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SECL ने रोक रखे है 15 करोड़ रुपए, IRRIGATION के कई PROJECT अटके

ग्राम अमेरा में जल संसाधन विभाग की 664 हेक्टेयर भूमि पर कोल खनन का मामला, दो विभाग की खींचतान की वजह से 8 साल से विकास कार्य हैं बाधित

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Pranayraj rana

Apr 18, 2016

Amera Mines

Amera Mines

अंबिकापुर.
जल संसाधन विभाग व एसईसीएल के बीच मुआवजे को लेकर चल रही खींचतान की वजह से कई विकास कार्य अटके हुए हैं। ग्राम अमेरा में जल संसाधन विभाग की भूमि पर कोल उत्खनन श्ुरू करने से पहले वर्ष 2008-09 में एसईसीएल प्रबंधन को शासन द्वारा निर्धारित क्षतिपूर्ति राशि दी जानी थी। लेकिन अभी तक मुआवजे के नाम पर एक रुपए भी विभाग को नहीं मिले हैं। इसकी वजह से जल संसाधन विभाग की कई बड़ी योजनाएं ठंडे बस्ते में पड़ी है।


घुनघुट्टा श्याम परियोजना के प्रभावित क्षेत्र में वर्ष 2008-09 से एसईसीएल द्वारा ग्राम अमेरा में माइंस शुरू कर कोल उत्खनन का कार्य शुरू किया गया है। कोल उत्खनन शुरू करने से पूर्व शासन द्वारा जल संसाधन विभाग को होने वाले क्षति के लिए दोनों विभागों के बीच मुआवजे की राशि तय की गई थी।


शासन ने वर्ष 2008-09 में 223 लाख रुपए मुआवजे की राशि निर्धारित की थी। एसईसीएल द्वारा ग्राम अमेरा में कोल उत्खनन तो शुरू कर दिया गया, लेकिन क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया गया। इस बीच शासन, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के बीच क्षतिपूर्ति की राशि को लेकर कई बार चर्चा की गई।


लेकिन हमेशा एसईसीएल द्वारा टालमटोल किया जाता रहा। समय बीतने के साथ इसे लेकर विरोध भी शुरू हो गया, परंतु एसईसीएल को कोई फर्क नहीं पड़ा। जिला प्रशासन के लगातार दबाव के बाद एक बार फिर से वर्ष 2012-13 में एसईसीएल प्रबंधन के साथ क्षतिपूर्ति को लेकर चर्चा हुई। पूर्व में निर्धारित मुआवजे की राशि का पुन: निर्धारण किया गया।


इसमें शासन द्वारा निर्धारित नए एसओआर को मानक मानते हुए क्षतिपूर्ति निर्धारित की गई। वर्ष 2013 में दोनों विभाग के अधिकारियों व जिला प्रशासन के मध्य हुई चर्चा के बाद 1535 लाख रुपए के मुआवजा तय किया गया। लेकिन एसईसीएल द्वारा आज तक इस राशि का भुगतान नहीं किया गया।


आज भी इस राशि को लेकर दोनों विभागों के बीच खींचातानी चल रही है। जल संसाधन विभाग जहां राशि को लेकर प्रशासन को पत्र लिखने की तैयारी में हैं। वहीं एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा क्षतिपूर्ति के एवज में पूरी राशि भुगतान किए जाने का दावा किया जा रहा है। दोनों विभागों के लड़ाई में इसका सीधा नुकसान क्षेत्र के लोगों को हो रहा है।

सड़क का भी नहीं किया गया निर्माण

ग्राम पंचायत अमेरा में कोल उत्खनन शुरू करने के साथ ही एसईसीएल को महावीरपुर, आमगांव होते हुए अमेरा तक सड़क का निर्माण किया जाना था। लेकिन इस दिशा में भी अभी तक एसईसीएल प्रबंधन द्वारा प्रशासन को सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है।


अब तक निकल चुका है करोड़ों का कोयला

एसईसीएल द्वारा ग्राम अमेरा में कोल उत्खनन वर्ष 2008-09 में ही शुरू कर दिया गया है। लेकिन आज तक शासन अथवा प्रशासन को एक रुपए क्षतिपूर्ति की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। जबकि निर्धारित राशि से एसईसीएल द्वारा अधिक राशि का उत्खनन अब तक कर लिया गया गया है।


इन ग्रामों में होती थी सिंचाई

घुनघुट्टा के लेफ्ट केनाल से ग्राम पंचायत लिबरा, छिंदकालो, पतराटोली, सलका व अमेरा क्षेत्र में सिंचाई की जाती थी। लेकिन ग्राम पंचायत अमेरा में एसईसीएल द्वारा कोल उत्खनन शुरू करने के बाद लगभग 4 किमी का पूरा क्षेत्र प्रभावित हो गया है। कोल उत्खनन की वजह से इन ग्रामों में लगी फसल भी प्रभावित हो रहे हैं।


664 हेक्टेयर भूमि हुई प्रभावित

विकास के नाम पर शासन द्वारा ग्राम अमेरा में एसईसीएल को कोल उत्खनन करने की अनुमति दी गई थी। इससे श्याम घुनघुट्टा परियोजना की लगभग 664 हेक्टेयर भूमि कोल उत्खनन में चली गई। इससे घुनघुट्टा का सिंचित क्षेत्र घटने के साथ ही कई काम भी प्रभावित हो गए। कोल उत्खनन की वजह से घुनघुट्टा के लेफ्ट केनाल के अंतिम क्षेत्र में लगी खड़ी फसल भी पूरी तरह से प्रभावित हो गई।


रिवाइज दर को लेकर चल रहा है विवाद

जल संसाधन विभाग के अनुसार पूर्व में शासन द्वारा क्षतिपूर्ति के रूप में 223 लाख रुपए निर्धारित किया गया था। लेकिन सात वर्ष तक लगातार एसईसीएल द्वारा मुआवजे की राशि भुगतान करने में टाल-मटोल किया जाता रहा है। जल संसाधन विभाग का क्षतिपूर्ति को लेकर नया एसओआर दर आ गया है। इसके आधार पर ही शासन द्वारा नया मुआवजा दर 1535 लाख रुपए तय किया गया है। इसे लेकर ही एसईसीएल द्वारा विवाद खड़ा किया जा रहा है। सात वर्ष के दौरान हर चीज मंहगी हो गई है। लेकिन एसईसीएल पुराने दर पर ही अड़ा हुआ है।


सूरजपुर तक हो जाती है पानी की सप्लाई

एसईसीएल द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि का भुगतान नहीं किए जाने से जल संसाधन विभाग द्वारा किए जाने वाले कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट आज भी अटके पड़े हैं। समय पर एसईसीएल द्वारा मुआवजे का भुगतान कर दिया गया होता तो सूरजपुर तक घुनघुट्टा से पानी सप्लाई की जा सकती थी। ग्राम फतेहपुर में जल संसाधन विभाग द्वारा नवीन एक्वाडग (साइफन )का काम पूरा हो चुका है। समय पर राशि का भुगतान कर दिया जाता तो विश्रामपुर के राजापुर तक पानी का सप्लाई का काम शुरू कर दिया गया होता।


जिपं की बैठक में उठ चुका है मुद्दा

ग्राम पंचायत अमेरा में कोल उत्खनन किए जाने के बावजूद मुआवजे का भुगतान नहीं किए जाने को लेकर कई बार जिला पंचायत के सामान्य सभा में जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता द्वारा आवाज उठाई जा चुकी है। इस संबंध में हमेशा जल संसाधन विभाग के अधिकारियों द्वारा पूरी जवाबदारी एसईसीएल पर थोप दी जाती है।


एसईसीएल पेश करे दस्तावेज

ग्राम अमेरा में एसईसीएल के आला अधिकारियों व जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा कैम्प लगाया गया था। इसमें मेरे द्वारा क्षतिपूर्ति की बात रखी गई थी जिस पर एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा मुआवजा भुगतान नहीं किए जाने की बात स्वीकारी गई थी और जल्द ही भुगतान करने का आश्वासन दिया था। अगर उनके द्वारा भुगतान कर दिया गया है तो उसके दस्तावेज प्रस्तुत कर दें। मामला समाप्त हो जाएगा।

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टीएस सिंहदेव,
नेता प्रतिपक्ष


एसईसीएल कर रहा आनाकानी

जल संसाधन विभाग की लगभग 664 हेक्टेयर भूमि एसईसीएल के कोल उत्खनन से प्रभावित हुई है। शासन द्वारा पूर्व में 223 लाख रुपए मुआवजा की राशि तय की गई थी। लेकिन एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा इसका भुगतान नहीं किया गया। नए प्राकलन के अनुसार अब 1535 लाख रुपए मुआवजे का भुगतान एसईसीएल द्वारा किया जाना है। इसे लेकर उसके अधिकारी आना-कानी कर रहे है। इस संबंध में प्रशासन को पत्र लिखा जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी।

ओपी चंदेल,

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ईई, जल संसाधन विभाग


बोर्ड में रखने का दिया था आश्वासन

पिछली बार जब एसईसीएल के अधिकारियों से क्षतिपूर्ति की राशि को लेकर चर्चा हुई थी, तो उन्होंने इस बात को बोर्ड के समक्ष रखने का आश्वासन दिया था। वर्तमान में क्या स्थिति है, इसकी जानकारी अधिकारियों से चर्चा कर ली जाएगी।

ऋतु सैन,
कलेक्टर, सरगुजा


कर दिया गया है भुगतान

इस मामले में चर्चा करने के लिए मैं एसईसीएल से अधिकृत नहीं हूं। लेकिन एसईसीएल ने पूरा भुगतान कर दिया है। एसईसीएल कभी भी कोई भुगतान नहीं रोकता है।

एके पांडेय,
महाप्रबंधक, एसईसीएल बिश्रामपुर

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