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उप चुनाव को लेकर आई बड़ी खबर, यहां से प्रत्याशी उतारना भाजपा के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीँ

-विधानसभा के उप चुनाव में यदि सपा और बसपा अलग होकर चुनाव लड़ती हैं तो भाजपा के लिए संभावनाएं काफी होंगी

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उप चुनाव को लेकर आई बड़ी खबर, यहां से प्रत्याशी उतारना भाजपा के लिए हुआ मुश्किल

अम्बेडकर नगर. लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड जीत के साथ ही भाजपा ने उत्तर प्रदेश में भी 60 सीट पर जीत हासिल कर मोदी के नेतृत्व पर लगाये जा रहे विपक्ष के तमाम आरोपों पर विराम लगा दिया, लेकिन प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुए प्रदेश के कुल 11 विधानसभा क्षेत्रों में एक विधानसभा सीट अम्बेडकर नगर जिले की जलालपुर भी है। इस विधानसभा क्षेत्र से बसपा के रितेश पांडेय 2017 के चुनाव में तब जीत हासिल की थी, जब पूरे प्रदेश में भाजपा का विजय रथ दौड़ रहा था।

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रितेश पांडेय 2019 के लोकसभा चुनाव में अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट से भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा को करारी शिकस्त देते हुए लोकसभा में पहुंच गए हैं, जिसके बाद जलालपुर विधानसभा सीट खाली हो गई है। हालांकि अभी चुनाव आयोग ने प्रदेश की उन 11 सीटों पर चुनाव की कोई तिथि निर्धारित नहीं की है, जहां के विधायक सांसद के रूप में चुन लिए गए हैं, लेकिन उप चुनाव की चर्चा शुरू हो चुकी है। निश्चित तौर पर अम्बेडकर नगर की जलालपुर विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत हार सीएम योगी के लिए अग्नि परीक्षा और तीन साल के कार्यकाल के रिपोर्ट कार्ड जैसा माना जा रहा है।

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भाजपा के लिए आग का दरिया है जलालपुर


जलालपुर विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का कोई भी प्रत्याशी आज तक कामयाब नहीं हो पाया है। भाजपा के लिए इस जिले की पांच विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा टफ सीट मानी जाने वाली टांडा विधानसभा सीट पर भी 2017 में भाजपा ने पहली बार जीत दर्ज करा ली थी, लेकिन तब भी जलालपुर समेत तीन विधानसभा सीट भाजपा हार गई थी। जलालपुर विधानसभा क्षेत्र पहले कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, जिसके दिग्गज नेता शेर बहादुर सिंह लगातार कई चुनाव जीते और 2007 व 2012 के चुनाव में भी शेर बहादुर सिंह ही बसपा और सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुके थे, लेकिन 2017 के चुनाव से पूर्व शेर बहादुर सिंह ने भाजपा का दामन थाम अपने लड़के को मैदान में उतारा, लेकिन वे चुनाव हार गए और यहां से बसपा के रितेश पांडेय ने जीत दर्ज कराई।

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2019 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उत्तर प्रदेश और पूरे देश में भाजपा का प्रदर्शन रहा, उसके बावजूद अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट पर भाजपा 90 हजार से अधिक वोटों से हर गई। इतना ही नहीं जीके की टांडा और जलालपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की हार 40 हजार से अधिक वोटों से हुई है। ऐसे में जलालपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा के लिए न सिर्फ करो मरो का सवाल है, बल्कि प्रदेश में योगी की नीतियों को इस विधानसभा क्षेत्र के लोग कितनी तवज्जों देते हैं। यह तो उप चुनाव के बाद ही पता चलेगा।

महंगठबंधन टूटने से मिल सकती है भाजपा को जीत

जिस तरह से लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन भाजपा को परेशान किये हुए था, उस तरह का कोई परिणाम लोकसभा चुनाव में देखने को तो नहीं मिला, लेकिन कुछ ऐसी सीटें जरूर रहीं जहां गठबंधन की वजह से भाजपा हार गई। जिले की जलालपुर विधानसभा सीट भी ऐसी ही साबित हुई, जहां भाजपा को हारना पड़ा। 4 लाख से अधिक मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र जातीय समीकरण में मुस्लिम, यादव, कुर्मी, दलित, ब्राम्हण, ठाकुर और कई अन्य जातियां हैं, जिसमे मुस्लिम समाज के अधिकांश लोग सपा तो दलित समाज के अधिकांश लोग बसपा को पसंद करते है। विधानसभा के उप चुनाव में यदि सपा और बसपा अलग होकर चुनाव लड़ती हैं तो भाजपा के लिए संभावनाएं काफी होंगी, लेकिन जीत के लिए भाजपा को बहुत सोच समझ कर यहां प्रत्याशी उतारना पड़ेगा।