scriptकभी नालियों में से मैला ढोती थी ऊषा चौमर, अब राष्ट्रपति के हाथों मिलेगा देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री | Usha Chaumar Of Alwar Will Get Padam Shri Award 2020 | Patrika News
अलवर

कभी नालियों में से मैला ढोती थी ऊषा चौमर, अब राष्ट्रपति के हाथों मिलेगा देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री

Usha Chaumar Padm Shri Award: अलवर की ऊषा चौमर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

अलवरJan 26, 2020 / 01:02 pm

Lubhavan

Usha Chaumar Of Alwar Will Get Padam Shri Award 2020

कभी नालियों में से मैला ढोती थी ऊषा चौमर, अब राष्ट्रपति के हाथों मिलेगा देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री

अलवर. Usha Chaumar Padm Shri Award : कभी नालियों और गंदगी में से मैला ढोने वाली ( Usha Chaumar ) ऊषा चौमर को देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ( Padm Shri Award ) पद्मश्री मिलेगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ऊषा चौमर को सम्मानित करेंगे। अलवर शहर के हजूरी गेट निवासी ऊषा चौमर का चयन पद्मश्री अवार्ड के लिए किया गया है। पद्मश्री के लिए उनका चयन स्वच्छता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए किया गया है। कभी अलवर की ऊषा चौमर को परिवार चलाने के लिए मैला ढोने पर मजबूर होना पड़ा। एक संस्थान की मदद से उनका जीवन बदल गया। अब वे न केवल आत्मनिर्भर होकर दूसरों के लिए नजीर पेश कर रही है, बल्कि लाखों महिलाओं की आवाज बन चुकी हैं।
10 साल की उम्र में हो गई थी ऊषा की शादी

ऊषा चौमर का विवाह 10 साल की उम्र में हुआ था। मैला ढोने के कारण उन्हें अछूत के तौर पर देखा जाता था। ऊषा की जिंदगी में यह बदलाव तब आया जब वे वर्ष 2003 में सुलभ इंटरनेशनल संस्था से जुड़ीं। सुलभ इंटरनेशनल से जुड़कर उन्होंने न केवल मैला ढोने के कार्य का विरोध उसे छोड़ा, बल्कि लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित भी किया। उन्हें ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (बीएएसएएस) के सालाना सम्मेलन में स्वच्छता और भारत में महिला अधिकार विषय पर संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
करीब 17 सालों से महिलाओं को कर रही जागरुक

सुलभ इंटरनेशनल संस्था से जुड़कर वे करीब 17 सालों से मैला ढोने के कार्य का विरोध कर महिलाओं को जागरुक करने के प्रयास में जुटी हैं। चौमर को पूर्व में भी कई पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। वे वाराणासी में अस्सी घाट की सफाई कार्य में शामिल हुई। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में पुरस्कृत किया। वहीं 2017 में चौमर ने वेद मंत्रों का पाठ करना सीखा। वे इलाहबाद, उज्जैन भी जा चुकी हैं। इसके अलावा अमरीका, पेरिस, दक्षिण अफ्रीका, लंदन भी जा चुकी हैं।
सुलभ इंटरनेशनल संस्था की ओर से मैला ढोने वाली महिलाओं को पूर्व में सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करा सामूहिक आरती कराई गई। बाद में उनकी बस्ती में सामूहिक भोज का आयोजन भी किया गया। उन्हें कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम में स्पेशल गेस्ट के रूप में आमंत्रित किया गया था। उनके दो पुत्र व एक पुत्री है।
अवार्ड की बात सुनी तो विश्वास ही नहीं हुआ

ऊषा चौमर ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि उन्होंने पद्मश्री अवार्ड मिलने के बारे में सपने में भी नहीं सोचा था। शनिवार सुबह जब सुलभ इंटरनेशनल से आए फोन पर उन्हें पद्मश्री अवार्ड के लिए चयनित करने की बात बताई तो एक बार तो विश्वास नहीं हुआ। लेकिन बाद में अवार्ड की बात सुनकर मन को बहुत खुशी हुई। कोई भी नहीं करे मैला ढोने का कार्य पद्मश्री अवार्ड की घोषणा के बाद ऊषा चौमर ने कहा कि मैला ढोने का कार्य लोगों के बीच भेदभाव बढ़ाता है। इसलिए किसी को भी यह कार्य नहीं करना चाहिए। उन्होंने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि मैला ढोने जैसे कार्यों को करने के बजाय वे स्वयं के पैरों पर खड़ी हों। उन्होंने कहा कि मन में ठान लें तो कोई भी सफलता दूर नहीं होती।
पद्मश्री अवार्ड से अलवर जिले का गौरव बढ़ा

अलवर की ऊषा चौमर को पद्मश्री अवार्ड मिलने से पूरे अलवर जिले का गौरव बढ़ा है। वे मैला ढोने का कार्य छोड़ न केवल अपने पैरों पर खड़ी हुईं, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी उन्होंने नजीर पेश की है। उन्हें पद्मश्री मिलने की जानकारी लगने पर खुशी हुई। इंद्रजीत सिंह जिला कलक्टर अलवर

Home / Alwar / कभी नालियों में से मैला ढोती थी ऊषा चौमर, अब राष्ट्रपति के हाथों मिलेगा देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो