
Health secretary and health commissioner in Medical college
अंबिकापुर. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के निरीक्षण के बाद टीम द्वारा गिनाई गईं कमियों की समीक्षा करने गुरुवार को स्वास्थ्य सचिव सुब्रत साहू व स्वास्थ्य आयुक्त आर. प्रसन्ना मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे। बंद कमरे में लगभग 2 घंटे तक डीन व अस्पताल अधीक्षक के साथ बैठक करने के बाद उन्होंने अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य सचिव ने डीन पीएम लूका से कहा कि खुद भी प्रैक्टिकल किया करो, सब काम हम ही देखेंगे क्या?
कुछ दिनों पूर्व एमसीआई की टीम ने मेडिकल कॉलेज के द्वितीय सत्र की मान्यता के लिए निरीक्षण करने के बाद कई कमियां गिनाईं थीं। एमसीआई के इस निरीक्षण को अब तक के कार्यकाल में सबसे अधिक खराब माना जा रहा है। इसकी वजह से एक दिन पूर्व बुधवार को डीएमई डॉ. एके चन्द्राकर ने अस्पताल का निरीक्षण कर डीन व अस्पताल प्रबंधन को कुछ जरूरी निर्देश दिए थे। गुरुवार को स्वास्थ्य सचिव सुब्रत साहू व स्वास्थ्य आयुक्त आर. प्रसन्ना हेलीकॉप्टर से अंबिकापुर आने के बाद सीधे मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे।
इस दौरान उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से काफी लंबी चर्चा की और एमसीआई द्वारा गिनाईं गईं कमियों की समीक्षा की। समीक्षा के बाद अस्पताल प्रबंधन के साथ अस्पताल परिसर व एमसीएच बिल्ंिडग का निरीक्षण कर जरूरी निर्देश दिए।
निरीक्षण के बाद वे मेडिकल कॉलेज रवाना हो गए। इस दौरान उनके साथ डीएमई डॉ. एके चन्द्राकर, कलक्टर किरण कौशल, डीन डॉ. पीएम लुका, सीएमएचओ डॉ. एनके पाण्डेय, अस्पताल अधीक्षक डॉ. एके जायसवाल, सीजीएमएससी के डायरेक्टर डॉ व्हीके श्रीवास्तव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
बंद कमरे में दो घंटे चली चर्चा
स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य आयुक्त, कलक्टर, डीन व अस्पताल अधीक्षक के बीच लगभग दो घंटे से भी अधिक समय तक अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा चली। इस दौरान कॉलेज प्रबंधन की कमियों को लेकर स्वास्थ्य सचिव ने नाराजगी व्यक्त की। इसके साथ ही शासन द्वारा डाक्टरों के स्थानांतरण व ज्वाइनिंग की जानकारी ली गई।
खुद भी कुछ किया करो
अस्पताल के निरीक्षण के दौरान ईएनटी डिपार्टमेंट को देखने के बाद स्वास्थ्य सचिव ने डीन से कहा कि यहां पर प्रैक्टिकल रूम बनाया जा सकता है। इसे शिफ्ट कर दूसरे जगह ले जाया जा सकता है। उन्होंने व्यवस्थाओं पर नाराजगी व्यक्त करते हुए डीन से कहा कि खुद भी प्रैक्टिकल किया करो, सब हम ही करेंगे, आपलोग क्या करोगे।
अदानी को लेक्चरर हॉल बनाने के दिए निर्देश
निरीक्षण के दौरान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जरूरत के हिसाब से डिस्कशन रूम व लेक्चरर हॉल बनना है। इसके लिए स्वास्थ्य आयुक्त आर. प्रसन्ना ने कलक्टर को कहा कि वे अदानी से इस संबंध में चर्चा कर सीएसआर मद से अस्पताल में डिस्कशन रूम व लेक्चरर हॉल बनावाने कहा। इस संबंध में सीजीएमएससी के अधिकारियों को भी जरूरी निर्देश दिए।
काम रोकने पर ठेकेदार को बुलाया रायपुर
सीएचएम भवन का काम ठेकेदार द्वारा बीच में ही रोक दिया गया है। इसकी जानकारी लगते ही उन्होंने सीजीएमएससी के अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि 1 करोड 6 लाख रुपए का बिल बनाकर ठेकेदार ने दिया है। उसका बिल भी पास कर दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद ठेकेदार ने काम रोक रखा है।
इसपर स्वास्थ्य सचिव ने इंजीनियरों से कहा कि ठेकेदार को सोमवार तक रायपुर बुला कर सीजीएमएससी के अधिकारियों के सामने बैठक कराकर काम पूरा करने के निर्देश दिए जाएंगे। ठेकेदार को 11 माह के भीतर काम पूरा करना है। कलक्टर ने बताया कि ठेकेदार उन्हें भी बिल का हवाला देकर काम नहीं करने की बात करता रहता है।
40 करोड़ रुपए हैं एजेंसी के खाते में
सीजीएमएससी के डायरेक्टर ने स्वास्थ्य सचिव को बताया कि खाते में ४० करोड रुपए हैं। इसमें से २० करोड़ रुपए अलग-अलग काम के लिए जारी किए गए हैं। उसमें ठेकेदार के बिल को भी पारित कर दिया गया है। लेकिन ठेकेदार पिछले काफी दिनों से काम भी रोककर रखा है और कर्मचारियों को नहीं बढ़ा रहा है।
मानव संसाधन व अस्पताल सबसे बड़ा रोड़ा
स्वास्थ्य सचिव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि एमसीआई द्वारा मान्यता नहीं दिए जाने की सबसे बड़ी वजह कॉलेज में मानव संसाधन की कमी है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही एमसीआई ने सबसे ज्यादा कमियां अस्पताल साइट को बताया है, जिसे पूरा करने का प्रयास किए जा रहे हैं। अस्पताल बिल्ंिडग काफी पुराना है। इसकी वजह से इसपर ज्यादा तोडफ़ोड़ कर काम नहीं किया जा सकता है। एमसीआई ने ओपीडी के साथ माइनर ओटी बनाने को कहा है जो इस बिल्ंिडग में संभव नहीं है।
सीएम के साथ बैठक के बाद तय होगा फाइनल डिजाइन
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के नये भवन का नक्शा व डिजाइन तैयार हो चुका है। जल्द ही इसके लिए निविदा भी जारी करना है। इस संबंध में मुख्यमंत्री के साथ बैठक भी है। बैठक के बाद डिजाइन फाइनल कर लिया जाएगा। बिल्ंिडग के लिए बजट भी दिया जा चुका है।
छोटी-छोटी हैं आपत्तियां
एमसीआई द्वारा जो भी आपत्तियां गिनाई गईं हैं, वह काफी छोटी-छोटी हैं। उन्होंने बताया कि लाइब्रेरी में हमनेे कितनी पुस्तकें खरीदी, उसे नहीं देखा गया। बल्कि ३ हजार किताबेें खरीदनी चाहिए थी उसमें से २७०० खरीदे गए हैं। तीन सौ पुस्तकों को कमियों में बताया गया है।
पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बनाया जा सकता
बुधवार को डीएमई ने कहा था कि बिना अधोसरंचना विकास किए सरकार द्वारा यहां मेडिकल कॉलेज को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए थी। उसपर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि ऐसा नहीं होता है कि पहले भवन बन जाता फिर मान्यता मिलता। मान्यता मिलने के बाद ही सिस्टम से बजट मिलता है और अधोसंरचना विकास होता है।
Published on:
14 Sept 2017 03:58 pm
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