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अंबिकापुर. संभाग के सबसे बड़े मेेडिकल कॉलेज अस्पताल में सोमवार को अंधविश्वास का ड्रामा काफी देर तक चला। अस्पताल के सर्जिकल वार्ड नंबर 3 में भर्ती एक मरीज के परिजन का दवा से विश्वास उठ गया तो उन्होंने बैगा को बुलाकर झाडफ़ूंक कराना शुरू कर दिया। झाडफ़ूंक लगभग डेढ़ घंटे तक चला। इस दौरान वार्ड में काफी संख्या में लोग देखने पहुंच गए। वहीं अस्पताल प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगी।
गौरतलब है कि बतौली थाना क्षेत्र के ग्राम बोदा निवासी 25 वर्षीय दिल मोहन पिता पृथ्वी कंवर दो दिन पूर्व आम तोडऩे के दौरान पेड़ से गिर गया। परिजन ने उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया है। उसका इलाज चल रहा है। गंभीर चोट होने के कारण दिलमोहन शांत रह रहा है।
इसे देख परिजन को लगा कि उसके ऊपर भूत-प्रेत का साया है और वे अंधविश्वास के फेर में पड़ गए। परिजन ने अपने गांव के ही बैगा शिवकुमार पिता जयनाथ को इसकी जानकारी दी। वह सोमवार की सुबह लगभग 11.30 बजे मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचा और सर्जिकल वार्ड क्रमांक-3 के बेड नंबर 25 पर भर्ती दिलमोहन का झाडफ़ूंक करना शुरू कर दिया।
झाडफ़ूंक का ढोंग काफी देर तक चला। इस दौरान बैगा कई हरकतें कर रहा था। वह कभी मंत्र पढ़ रहा था तो कभी मरीज को पानी पिला रहा था। झाडफ़ूंक कर रहे बैगा ने बताया कि उसके ऊपर बुरी आत्मा का साया है और वह इसे परेशान कर रही है।
दूसरे मरीज ने भी कराया झाडफ़ूंक
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जिकल वार्ड नंबर 3 के बेड नंबर 25 के मरीज दिलमोहन का बैगा द्वारा झाडफ़ूंक कराया जा रहा था। इसे देख दूसरे मरीज ने भी अपना झाडफ़ूंक कराना शुरू कर दिया। शहर से लगे सोनपुर निवासी 40 वर्षीय मोहन पिता बहुरन शुक्रवार को सड़क दुर्घटना में घायल हो गया। परिजन ने उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया है। बगल के मरीज को झाडफ़ूंक कराते देख उसने भी अपना झाडफ़ूंक कराना शुरू कर दिया।
अस्पताल प्रबंधन को नहीं थी जानकारी
अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में लगभग डेढ़ घंटे तक बैगा द्वारा झाडफ़ूंक का खेल चलता रहा लेकिन अस्पताल प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगी। वहीं झाडफ़ूंक का खेल देखने के लिए वार्ड में काफी संख्या में लगे पहुंच गए। वहीं वार्ड में भर्ती अन्य मरीज यह सब देख डरे-सहमे नजर आए।
कई हरकतें करता रहा बैगा
अस्पताल में झाडफ़ूंक के दौरान बैगा कई हरकत कर रहा था। इस दौरान वह कभी मरीज के पास जाकर मंत्र पढ़ रहा था तो कभी जमीन पर गमछा बिछाकर मंत्र पढ़ रहा था। बैगा का कहना था कि मैं पिछले दशहरा से यह काम कर रहा हूं। झाडफ़ूंक करने के लिए में कुछ नहीं लेता हूं, मैं लोगों को भला करता हूं।
जानकारी मिली तो बंद कराया झाडफ़ूंक
मुझे झाडफ़ूंक की जानकारी नहीं थी। जब मुझे जानकारी मिली तो मैंने जाकर इसे बंद करवा दिया। अस्पताल में झाडफ़ूंक कराने के लिए प्रबंधन द्वारा कोई अनुमति नहीं दी गई है। लेकिन अस्पताल चारों ओर से खुला है, लोग कहीं से भी अंदर प्रवेश कर जाते हैं।
Dr. व्हीके श्रीवास्तव, उप अधीक्षक मेडिकल कॉलेज अस्पताल
Published on:
04 Jun 2018 08:22 pm
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