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पूरा शहर खाता है पार्षद के हाथ का बना डोसा, सुबह जनसेवा तो शाम को बनाती हैं लजीज डोसा

Councilor with Dosa: बीए के बाद एलएलबी (LLb) तक की पढ़ाई, चुनाव जीतने (Win Election) के बाद भी बंद नहीं किया आजीविका का साधन, बच्चे की परवरिश के साथ पति के कंधे से मिलाकर चल रही कंधा, शहरभर के लोग पसंद करते हैं पार्षद के हाथ का बना डोसा (Dosa)

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Councilor with Dosa

Councilor Anita Ravindra Bharati made Dosa

अंबिकापुर. Councilor with Dosa: एक मां, पत्नी व बहन से लेकर महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है। घर, परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए महिलाएं जनसेवा, ऑफिस वर्क, बिजनेस समेत अन्य कामकाज भी संभाल रही हैं। दिनभर काम कर थकने के बाद भी अगली सुबह नई ऊर्जा के साथ शुरुआत करती हैं। कई महिलाओं ने संघर्ष के दम पर जहां अलग मुकाम पाया है तो कई अब भी हर दिन संघर्ष कर रही हैं। ऐसी ही संघर्ष की मिसाल शहर की अनिता रविंद्र भारती ने पेश किया है। वे अंबिकापुर निगम में पार्षद (Councilor) हैं। सुबह वे जनसंपर्क करती हैं तो शाम को ग्राहकों के लिए डोसा बनाती हैं। उनके पति रविंद्र गुप्त भारती पूर्व पार्षद हैं, जो ग्राहकों को सर्विस देते हैं। टेस्टी डोसा के साथ पति-पत्नी इतने व्यवहार कुशल हैं कि शहरभर के लोग वहां खिंचे चले आते हैं।


शहर के माता राजमोहिनी देवी वार्ड की पार्षद अनिता रविंद्र भारती की पहचान आज ‘डोसे वाली पार्षद’ के रूप में भी है। बीए व एलएलबी कर चुकीं पार्षद के पति रविंद्र गुप्त भारती भी पार्षद रह चुके हैं। पार्षद अनिता रविंद्र भारती ने वर्ष 2015 से पति के दोसे के व्यवसाय में हाथ बंटाना शुरु किया था।

आज वे खुद ग्राहकों के लिए डोसा बनाती हैं, पति कस्टमर्स को सर्विस प्रदान करते हैं। पति-पत्नी की व्यवहार कुशलता ने शहर में एक अलग ही छवि बनाई है, इस कारण शहर के लोगों की भीड़ दोसा का आनंद लेने टूट पड़ती है।


चुनाव जीतीं पर बंद नहीं किया व्यवसाय
वर्ष 2015 में अनिता रविंद्र भारती ने दोसा बनाना शुरु किया था। इस समय उनकी आजीविका का एकमात्र साधन उनका व्यवसाय ही था। वर्ष 2018 में अपने वार्ड से उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने दोसे का व्यवसाय बंद नहीं किया।

इस संबंध में पार्षद अनिता रविंद्र भारती ने बताया कि शुरु में थोड़ी झिझक हुई कि पार्षद बनने के बाद दोसा बनाऊंगी तो लोग क्या कहेंगे, लेकिन मन में ये ठान लिया कि मुझे कुछ अलग कर के दिखाना है। पति का व्यवसाय भी चलाऊंगी और जनता की सेवा भी करूंगी। आज मैं वो काम बखूबी निभा रही हूं, पति के कंधे से कंधा मिलाकर मैं काफी खुश हूं।

सुबह से शाम 4 बजे तक जनसंपर्क करती हूं और शाम 5 बजे से ग्राहकों के लिए दोसा बनाती हूं। पति का भी मुझे पूरा सपोर्ट मिलता है, इनके मोटिवेशन से ही मैं ये सब कर पा रही हूं।

IMAGE CREDIT: Councilor Anita Ravindra Bharati

लोगों को पसंद आता है टेस्ट
पार्षद अनिता रविंद्र भारती के हाथों का बना दोसा, सांभर व चटनी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। अंबिकापुर-बनारस मार्ग पर दोसा जोन के नाम से उनका व्यवसाय संचालित है। वे एक साथ 8 दोसा बना लेती हैं, दुकान में कितनी भी भीड़ हो, कुछ ही मिनटों में ग्राहकों के टेबल पर दोसा पहुंच जाता है। इस संबंध में पार्षद के पति का कहना है कि दोसा बनाने हम कर्मचारी भी रख सकते हैं लेकिन ग्राहकों को इनके हाथ का बना दोसा ही पसंद है।

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बखूबी निभा रहीं मां का फर्ज
पार्षद अनिता रविंद्र भारती एक पत्नी व जनसेवक के साथ ही मां का फर्ज भी बखूबी निभा रही हैं। उनका पुत्र 8 साल का हो चुका है। घर में परवरिश के साथ ही वे दोसा बनाने के दौरान भी उसका पूरा ध्यान रखती हैं। पार्षद का कहना है कि जब पुत्र छोटा था तो उसे संभालने व साथ-साथ व्यवसाय संचालित करने में परेशानी होती थी लेकिन धीरे-धीरे दोनों के बीच तालमेल बैठा लिया।


करते हैं जनसेवा के अन्य काम
पार्षद अनिता व उनके पति रविंद्र गुप्त भारती जनसेवा के अन्य काम भी करते हैं। उनके द्वारा सेवा प्रकल्प अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके तहत वे किसी के भी बुजुर्ग माता-पिता का अपने हाथों से पैर धोते हैं और उन्हें शॉल-श्रीफल भेंट कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। इसके अलावा तपती गर्मी के दिनों में चलता प्याऊ चलाकर भी लोगों की प्यास बुझा चुके हैं।