scriptअनोखा रिश्ता: कोख से नहीं जन्में…मगर मां से ज्यादा प्यार | Patrika News
अलवर

अनोखा रिश्ता: कोख से नहीं जन्में…मगर मां से ज्यादा प्यार

इस शब्द में पूरा संसार समाया हुआ है। मां का कोई विकल्प भी नहीं हो सकता, लेकिन कुछ माताएं ऐसी है, जो अपने बच्चों से ज्यादा दूसरों के बच्चों पर ममता लुटाकर उन्हें जीवनदान दे रही हैं। हम बात कर रहे हैं राजकीय गीतानंद शिशु चिकित्सालय के फेसिलिटी बेस्ड न्यू बोर्न केयर (एफबीएनसी ) वार्ड में कार्यरत फीमेल स्टाफ की।

अलवरMay 12, 2024 / 06:47 pm

Pradeep

मदर्स डे पर विशेष : मां की तरह बच्चों की देखभाल कर रहा शिशु अस्पताल का फीमेल स्टाफ
अलवर. मां…इस शब्द में पूरा संसार समाया हुआ है। मां का कोई विकल्प भी नहीं हो सकता, लेकिन कुछ माताएं ऐसी है, जो अपने बच्चों से ज्यादा दूसरों के बच्चों पर ममता लुटाकर उन्हें जीवनदान दे रही हैं। हम बात कर रहे हैं राजकीय गीतानंद शिशु चिकित्सालय के फेसिलिटी बेस्ड न्यू बोर्न केयर (एफबीएनसी ) वार्ड में कार्यरत फीमेल स्टाफ की।
इस वार्ड में 28 दिन तक के कमजोर या किसी बीमारी से ग्रसित बच्चों को वार्मर में रखा जाता है। इन बच्चों को जन्म देने वाली मां को भी इस वार्ड में एंट्री नहीं मिलती, ऐसे में यहां कार्यरत फीमेल स्टाफ ही इन बच्चों की देखभाल करती हैं। दिनरात बच्चों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाली इन माताओं का समर्पण किसी से कम नहीं है। यही वजह है जब बच्चा स्वस्थ होकर इस वार्ड से बाहर आता है तो उनकी असली मां भी यही कहती है कि बच्चा भले ही मेरी कोख से जन्मा हो, मगर जीवनदान आपने दिया है।
जिले के बाहर से भी आते हैं मरीज
एफबीएनसी वार्ड में 20 वार्मर मशीन लगी है। यहां गंभीरावस्था में शिशुओं को भर्ती कर उनकी देखरेख की जाती है। स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार होने पर नवजात को इसी वार्ड की 20 बेड की दूसरी इकाई में शिफ्ट कर दिया जाता है। अस्पताल का यह वार्ड हमेशा शिशुओं से भरा रहता है। कई बार तो स्थिति यह होती है कि एक वार्मर पर दो-दो शिशुओं को भर्ती करना पड़ता है। यहां अलवर जिले के अलावा अन्य जगहों से भी मरीज आते हैं।
यह स्टाफ पेश कर रहा मिसाल
वार्ड प्रभारी सुनीता मीणा, संतोष यादव, पूजा नकड़ा, स्नेहलता, अनिता यादव, कृपा देवी, ज्योति शर्मा, पद्मनी जैन, बीना कुमावत, सुमन यादव, संगीता शर्मा, निर्मला शर्मा, लक्ष्मी शर्मा नवजात शिशुओं की मां बनकर पूरी जिम्मेदारी निभा रही हैं। यहां कार्यरत प्रीति भी वार्ड को स्वच्छ रखकर बच्चों को जल्द ठीक होने में मदद कर रही है। कोरोना काल के दौरान भी इन सभी ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया। यहां कई पुरुष स्टाफ भी पूरी मेहनत के साथ काम कर रहा है।
बच्चों ने कही दिल की बात – मां तुम जैसा कोई नहीं
मदर्स डे के अवसर पर ओसवाल स्कूल में राजस्थान पत्रिका की ओर से होप चेरिटेबल संस्था की ओर से आयोजित योगा कैंप में बच्चों के साथ टॉक शो का आयोजन किया गया। इसमें बच्चों ने मां से जुड़ी बातें शेयर की।
बालिका गार्गी ने कहा कि मेरी मां हर मुश्किल वक्त में मेरा साथ देती है, मेरी मां सबसे प्यारी है। व्योम व व्योमिका ने कहा कि जब पिता हम पर नाराज होते हैं तो मां ही है जो हमको प्यार करती है। मां हमारी हर जरूरत का ख्याल रखती है। सक्षम का कहना था कि मां के होने से हमें किसी कमी का अहसास ही नहीं होता। मां जब पास होती है तो हमारी हिम्मत और बढ़ जाती है। दीशी ने कहा कि मेरी मां मेरी बहुत परवाह करती है। अनुज ने कहा कि मां हर समय हमारा हौसला बढ़ाती है। भूमिका ने कहा कि मां जब डांटती है तो कुछ ही देर बाद प्यार भी करती है वो बच्चों को परेशान होते नहीं देख सकती। मनस्वी शांडिल्य ने कहा कि मेरी मां सबसे अलग और सबसे अच्छी है। गलती पर डांट लगाती है और कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करती है। बालिका वंशिका ने कहा कि मां जब घर पर नहीं होती है तो उनकी कमी का हर पल खलती है तब पता चलता है कि मां क्या होती है। कार्यक्रम के दौरान योगा ट्रेनर लक्ष्मी गुप्ता ने योग के फायदे भी बताए।

Hindi News/ Alwar / अनोखा रिश्ता: कोख से नहीं जन्में…मगर मां से ज्यादा प्यार

ट्रेंडिंग वीडियो