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विधायक ने बांध में उतरकर किया जल सत्याग्रह, हर आधे घंटे में 5 कदम बढ़ा रहे थे गहराई की ओर, फिर…

महिला के डेम में डूब जाने के बाद विधायक पर भड़के थे ग्रामीण, इसके बाद विधायक ने ग्रामीणों के साथ 3 घंटे तक पानी में किया सत्याग्रह

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MLA jal satyagrah

MLA in Jal satyagrah

अंबिकापुर. घुनघुट्टा डेम में आए दिन हो रहे हादसे में किसी न किसी की मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने लुण्ड्रा विधायक की अगुवाई में मंगलवार को जल सत्याग्रह कर विरोध जताया। लगभग तीन घंटे से भी अधिक समय तक कांग्रेसियों के साथ ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह किया। लेकिन काफी देर तक किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के मौके पर नहीं पहुंचने से नाराज विधायक हर आधे घंटे में पानी की गहराई की और 5 कदम बढ़ रहे थे।

इसकी जानकारी लगते ही तत्काल मौके पर एसडीएम पहुंचे। उन्होंने कलक्टर से मोबाइल पर चर्चा की तथा लवईडीह ग्राम पंचायत में जल्द ही पुल निर्माण किए जाने का आश्वासन दिया। इसके बाद विधायक व ग्रामीणों ने नदी से बाहर निकलकर सत्याग्रह खत्म किया। यदि दो घंटे और प्रशासन की टीम वहां नहीं पहुंचती तो बड़ी घटना सामने आ सकती थी।


ग्राम लवईडीह निवासी महिला देवमुनिया सोमवार को कृषि कार्य करने के लिए घुनघुट्टा डेम के डूबान क्षेत्र से होकर दूसरी तरफ भंैस को लेकर सुबह 10 बजे जा रही थी। इस दौरान उसने भैंस को नदी में छोड़ दिया और वह खुद ट्यूब के ऊपर लकड़ी रखकर दूसरी तरफ जा रही थी।

जैसे ही नदी के बीच पहुंची वह भंवर में फंस गई और थोड़ी देर में ही वह ट्यूब सहित नदी में डूब गई। दिनभर लोगों के साथ एसडीआरएफ की टीम के गोताखोरों ने भी उसे ढूंढने का प्रयास किया, लेकिन पानी का बहाव तेज होने से उसका कहीं पता नहीं चला। इससे नाराज होकर लवईडीह ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने मंगलवार को लुण्ड्रा विधायक चिंतामणी महाराज का घेराव किया और यहां तक कह डाला कि आप कोई पहल नहीं कर रहे हैं।

इसकी वजह से प्रशासन लवईडीह की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। इसके बाद विधायक चिंतामणी महाराज ने बताया कि दो वर्ष पूर्व ही सरगुजा-कोरिया विकास प्राधिकरण की बैठक में लवईडीह में पुल निर्माण के लिए 25 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई थी। लेकिन आज तक पुल का निर्माण नहीं हो सका।

इस पर उन्होंने गांव वालों के साथ मंगलवार की सुबह जल सत्याग्रह करने का निर्णय लिया। मंगलवार की सुबह 9 बजे से ग्रामीणों के साथ विधायक व जिला पंचायत सदस्य राकेश गुप्ता लवईडीह पहुंच गए। क्षेत्र के महिला-पुरुष भी उनके साथ हो लिए, लेकिन जल सत्याग्रह रोकने के लिए कोई भी प्रशासन का अधिकारी वहां मौजूद नहीं था।

सुबह 10 बजे लुण्ड्रा विधायक चिंतामणी महाराज व राकेश गुप्ता गांव वालों के साथ नदी में उतर गए। वे काफी अंदर तक जाकर पानी में खड़े हो गए। लगभग डेढ़ घंटे तक वहां कोई नहीं पहुंचा तो विधायक ने हर आधे घंटे में नदी की गहराई की तरफ जाने का निर्णय लिया और गहराई की तरफ जाना शुरू कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही तहसीलदार इरशाद अहमद वहां पहुंचे। लेकिन उनकी एक न चली।


कलक्टर या एसडीएम आकर बात करें
विधायक समेत ग्रामीणों ने कहा कि उनसे या तो कलक्टर बात करें या फिर एसडीएम आकर उनकी समस्याओं की तरफ ध्यान दें। विधायक लगातार गहराई की तरफ पानी में बढ़ रहे थे। इसकी सूचना मिलते ही अंबिकापुर एसडीएम अजय त्रिपाठी मौके पर पहुंचे। उन्होंने विधायक से चर्चा की और उनकी बातों को कलक्टर किरण कौशल को मोबाइल पर दी।

कलक्टर ने जल्द ही लवईडीह में पुल निर्माण किए जाने का आश्वासन दिया। इसके बाद जल सत्याग्रह समाप्त हुआ। इस दौरान सैय्यद अख्तर हुसैन सहित काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।


4 साल में 15 की डूबकर हुई है मौत
गांव वालों ने लुण्ड्रा विधायक को कहा कि जब लवईडीह के लोगों को कोई नहीं सुनता है तो हम सभी नदी में ही डूब जाते हैं। हमारी न तो प्रशासन को चिंता है और न ही किसी जनप्रतिनिधि को। उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्ष के दौरान यहां 15 से अधिक लोग डूबने से अपनी जान गंवा चुके हैं।


नहीं पता चला महिला का
इधर गांव वाले जल सत्याग्रह कर रहे थे तो दूसरी तरफ एसडीआरएफ की टीम महिला को पानी में डूबने वाले जगहों पर तलाश रही थी। सोमवार की सुबह 10 बजे से डूबी महिला का मंगलवार की दोपहर तक कहीं भी पता नहीं चला।


दो हिस्सों में बट गया है लवईडीह
घुनघुट्टा डेम के बनने के बाद लवईडीह का बड़ा हिस्सा बांध के डूबान क्षेत्र में आ गया है। इसकी वजह से एक ही ग्राम पंचायत दो हिस्सों में बट गया है। एक तरफ लगभग 350 लोग तथा दूसरी तरफ 500 लोग रहते हैं। हर दिन लोग अपने जरूरी काम के लिए पानी को पार कर जाते हैं। पहाड़ी नदी होने की वजह से कई बार पानी बढ़ जाता है और लोग डूब जाते हंै।


100 से अधिक महिलाएं हुईं शामिल
जल सत्याग्रह में सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं शामिल हुईं। इसमें लवईडीह के साथ पोडि़पा और अन्य क्षेत्र की काफी संख्या में महिलाएं थी। उन्होंने पुलिया निर्माण की मांग को लेकर आवाज बुलंद की।


ग्रामीणों की परेशानियों को देखते हुए दी गई थी नाव
गांव वालों की परेशानियों को देखते हुए तात्कालीन कलक्टर ऋतु सैन ने जिला पंचायत व डीएमएफ मद से कोलकाता से एक मोटर चलित नाव मंगाकर दिया था। कुछ दिनों तक इस नाव का उपयोग भी ग्रामीणों ने किया। लेकिन मैनपाट कार्निवाल के नाम पर वोट को प्रशासन द्वारा भेज दिया गया था। बाद में इसे लिबरा ग्राम पंचायत की समूह को नौकायान चलाने के नाम पर दे दिया गया।


नाव नहीं स्थायी हल की मांग
गांव वालों को एसडीएम ने कहा कि तत्काल नाव की सुविधा यहां कर दी जाएगी। इसपर ग्रामीणों ने कहा गांव के 15 बच्चे ऐसे हैं जो हर दिन सुबह पानी में पार कर दूसरी तरफ पढ़ाई करने जाते हैं और जब तक वे वापस नहीं लौट जाते परिवार वालों को उनकी चिंता सताती है। उन्हें नाव नहीं बल्कि स्थायी पुल चाहिए। इस पर सरगुजा-कोरिया विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत २५ लाख रुपए से पुल निर्माण कराने की बात कही गई।


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