांतरण के दौरान एमबी (मेजरमेंट बुक) के अवलोकन पर हुआ। इसके बाद अधिशासी अभियंता खण्ड द्वितीय से मामले की जांच कराई गई, जिसमें उक्त कार्य मौके पर होना नहीं पाया गया। मामले को अतिरिक्त मुख्य अभियंता ने गंभीरता से लेते हुए अधीक्षण अभियंता को मामले की जांच सौंपी, जिसमें गड़बड़ी प्रमाणित हो गई।
माना करीब तीन लाख का अधिक भुगतान
अधीक्षण अभियंता ने मामले की जांच में मौके पर निष्पादित कार्य से 2 लाख 97 हजार457 रुपए का अधिक भुगतान होना पाया। इसकी रिपोर्ट उन्होंने अतिरिक्त मुख्य अभियंता को भी भेजी। जांच में सामने आया कि पेचकार्य से पूर्व सडक़ की वीडियोग्राफी भी नहीं कराई गई, जबकि विभाग के स्पष्ट आदेशानुसार कार्य से पूर्व वीडियोग्राफी जरूरी थी।
कलई खुली तो कराया कुछ काम
मामले का खुलासा होने पर सानिवि अधिकारियों ने आनन-फानन में इस मार्ग पर पेचवर्क कार्य कराना शुरू कर दिया। इसी का परिणाम दोनों जांच रिपोर्ट में सामने आया। अधिशासी अभियंता खण्ड द्वितीय की जांच में मौके पर कार्य का नहीं होना एवं करीब 6 लाख रुपए की गड़बड़ी सामने आई। इसके बाद अधिकारियों ने आनन-फानन में मौके पर कुछ काम कराने से अधीक्षण अभियंता की जांच में यह गड़बड़ी घटकर करीब तीन लाख की रह गई।
एमबी में जोड़ी करीब 6 लाख की दो एंट्रिया
इस सडक़ मार्ग पर पेचवर्क में विभाग ने अधिकारियों ने एमबी में कांटछांट कर गड़बड़ी की। दरअसल, विभाग के कनिष्ठ अभियंता ने मिट्टी डलने के बाद माप कर 4 लाख 83 हजार 794 रुपए का प्रथम रनिंग बिल प्रस्तुत किया। जिस पर सहायक अभियंता ने हस्ताक्षर कर उसे भुगतान के लिए खण्ड कार्यालय भेजा।
यहां अधिकारियों ने मिलीभगत कर एमबी में 6 लाख 2 हजार 212 तथा 1 लाख 11 हजार 221 रुपए की दो एंट्रियां जोड़ बिल को करीब 11 लाख का बना दिया। बाद में करीब 27 प्रतिशत टीपी काट संवेदक को 10 लाख 3 हजार 606 रुपए का भुगतान कर दिया।
Published on:
17 Dec 2017 03:53 pm
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