अलवर. नए जिले खैरतल-तिजारा व कोटपूतली-बहरोड़ में विरासती हथियारों की संख्या सर्वाधिक है। जिला प्रशासन की ओर से यहां से इसका रेकॉर्ड नए जिलों को भेज दिया गया है। करीब 700 फाइलें नए जिलों को भेजी गई हैं। ये वे फाइलें हैं जिनके उत्तराधिकारियों ने लाइसेंस ट्रांसफर के लिए यहां आवेदन किए थे। दो साल तक ये फाइलें ऐसे ही धूल फांकती रही। अब नए जिलों के कलक्टर इन फाइलों पर मुहर लगाएंगे।
नए जिलों में विरासती हथियार ज्यादा, उत्तराधिकारी के नाम लाइसेंस ट्रांसफर की जमा 700 फाइलें भेजीं
- खैरतल-तिजारा जिले में गई हैं करीब 500 फाइलें, करीब 185 फाइलें कोटपूतली-बहरोड़ जिले की
- अलवर जिले में ऐसी फाइलें महज 15 ही बचीं, अब लोगों को लाइसेंस ट्रांसफर की उम्मीद जगी
अलवर. नए जिले खैरतल-तिजारा व कोटपूतली-बहरोड़ में विरासती हथियारों की संख्या सर्वाधिक है। जिला प्रशासन की ओर से यहां से इसका रेकॉर्ड नए जिलों को भेज दिया गया है। करीब 700 फाइलें नए जिलों को भेजी गई हैं। ये वे फाइलें हैं जिनके उत्तराधिकारियों ने लाइसेंस ट्रांसफर के लिए यहां आवेदन किए थे। दो साल तक ये फाइलें ऐसे ही धूल फांकती रही। अब नए जिलों के कलक्टर इन फाइलों पर मुहर लगाएंगे। अलवर जिले के पास ऐसी करीब 15 ही फाइलें बची हैं। लोगों को उम्मीद जगी है कि अब लाइसेंस उनके नाम हो सकते हैं।
इस तरह भेजी गई हैं शस्त्र फाइलें
नए जिलों में धीरे-धीरे रेकॉर्ड भेजा जा रहा है। उसी में न्याय शाखा का भी रेकॉर्ड शामिल है। ये रेकॉर्ड महत्वपूर्ण है जो अब भेजा गया है। बताते हैं कि जिले में हथियारों की संख्या हजारों में है। इसी में विरासती हथियार करीब तीन हजार के आसपास हैं। इनमें करीब 700 लोगों ने अपने नाम लाइसेंस कराने के लिए दो साल पहले जिला प्रशासन में आवेदन किए थे। ये फाइलें धूल फांकती रही लेकिन किसी भी कलक्टर ने पास नहीं की जबकि हर दिन लोगों ने यहां चक्कर काटे। खैरतल-तिजारा जिले की ऐसी फाइलें करीब 500 बताई जा रही हैं। वहीं कोटपूतली-बहरोड़ जिले की 185 के आसपास। इन हथियारों में एक नाली, दो नाली, 12 बोर बंदूक, टोपीदार बंदूक, पिस्टल, रिवाल्वर आदि शामिल बताई जा रही हैं।
कई लाइसेंस धारकों की हो चुकी है मौत
सूत्र कहते हैं कि दर्जनों लाइसेंस धारक ऐसे हैं जिनकी मौत हो चुकी है। उनके परिजनों ने न लाइसेंस ट्रांसफर के लिए आवेदन किए हैं और न कोई सूचना भेजी। ऐसे में करीब दो साल पहले ऐसे हथियारों को भी संबंधित थानों में जमा करवाया गया था। कई लोगों के लाइसेंस की मियाद खत्म हो गई लेकिन उनका रिनुअल नहीं हुआ। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि हथियार सिंगल और डबल बैरल बंदूकों के हैं, जिनका क्रेज कम होे गया है। अब लोग पिस्टल और राइफल लेना चाहते हैं।
उत्तराधिकारी चिंतित, हथियार खा रहे जंक
तमाम हथियार संबंधित थानों में जमा हैं। उत्तराधिकारियों को चिंता सता रही है कि उनके हथियार खराब न हो जाएं। बैरल पर जंक आदि आ रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि थानों में रखरखाव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में विरासती हथियारों के लाइसेंस परिजनों के नाम किए जाएं ताकि हथियारों की सफाई हो सके और अपने पूर्वजों की निशानी साथ रख सकें।
सभी शाखाओं का रेकॉर्ड नए जिलों में जा रहा है। इसमें न्याय शाखा के अंतर्गत शस्त्रों से जुड़ा ब्योरा भी शामिल है।
-- उत्तम सिंह शेखावत, एडीएम प्रथम