18 साल की उम्र में बने साधु
चांदनाथ 18 वर्ष की उम्र में साधु बन हठ योग को प्रोत्साहित करने लगे। उन्होंने विद्याम् जन सेवानाम् के लक्ष्य के साथ ५० से अधिक व्यावसायिक पाठयक्रमों के साथ निजी विश्वविद्यालय की शुरुआत की। चांदनाथ ने हिस्ट्री ऑफ मठ अस्थल बोहड़, बाबा मस्तनाथ चरित, मस्तनाथ चालीसा, गुरु महिमा, भारत का गौरव, यात्रा के मोती व मस्तनाथ वाणी का प्रकाशन किया। उन्होंने रेसलिंग को प्रोत्साहन देने के साथ यूके की विदेश यात्रा भी की।
80 के दशक से अलवर आते रहे नीमराणा स्थित बाबा मस्तनाथ आश्रम जोशिहेड़ा स्थित खेतानाथ मंदिर के संत जीतनाथ बाबा ने बताते हैं कि महंत चांदनाथ योगी यंू तो 80 के दशक से आते रहे हैं, लेकिन मुख्य रूप से उनका आगमन 28 दिसम्बर 1990 से रहा, जब बाबा खेतानाथ का देवलोक गमन हुआ। उसके बाद महंत चांदनाथ बाबा खेतानाथ की हर पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि देने आते रहे। उन्होंने इस क्षेत्र को भी कर्म भूमि बनाते हुए अलवर से लोकसभा चुनाव लड़ा और फिर बहरोड़ से विधानसभा उप चुनाव लड़ विधायक चुने गए। विधायक बने तो बाबा खेतानाथ आश्रम पर ही मुख्य कार्यलय बनाकर लोकसभा चुनाव लड़ा जीते। वहीं राजनीतिक गतिविधियां वे अलवर की हीरानाथ बगीची से चलाते रहे। चांदनाथ का मतदान केंद्र भी बाबा खेतानाथ मंदिर के नजदीक गांव सिलारपुर में था, जबकि गांव दौलतसिंहपुरा के वे वोटर हैं।
राजनीति में नफा-नुकसान बराबर महंत चांदनाथ का राजनीतिक सफर भी नफा-नुकसान की दृष्टि से बराबर रहा। वे वर्ष 2004-2008 तक बारहवीं विधानसभा के सदस्य रहे तथा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में अलवर से सांसद चुने गए। वहीं चांदनाथ वर्ष 2004 में लोकसभा एवं इससे पहले नारनौल से निर्दलीय चुनाव हारे ।
सामाजिक गतिविधियों में रहे आगे संस्कृति भाषा में प्रज्ञा विशारद, शास्त्रीय व आचार्य कोर्सेज को उन्नत करने में भूमिका निभाई। भारतीय कला एवं संस्कृति की रक्षार्थ अनेक मंदिरों का निर्माण कराया। रोहतक व
हनुमानगढ़ में चेरिटेबल हॉस्पिटल का संचालन कराया। इसके अलावा नेत्रदान, कन्या भू्रण हत्या पर रोक, नशा छुड़वाने, रक्तदान सहित अन्य सामाजिक कार्य भी किए।
अलवर सीट अहीरवाल, नजर दिग्गजों की भी
अलवर लोकसभा सीट पर अहीरवाल के दिग्गजों की भी नजर है। माना जा रहा है कि हरियाणा के दिग्गज भी यहां से अपनी बेटी को राजनीति में लाना चाहते हैं। अलवर में हरियाणा के दिग्गज का खासा प्रभाव है। इनकी बुआ भी अलवर से चुनाव लड़ चुकी हैं। अलवर जिले को अहीर बहुल माना जाता है। इसलिए अहीरवाल की राजनीति भी करवट ले सकती है। इसके अलावा भाजपा के कई प्रभावी यादवी नेता की नजर यहां टिकी है।