
E-rickshaw
अंबिकापुर. ई-रिक्शा मरम्मतीकरण में लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जांच पूर्ण हो चुकी है। महापौर द्वारा गठित कमेटी ने शनिवार को आयोजित सामान्य सभा में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी चाही, लेकिन कमेटी के एक सदस्य द्वारा रिपोर्ट नहीं देखे जाने की बात कर उसे सदन में पेश करने से रोक दिया गया।
जांच रिपोर्ट देखने के बाद महापौर सहित अन्य सदस्यों ने इसमें गड़बड़ी की बात मान ली है। अब उन्हें सिर्फ फाइल मंगवाकर कार्रवाई की अनुशंसा करना है। इसमें भी आनाकानी किए जाने से ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो इस भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं, वे अपने बचाव में लग गए हैं।
गौरतलब है कि पिछले सामान्य सभा में विपक्ष के पार्षद मधुसूदन शुक्ला ने ई-रिक्शा खरीदी व उसके मरम्मतीकरण में भारी भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाया था। इस पर सभापति शफी अहमद ने महापौर को पूरे मामले के जांच हेतु एक कमेटी के गठन करने का निर्देश दिया गया था। महापौर द्वारा एमआईसी सदस्य व सफाई विभाग प्रभारी नीतू शर्मा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था।
कमेटी द्वारा जांच के लिए लगातार कई बैठक की गई थी, लेकिन अधिकारियों द्वारा उन्हें सहयोग नहीं किए जाने की बात कही गई। अंत में जो फाइल कमेटी के सदस्यों को उपलब्ध कराई गई थी, उसके आधार पर कमेटी द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट शनिवार को आयोजित सामान्य सभा की बैठक में पेश की जानी थी।
रिपोर्ट पेश करने के लिए कमेटी के चार सदस्यों ने हस्ताक्षर भी कर दिए थे लेकिन एक सदस्य द्वारा रिपोर्ट नहीं देखे जाने की बात कर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया गया। इसकी वजह से सामान्य सभा में रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी।
जबकि जांच प्रतिवेदन में कमेटी को भारी गड़बड़ी मिली है। कमेटी ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए भ्रष्टाचार में संलिप्त सभी के खिलाफ प्रथम एफआईआर दर्ज कराने की अनुशंसा की है।
जांच में आरोप पाए गए सही
जांच रिपोर्ट पेश तो नहीं की जा सकी लेकिन जांच के दौरान जो भी आरोप पार्षद द्वारा लगाए गए थे, वह कमेटी द्वारा जांच में सही पाए गए हैं। कमेटी के अध्यक्ष व सदस्यों ने जांच के दौरान सभी आरोप सही पाए और कहा कि खरीदी व मरम्मतीकरण में अधिकारियों ने घोर लापरवाही की है।
मरम्मतीकरण की अनुमति न तो सदन से ली गई है और न ही इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी को बताया गया है। भ्रष्टाचार करते हुए निगम की राशि का दुरूपयोग करते हुए बंदरबाट किया गया है।
चार्जर लगाने लिए गए 1450 रुपए
सबसे बड़ी बात यह है कि ई-रिक्शा की जब खरीदी की गई। उसके बाद बैटरी के चार्ज करने हेतु संबंधित संस्थान द्वारा चार्जर भी प्रदान किया गया। लेकिन उसका लेबर चार्ज प्रत्येक रिक्शा का 1450 रुपए लिया गया, जबकि उसे रिक्शा के साथ लगा हुआ दिया जाना था।
पुरानी बैटरी का पता नहीं
एसएलआरएम में लगे सभी 32 ई-रिक्शा की बैटरी 6 माह के अंदर बदल दिए गए। लेकिन पुरानी बैटरी कहां रखी गई, उसका हिसाब किसी भी अधिकारी के पास नहीं है। पुरानी बैटरी न तो स्टोर में है और न ही इस संबंध में कोई अधिकारी बताने को तैयार नहीं है। जबकि जांच कमेटी के अनुसार पुरानी बैटरी बाजार में 1500 रुपए में बिकती है।
इस प्रकार 120 बैटरी बदली गई और लगभग 1 लाख 80 हजार रुपए के बंदरबाट करने के आरोप को भी सही पाया। इसके साथ ही बैटरी का भौतिक सत्यापन भी नहीं कराया गया था।
किस कम्पनी का है सामान, उल्लेख ही नहीं
ई-रिक्शा निविदा में जिस भी फर्म ने भाग लिया गया था, उनके द्वारा मरम्मत कार्य नहीं किया जाता है। मरम्मत के लिए प्रस्तुत निविदा बाजार से काफी अधिक है। लेकिन इसके बावजूद संबंधित अधिकारी ने बिना इसकी अनुशंसा लिए ही ई-रिक्शा मरम्मतीकरण का कार्य प्रदान कर दिया। निविदा में एक बैटरी बदलने का दर 1998 रुपए लिया गया है।
एमआईसी व सामान्य सभा से भी नहीं ली अनुमति
ई-रिक्शा खरीदी व मरम्मत के पूर्व न तो एमआईसी से अनुमति ली गई थी और न ही सामान्य सभा के समक्ष रिक्शा मरम्मतीकरण के लिए एजेण्डा पेश किया गया था। अधिकारियों ने अपनी मनमानी करते हुए पूरे नियम कायदों को दरकिनार करते हुए ३२ ई-रिक्शा के मरम्मत पर 17.82 लाख रुपए खर्च कर दिए।
ई-रिक्शा में लगे हैं 4 बैटरी और बदले गए 5
सभी ई-रिक्शा में चार बैटरी लगे हुए हैं। उनके खराब होने पर चार ही बैटरी बदले जाने चाहिए थे। लेकिन कई रिक्शे में 5 बैटरी 6 माह के अंदर बदले जाने की बात भी सही पाई गई। इसके साथ ही एक्सीलेटर मु_ा लगाने के लिए 924 रुपए तक खर्च किया गया है। जो बाजार से कहीं अधिक है।
जांच में अधिकारियों ने नहीं किया सहयोग
जांच कमेटी कई बार बैठक कर अधिकारियों से सहयोग करने की बात कही। इसके लिए कई बार नोटिस भी जारी की गई लेकिन नगर निगम के अधिकारियों ने न तो इसके लिए सहयोग किया और न ही जांच के दौरान उपस्थित हुए। प्रकरण की फाइल सिर्फ जांच कमेटी के सामने भिजवा दिए थे।
रिपोर्ट में पाई गई है गड़बड़ी
मामले की रिपोर्ट कमेटी द्वारा दी गई थी लेकिन सभी सदस्यों द्वारा रिपोर्ट में हस्ताक्षर नहीं किए गए थे। रिपोर्ट में गड़बड़ी पाई गई है। इसके खिलाफ रिपोर्ट पेश होने पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. अजय तिर्की, महापौर, नगर निगम
जमकर हुआ है फर्जीवाड़ा
जांच रिपोर्ट सभी सदस्यों की सहमति से महापौर के समक्ष पेश की गई थी। लेकिन सामान्य सभा में पेश नहीं हो पाई। जांच के दौरान ई-रिक्शा के मरम्मतीकरण में जमकर फर्जीवाड़ा किए जाने की बात सही पाई गई है।
नीतू शर्मा, अध्यक्ष, जांच समिति
अफसरों ने की है गड़बड़ी
रिपोर्ट चूंकि महापौर के माध्यम से सदन में पेश की जानी थी। जांच पूरी हो चुकी है। जांच के दौरान व्यापक रूप से धांधली पाई गई है। इस मामले में कहीं भी परिषद का कोई भी सदस्य संलिप्त नहीं है। अफसरों ने काफी गड़बड़ी की है।
द्वितेन्द्र मिश्रा, सदस्य, जांच समिति
मरम्मतीकरण के लिए सदन से नहीं ली गई अनुमति
मामले में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। जांच में अधिकांश आरोप सही पाए गए हैं। अधिकारियों ने न तो मरम्मतीकरण के लिए एमआईसी से अनुमति ली है और न ही सामान्य सभा के सामने पेश किया गया है।
मधुसूदन शुक्ला, शिकायतकर्ता व सदस्य, जांच समिति
भ्रष्टाचार के दोषी के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई
सामान्य सभा में रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। रिपोर्ट पेश होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जो भी भ्रष्टाचार में संलिप्त है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
सूर्यकिरण तिवारी, आयुक्त, नगर निगम
Published on:
07 Jul 2018 01:51 pm
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