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इस मेडिकल कॉलेज में MBBS की 100 सीटों पर इस वर्ष नहीं मिलेगा दाखिला, एमसीआई ने घोषित किया जीरो इयर

एमसीआइ की गवर्निंग बॉडी ने फैकल्टी व अन्य जरूरी सुविधाओं की कमी दूर नहीं करने के कारण इस वर्ष 100 सीटों की मान्यता देने से किया इनकार

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Medical college Ambikapur

Medical college

अंबिकापुर. स्वास्थ्य मंत्री के गृहक्षेत्र में संचालित एकमात्र शासकीय मेडिकल कॉलेज को जीरो इयर घोषित कर दिया गया है। एमसीआई की गवर्निंग बॉडी ने फैकल्टी और अन्य जरूरी सुविधाओं की कमी दूर नहीं कर पाने के कारण एमबीबीएस की 100 सीटों की मान्यता देने से इनकार कर दिया है।

अब कॉलेज प्रबंधन व चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एमसीआइ के निर्णय के खिलाफ केंद्र सरकार के पास गुहार लगाएंगे।


चार वर्ष में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज को एमसीआई के गवर्निंग बॉडी ने दूसरी बार जीरो इयर घोषित किया है। इससे पूर्व एमसीआई द्वारा जीरो इयर घोषित होने के बाद राज्य सरकार की पहल पर केंद्र सरकार द्वारा खिलाफ में गए निर्णय को रातों-रात पलट दिया गया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की विशेष पहल पर मान्यता प्रदान की गई थी।

जीरो इयर का मतलब इस वर्ष एमबीबीएस के 100 छात्र-छात्राएं एडमिशन से वंचित हो जाएंगे। एमसीआई ने जीरो इयर घोषित करने के साथ जो कारण बताए हैं वे पिछले चार वर्ष से बने हुए हैं।

हालांकि अब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जीरो इयर घोषित होने पर अपने बचाव में यह कहा जा रहा है कि एमसीआइ के निर्णय के खिलाफ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के समक्ष आवेदन पेश करेंगे। प्रबंधन का कहना है कि फैकल्टी की कमी 20 प्रतिशत से भी कम कर दी गई है। ऐसे में जीरो इयर घोषित किया जाना काफी आश्चर्यजनक है।


फैकल्टी की कमी नहीं हुई है दूर
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विष्णु दत्त का कहना है कि फैकल्टी की जो कमी बनी हुई थी वह 20 प्रतिशत से कम कर ली गई है। लेकिन कॉलेज के कुछ डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

कुछ डॉक्टर जॉब की सिक्योरिटी नहीं होने की वजह से नौकरी छोड़कर चले गए हैं। अन्य जगहों पर जॉब की सिक्योरिटी दी जा रही है। अभी भी फैकल्टी की कमी 30 प्रतिशत बनी हुई है। यह सब एमसीआइ की रिपोर्ट में है।


चुनाव की वजह से नहीं खरीद पाए जरूरी उपकरण
पूर्व के निरीक्षण में सीटी स्कैन मशीन की कमी बताई गई थी। इसके साथ ही एक्स-रे मशीन, सोनोग्रॉफी मशीन सहित अन्य उपकरणों की कमी बताई गई थी।

इसमें से कुछ उपकरणों की खरीदी की गई, लेकिन वह भी निरीक्षण के बाद। सीटी स्कैन मशीन संचालन के लिए एटॉमिक एनर्जी रेग्यूलटरी बोर्ड से मान्यता ही नहीं ली गई है। अभी तक इसका इंस्टालेशन भी नहीं किया गया है।


चार वर्ष में नहीं करा पाए अधूरे निर्माण को पूरा
एमसीआई पिछले चार वर्ष के निरीक्षण में सबसे महत्वपूर्ण कमी अधोसरचना विकास को बता रही है। हर वर्ष एमसीआई द्वारा उसी कमी को बताया जाता है। इसके बावजूद आज भी वे काम पूरे नहीं हो सके हंै। सीजीएमएससी के माध्यम से मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में निर्माण कार्य कराए जा रहे हंै।

वह आज भी अधूरे पड़े हंै। सीजीएमएससी की कार्यप्रणाली पर शुरू से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उसके सुस्त निर्माण कार्य की वजह से हर वर्ष मान्यता मिलने में अधूरा निर्माण एक मुख्य वजह बनती आ रही है।


हॉस्टल की व्यवस्था पर्याप्त नहीं
मेडिकल कॉलेज में हॉस्टल की कमी अभी भी बनी हुई है। लड़कियों के लिए संचालित हॉस्टल में ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। उसे भी एमसीआई ने कमी माना है।


केंद्र सरकार से लगाएंगे गुहार
कॉलेज प्रबंधन अब केंद्र सरकार से गुहार लगाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन इसके लिए राजनीति इच्छा शक्ति सबसे जरूरी है। एमसीआई द्वारा मान्यता नहीं देने की वजह की विस्तृत रिपोर्ट 10 से 15 दिन के अंदर प्रेषित की जाएगी।


मान्यता नहीं देना आश्चर्यजनक
फैकल्टी की कमी 20 प्रतिशत से कम कर ली गई थी। 17 मई की बैठक में एमसीआई को इसकी रिपोर्ट भी दी गई थी। ऐसे में मान्यता नहीं देना काफी आश्चर्यजनक है। कुछ पुराने निर्माण कार्य जो काफी धीरे किए जा रहे हैं। इसके साथ ही चुनाव की वजह से कुछ जरूरी उपकरण भी समय पर नहीं खरीद पाना एक बड़ी वजह हो सकती है।
डॉ. विष्णु दत्त, डीन, मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर


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