अलवर. विधायकों ने जनता के विकास कार्य करवाने के लिए जिला परिषद में सैकड़ों प्रस्ताव भेजे लेकिन उनमें से तमाम प्रस्ताव अटके हुए हैं। तकनीकी स्वीकृतियों से लेकर वित्तीय अनुमति नहीं दी गई, पर परिषद ने अपने लिए सफारी गाड़ी खरीदने को 72 घंटे में ही सभी स्वीकृतियां पास कर दी।
जनता के कामों की अनुमति महीनों से अटकी, सफारी की सभी स्वीकृतियां 72 घंटे में निकाली
- विधायकों ने दिए थे सैकड़ों काम, उनकी तकनीकी व वित्तीय स्वीकृतियां तमाम फंसी हुईं
- दो विधायकों ने परिषद को गाड़ी के लिए दिए पैसे तो उसकी स्वीकृतियां सभी निकाल दी गईं
- जिला परिषद की कार्य प्रणाली के दो रंग आए सामने, कुछ विधायकों ने इस मामले को बनाया मुद्दा
अलवर. विधायकों ने जनता के विकास कार्य करवाने के लिए जिला परिषद में सैकड़ों प्रस्ताव भेजे लेकिन उनमें से तमाम प्रस्ताव अटके हुए हैं। तकनीकी स्वीकृतियों से लेकर वित्तीय अनुमति नहीं दी गई, पर परिषद ने अपने लिए सफारी गाड़ी खरीदने को 72 घंटे में ही सभी स्वीकृतियां पास कर दी। कुछ विधायकों ने इस मामले को मुद्दा बनाया है। वहीं जनता को भी ये बात पता लगी तो वह परिषद की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जनता कह रही है कि गाड़ी जरूरी थी या फिर गांव की सड़क।
विधायक निधि के 491 कामों को नहीं मिल पाई तकनीकी स्वीकृतियां
जिले की 11 विधानसभाओं के विधायकों ने 1886 कार्य करवाने के लिए जिला परिषद में प्रस्ताव दिया। ये काम नाली, खड़ंजा, सड़क आदि के थे और जरूरी थे। 15 सितंबर तक 491 काम ऐसे हैं जिनकी तकनीकी स्वीकृतियां नहीं दी गईं और वित्तीय स्वीकृतियां बड़ी संख्या में अटकी हैं। ये प्रस्ताव किसी विधायक ने छह माह पहले दिए थे तो किसी ने दो माह पहले। जानकारों का कहना है कि ये जनता के काम थे। परिषद के अफसरों को इन्हें प्राथमिकता से निकालना था। राजस्थान पत्रिका ने दो बार मुद्दा भी उठाया तो कुछ प्रस्ताव आगे जरूर बढ़े लेकिन गति धीमी ही रही।
नेता बोल रहे, जनता के काम जरूरी या गाड़ी
अलवर ग्रामीण व तिजारा एमएलए ने अपनी निधि से करीब 18 लाख रुपए जिला परिषद को गाड़ी खरीदने के लिए दिए। परिषद ने बिना देरी किए सरकार से गाड़ी के लिए अनुमति ले ली और प्रशासनिक, तकनीकी व वित्तीय स्वीकृतियां 72 घंटे में पास भी कर दी। भले ही इन विधायकों के सभी विकास कार्यों को परिषद ने पूरी तरह मंजूरी नहीं दी हो लेकिन उनकी रकम से गाड़ी आएगी तो वह पहले ही पास कर दी। कुछ विधायकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि परिषद की दोहरी कार्य प्रणाली है। इस मामले को वह ऊपर तक उठाएंगे। वह यह भी कहते हैं कि जिला प्रमुख, सीईओ के पास गाडि़यां हैं तो फिर विकास कामों को पास करने की बजाय गाड़ी खरीदने की जल्दबाजी क्यों की गई?