
Drone reached in Medical college Ambikapur
अंबिकापुर. Drone didi: कई बार ऐसा होता है कि आपात स्थिति के कारण समय पर दवा उपलब्ध न होने के कारण मरीज का इलाज शुरू नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना ड्रोन टेक्निक इन हेल्थ केयर की शुरूआत की है। इसके लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज का भी चयन किया गया है। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज व उदयपुर स्वास्थ्य केन्द्र से आपात स्थिति में जीवन रक्षक दवाइयां, सैंपल व जरूरी वैक्सीन लाने-ले जाने का काम ड्रोन से किया जाएगा। सोमवार को इसका ट्रायल किया गया। मेडिकल कॉलेज से 40 किमी दूर उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य ड्रोन से 30 मिनट में सैंपल पहुंच गया। इसका ट्रायल सफल रहा।
ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया से पंजीकृत कंपनी काइट्स मैप बंगलुरू के कर्मचारियों ने ड्रोन का ट्रायल किया। सबसे पहले मेडिकल कालेज परिसर से दोपहर 12.30 बजे ड्रोन के माध्यम से 3 सैंपल भेजे गए। दोपहर 1 बजे ड्रोन उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में सफलतापूर्वक लैंड कर गया।
वहां चिकित्सक-कर्मचारियों ने सैंपल उतारा और पुन: उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मरीजों का ब्लड सैंपल कल्चर जांच के लिए भेजा गया। इसके बाद 30 मिनट के अंदर ड्रोन मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी सफलता पूर्वक ड्रोन को लैंड कराया गया।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसका उपयोग विषम परिस्थितियों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए किया जाना है। ड्रोन के माध्यम से सैंपल, किट, रिजेंट, जीवन रक्षक दवाइयों को आसानी से व काफी कम समय में पहुंचाना उद्देश्य है।
इसका सफल ट्रायल किया गया। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए दूरगामी सोच का परिणाम है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में और वृद्धि होगी। ट्रायल के दौरान नोडल डॉ. रमणेश मूर्ति एवं इंचार्ज डॉ. अरविंद कुमार सिंह, पैथोलाजिस्ट डॉ. दीपक गुप्ता, लैब टेक्निशियन अशोक पुरकैत, खण्ड कार्यक्रम प्रबंधक भानेश गौरव व ड्रोन दीदी संध्या बारी उपस्थित रहे।
छत्तीसगढ़ मेें अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज का चयन
ड्रोन तकनीक इन हेल्थ केयर के लिए भारत सरकार द्वारा 25 मेडिकल कालेज का चयन किया गया है। इसमें 10 राज्य स्तरीय मेडिकल कॉलेज शामिल है।
छत्तीसगढ़ से राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंह देव मेडिकल कालेज अंबिकापुर को भी पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। शेष छत्तीसगढ़ से किसी भी मेडिकल कालेज को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। वहीं इसके अलावा रायपुर एम्स को यह सुविधा दी गई है।
आरती व संध्या संभालेंगी ड्रोन की कमान
ड्रोन संचालन व देख रेख के लिए स्व सहायता समूह की महिलाओं को जिम्मा दिया गया है। इसलिए नाम ड्रोन दीदी रखा गया है। महिला बाल विकास विभाग से समन्वय कर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने आराधना व उत्कर्ष समूह का चयन किया है। इसमें आराधना समूह से संध्या व उत्कर्ष समूह से आरती का चयन किया गया है।
इन दोनों को नई दिल्ली में डीजीसीए अप्रूव्ड रिमोट पायलट का प्रशिक्षण दिया गया है। इन दोनों ने एक बार में सफलतापूर्वक प्रशिक्षण हासिल किया है। डीन डॉ. रमण्ेश मूर्ति ने बताया कि ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण लेने में किसी भी व्यक्ति को दो लाख से ज्यादा का खर्च पड़ता है। लेकिन आरती व संध्या को नि:शुल्क ट्रेनिंग दी गई है। अंबिकापुर मेडिकल कालेज से ड्रोन को उड़ाने का काम आरती और उदयपुर में संध्या करेंगी।
1 किलो वजन का भेजा गया सैंपल
तीन माह बाद नई दिल्ली में इस सुविधा को लेकर विचार मंथन होगा। जिन-जिन मेडिकल कॉलेज में या सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, वहां से फीडबैक लिए जाएंगे। सभी अनुभवों के आधार पर व्यवस्था में और सुधार के साथ अगले चरण में देश के अन्य मेडिकल कॉलेज में भी यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी।
ड्रोन कंपनी के इंजीनियर ने बताया कि ट्रायल के दौरान लगभग 1 किलो वजन के सैंपल को बेहतर तरीके से पैक कर उदयपुर अस्पताल भेजा गया। अंबिकापुर से उदयपुर अस्पताल की हवाई दूरी लगभग 40 किलोमीटर की है।
ड्रोन के माध्यम से पांच किलो वजन तक का सामान 100 किलोमीटर से 120 किलोमीटर की हवाई दूरी तय कर आसानी से भेजा जा सकता है। ट्रायल के लिए छोटे और कम वजन का ड्रोन प्रयोग किया गया है।
Published on:
19 Feb 2024 08:22 pm
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