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कड़ाके की ठंड के बीच हाथियों ने 12 परिवारों को किया बेघर, सिर छिपाने भटक रहे इधर-उधर, मवेशी को भी मार डाला

Elephants news: हाथियों के गांव की ओर घुस आने से ग्रामीणों में दहशत, परिवार सहित दूसरे के घरों में शरण लेने को हैं विवश, 9 हाथियों का दल घरों को तोडऩे के अलावा फसलों व मवेशियों को भी पहुंचा रहा नुकसान

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उदयपुर. Elephants news: सरगुजा संभाग में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। तापमान ५ डिग्री के करीब है। ठंड से लोगों का हाल बेहाल है। इसी बीच संभाग के अलग-अलग इलाकों में हाथियों का आतंक भी जारी है। उदयपुर क्षेत्र में ९ हाथियों का दल आतंक मचा रखा है। 10 दिनों के अंदर 12 घरों को नुकसान पहुंचाया है। इस कड़ाके की ठंड में लोग बेघर हो गए हैं। कडक़ड़ाती ठंड में ग्रामीण बच्चों के साथ दूसरे स्थान पर सिर छिपाने को मजबूर हैं। वहीं हाथियों ने फसल व मवेशियों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।


उदयपुर वन परिक्षेत्र में लगातार हाथियों का आंतक जारी है। ग्राम गुमगा के मोहल्ला डाहीमार में 9 हाथियों के दल ने सोमवार की रात को जीतू मझवार के घर के बाहर पेड़ से बंधे भैंस को अपने दांतों से हमला कर घायल किया फिर पैरों से कुचलकर मार डाला।

वन अमले द्वारा प्रशिक्षु डीएफओ अक्षय भोसले के नेतृत्व में मंगलवार को सुबह पशु चिकित्सक को साथ लेकर घटना स्थल जाकर मवेशी के शव का पोस्टमार्टम कराकर मुआवजा प्रकरण की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

11 दिसम्बर से 9 हाथियों का दल सूरजपुर जिले के तारा से होते हुए सरगुजा जिले के परसा, साल्ही, गुमगा, मुडग़ांव के जंगलों में लगातार विचरण कर रहा है। इस दौरान हाथियों ने लगभग 12 घरों को नुकसान पहुंचाया है।

ठंड के दिनों में अपने घरों के टूटने से ग्रामीण काफी आहत नजर आ रहे है। हाथियों के मूवमेंट पर नजर रख रहे वन अमला द्वारा संबंधित ग्रामों में मुनादी कराकर जरूरत पडऩे पर उन्हे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

ये लोग हुए बेघर, अन्य स्थानों पर रहने को मजबूर
हाथियों ने अभी तक ग्राम गुमगा डाहीमार में छंदन, सालन, करीमन, ललान, जगत, दिलबोध सभी जाति पण्डो तथा जीतू मझवार सहित अन्य लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाया है। हाथियों द्वारा इनके घरों को तोड़े जाने से ये सभी बेघर हो गए हैं। ये सभी छोटे-छोटे बच्चों के साथ कडक़ड़ाती ठंड में अन्य स्थानों पर रहने को मजबूर हैं।

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जंगलों का सिमटता दायरा बड़ा कारण
हाथियों के हमले का दंश उदयपुर वन परिक्षेत्र के लोग विगत कई वर्षों से झेल रहे हैं। दर्जन भर के करीब मौतें हाथियों के हमले से विगत एक दशक में हो चुकीं हंै। जंगलों का सिमटता दायरा हाथी और मानव द्वंद का कारण बनता जा रहा है। हाथियों के रहवास क्षेत्र में खदानों का संचालन भी इसका बड़ा कारण है।

अभी वन परिक्षेत्र में विचरण कर रहे हाथियों की निगरानी में परिक्षेत्र सहायक अजीत सिंह, चन्द्रभान सिंह, शशिकान्त सिंह, दुर्गेश सिंह, अमरनाथ, विष्णु, अवधेश, ऋषि, दिनेश तिवारी, धनेश्वर सिंह सहित अन्य स्टाफ सक्रिय हैं।


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