Ambikapur News: मीरा ने किया इस प्रथा को खत्म
मीरा ने
आदिवासी बहुल इलाकों में जाकर महिलाओं को स्वच्छता व माहवारी के प्रति जागरूक किया। आदिवासियों में प्रसव के छठवें दिन अन्न देने का नियम था। आदिवासी महिलाओं को प्रसव के बाद 3 दिनों तक भोजन नहीं दिया जाता है। मीरा ने उनके बीच जाकर इस प्रथा को समाप्त किया।
सोच यह: हर कठिनाई एक नया सबक सिखाती है, उसे सकारात्मकता से लें
शिक्षा के लिए हमेशा सहयोग किया डॉ. शुक्ला ने साल 1998 में 30 बच्चों के गोद लेकर उनकी पढ़ाई की व्यवस्था की। वो कहती हैं कि कोई भी बच्चा मेरे पास पढ़ाई-लिखाई की समस्या लेकर पहुंचता है तो उसकी मदद करना मेरी पहली प्राथमिकता रहती थी। इसके अलावा अब तक 26 कन्याओं का विवाह कराया है। घर से मिली सीख
Ambikapur News: पिताजी भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार थे। मैंने उन्हें अपना आदर्श माना और फिर मैं भी उन्हीं की तरह लोगों की मदद करने में जुट गई और इसी रास्ते पर आगे चल पड़ी। साक्षरता मिशन की
नौकरी से साल 1994 में इस्तीफा देने के बाद समाजसेवा को अपनी जिंदगी का लक्ष्य बना लिया।
मीरा कहती हैं कि समाजसेवा वही है जो दूसरे के आंख में आंसू न देखे। आंसू आने से पहले ही उसे रोक ले। इंसान वह है जो अपने लिए न जी कर दूसरों के लिए जिए।