मामले में सीतापुर पुलिस ने वर्ष 2011 में जुर्म दर्ज करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर फास्ट ट्रैक न्यायालय में पेश किया था। मामले की सुनवाई के बाद गुरुवार को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी अंबिकापुर सुनीता टोप्पो ने निर्णय सुनाते हुए आरोपी को आजीवन कारावास से दंडित किया है। इसके साथ ही अर्थदण्ड से भी दंडित करने का आदेश सुनाया है।
सीतापुर थाना क्षेत्र निवासी ९ वर्षीय मासूम गांव के ही एक युवक के बारात में शामिल होने 27 मई 2011 को ग्राम चैनपुर गई थी। वहां वह अपने नाना-नानी के घर गांव के लोगों के साथ बस से पहुंची थी। देर रात जब बालिका के पिता वहां पहुंचे तो बेटी अपने नाना-नानी के घर में मौजूद थी।
इसके बाद वह सबके साथ विवाह कार्यक्रम में शामिल होने चली गई। शादी खत्म होने के बाद वह अकेली घर लौट रही थी। इसी दौरान सीतापुर के ग्राम सूर के पकरीखार निवासी २९ वर्षीय रामअवतार पिता रामकुमार उरंाव ने देख लिया। इसके बाद वह बालिका को खेत की तरफ जबरजस्ती ले गया। यहां रात के अंधेरे में आरोपी ने बालिका के साथ दुष्कर्म किया।
हालत बिगड़ी तो कर दी हत्या
दुष्कर्म के बाद बालिका की हालत बिगडऩे पर आरोपी रामअवतार ने उसकी हत्या कर दी तथा शव खेत में छोड़कर भाग गया। सुबह तक बालिका के घर वापस नहीं पहुंचने पर परिजनों की चिंता बढ़ गई। वे गांव वालों के साथ उसे खोजने लगे। इसी बीच गांव में ही खेत में उसका शव मिला।
इसकी जानकारी परिजन ने तत्काल सीतापुर पुलिस को दी। मामले की विवेचना करते हुए ग्रामीणों द्वारा दिए गए बयान के आधार पर आरोपी रामअवतार को धारा 363, 366, 376(1) व 302 के तहत जुर्म दर्ज कर गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया।
दिया गया आजीवन कारावास
मामले की सुनवाई न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी सुनीता टोप्पो द्वारा की गई। सुनवाई के दौरान प्रकरण में आए साक्ष्य के आधार पर धारा 363 के तहत 5 वर्ष व 500 रुपए अर्थदंड, 366 के तहत 10 वर्ष व 500 रुपए, 376(1) के तहत आजीवन कारावास व 500 रुपए अर्थदंड व धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व 500 रुपए अर्थदंड से दंडित किया है।
विरल से विरलतम प्रकृति का है अपराध
फास्ट ट्रैक न्यायाधीश सुनीता टोप्पो ने मामले को विरल से विरलतम श्रेणी का अपराध मानते हुए आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्होंने अपने आदेश में लिखा की इस तरह के कृत्य से समाज में विकृति फैलती है। इसकी वजह से इस मामले में किसी प्रकार के छूट नहीं दी जा सकती है।
राज्य शासन देगी 1 लाख रुपए
न्यायाधीश सुनीता टोप्पो ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि चंूकि मामला अबोध बालिका से संबंधित है। उन्होंने अपील अवधि समाप्त होने के बाद मृतिका के वारिसान को राज्य शासन द्वारा 1 लाख रुपए दिए जाने की अनुशंसा निर्णय में की है।