
हाथी मेरे साथी... मां से बिछड़कर अलग हुए शिशु हाथी को मिली नई जिंदगी, डॉक्टर बोले- बच्चे की तरह कर रहे देखभाल
अंबिकापुर. जशपुर के जंगल में विचरण के दौरान हाथियों के दल ने एक माह के शिशु हाथी को छोड़ दिया था। अपनी मां व दल से बिछड़ने के गम व जंगल का वातावरण नहीं मिलने से वह काफी कमजोर हो गया था। उसकी स्थिति मरने जैसी हो गई थी। ऐसे में वह गांव में भटक रहा था। ऐसे में वाइल्ड लाइफ सरगुजा ने हाथी के शावक को नई जिन्दगी दी है।
अब 14 माह का हो चुका है और उसकी पूरी देखभाल की जा रही है। अब उसे उसकी दुनिया यानी जंगल में छोड़ने को लेकर वाइल्ड लाइफ के सामने असमंजस की स्थिति है। इस बात को लेकर भी संशय है कि वह अभी अपने दल को पहचान पाता है या नहीं या दल उसकी पहचान कर उसे अपनाता है या नहीं।
करीब 1 वर्ष पूर्व जशपुर जिले के तपकरा वन परिक्षेत्र में हाथियों के दल से निकलकर एक नन्हा मादा हाथी गांव में आ गया था। सूचना मिलने पर जशपुर वन विभाग की टीम ने हाथी के बच्चे को अपने कब्जे में लिया था। उसे लगभग एक माह तक अपने पास रखा और उसके दल से मिलाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। एक माह तक अपने परिवार से न मिलने और जंगल का माहौल न मिलने के कारण वह बेहद कमजोर व बीमार हो चुका था।
इसके बाद उसे सूरजपुर जिले के रमकोला हाथी रेस्क्यू सेंटर लाया गया था। हाथी का शावक एक वर्ष से यहां रह रहा है। इसकी निगरानी में दो पशु चिकित्सक व वन विभाग की टीम को लगाया गया है।
अभी जंगल में छोड़ना उसकी जान पर खतरा
श्रीनिवासन ने बताया कि हाथी का शावक अब 14 माह का हो गया है। वह लगभग एक वर्ष से अपने दल से बिछड़ा हुआ है। अब उसकी स्थिति पहले से काफी बेहतर है। उसे अब जंगल में छोडऩे की तैयारी की जा रही है। जंगल में भी उसपर निगरानी रखी जाएगी। जिस दल से वह निकला था, उस दल को पहचानना उसके लिए बड़ी चुनौती होगी। वहीं दल उसे स्वीकार करता है या नहीं, इसे लेकर भी असमंजस की स्थिति है। जंगल में छोड़ने के बाद भी वाइल्ड लाइफ की निगरानी रहेगी।
डॉक्टर बोले- इंसान के बच्चों की तरह कर रहे देखभाल
चिकित्सक डॉ. अजीत ने बताया कि अब नन्हें हाथी की स्थिति पहले से बेहतर है। पिछले एक वर्ष तक उसे मेडिसिन व मिल्क फार्मूला देकर जीवित रखा गया है। उसने नेचुरल आहार लेना छोड़ दिया था, इसलिए वह काफी कमजोर हो गया था। अब उसकी स्थिति काफी बेहतर है। उन्होंने बताया कि शावक की देखभाल इंसान के बच्चों की तरह ही की जा रही है। काफी कमजोर हो जाने के कारण वह भोजन नहीं कर पा रहा था। इसलिए उसे प्रतिदिन लेक्टोजन दूध पाउडर का आहार बनाकर दिया जाता है। काफी मेहनत के बाद उसकी स्थिति में अब सुधार है।
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धीरे-धीरे हो रहा ग्रोथ
वाइल्ड लाइफ के डिप्टी डायरेक्टर के श्रीनिवासन ने बताया कि शावक के उपचार के लिए 2 पशु चिकित्सक व महावतों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रतिदिन उसका उपचार के साथ ही तरल आहार दिया जाता है। जिस समय रमकोला रेस्क्यू सेंटर में आया था, उसका वजन मात्र 90 किलो का था। अब उसका वजन लगभग 450 किलोग्राम हो गया है। अब धीरे-धीरे वह ग्रोथ कर रहा है और रेस्क्यू सेंटर में चहलकदमी करता है।
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पहले भी शावक को एक्सेप्ट कर चुका है हाथियों का दल
जिस तरह किसी भी बच्चे को उसकी मां नहीं छोड़ती है, वैसा ही हाथियों के साथ है। हाथी का शावक दल से बिछड़ा नहीं होगा, दल ने उसे छोड़ दिया गया होगा। इसके पीछे का कारण यह है कि शावक बीमार या कमजोर होने के कारण दल के साथ चलने के लायक नहीं होगा। ऐसे में दल ने उसे छोड़ा होगा, क्योंकि दल को आगे बढ़ते जाना है। शावक अभी 14 माह का है, कुछ और बड़ा होने पर जब उसे जंगल में छोड़ा जाएगा तो वह अपने दल को पहचान लेगा। हाथियों का दल भी उसे एक्सेप्ट कर लेगा। यह नैचुरल प्रोसेस है।
Published on:
11 Sept 2023 12:38 pm
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