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CGPSC 2016: 12 साल की उम्र में सिर से उठा पिता का साया, मां के संघर्षों से पारुल को सीजीपीएससी में 15वां रैंक

अंबिकापुर की बेटी पारुल अग्रवाल ने अपने पहले ही प्रयास में पाई सफलता, किसान के बेटे मिला 73वां रैंक, उमंग को 78वां रैंक

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CGPSC 2016

Parul Agrawal with his family

अंबिकापुर. मां के संघर्ष की वजह से पारूल ने वह मुकाम हासिल किया, जिसकी उसे उम्मीद भी नहीं थी। सीजीपीएससी की परीक्षा में 15वां रैंक प्राप्त करने के बाद उससे कहीं ज्यादा उसकी मां और परिवार के लोग खुश नजर आ रहे हैं। 12 साल की उम्र की थी इसी दौरान पिता के गुजरने के बाद इस संघर्ष में मां के साथ जितने भी लोगों ने उसका सहयोग दिया उनका आभार जताया। आगे यूपीएससी की परीक्षा को फोकस रख पारुल अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं।


12 वर्ष की उम्र में नगर के जय स्तंभ चौक निवासी पारूल अग्रवाल के पिता मदन अग्रवाल के गुजरने के बाद उसे माता गीता देवी अग्रवाल ने परिवार को बिखरने नहीं दिया। मां के संघर्ष ने उसे हमेशा प्रेरित किया। मां की पे्ररणा ही पारुल को हमेशा एक ऊंचा मुकाम हासिल करने के लिए प्रोत्साहित भी करता रहा।

इसी का परिणाम है कि आज वह सीजीपीएससी की परीक्षा में पूरे प्रदेश में 15वां रैंक हासिल कर मां के संघर्ष को सार्थक अंजाम तक पहुंचाया। पत्रिका से चर्चा करते हुए पारूल अग्रवाल ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा उसने होलीक्रॉस कान्वेंट स्कूल से पूरी की। इसके बाद उसने शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर से इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उसने अपना फोकस सिविल सर्विस की तरफ किया।

सीजीपीएससी की परीक्षा के लिए उसने दीक्षा एकेडमी से कोचिंग की। पारूल अग्रवाल ने बताया कि उसे सिविल सर्विसेज की परीक्षा के लिए नायब तहसीलदार अमृता सिंह रायपुर ने काफी प्रोत्साहित किया। उनकी मोटिवेशन की से इस दिशा में आगे बढऩे के लिए कदम बढ़ाया और पहली प्रयास में ही परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।

पारुल ने बताया कि उसका मुख्य फोकस यूपीएससी की परीक्षा देकर प्रशासनिक सेवा में जाना है। इसके लिए उसे परिवार का भरपूर सहयोग भी मिल रहा है। उसकी बहन मिनाक्षी अग्रवाल व भाई निखिल अग्रवाल ने उसे भरपूर सहयोग प्रदान किया। उन्होंने बताया कि वे रोजाना ६ घंटे पढ़ाई करती थी।

लेकिन परीक्षा के समय उन्होंने पढ़ाई का समय बढ़ाकर 10 घंटे कर दिया था। विभिन्न परीक्षा के प्रतिभागियों को उन्होंने कहा कि जो भी तैयारी करें, उसपर अपना पूरा ध्यान दें। सफलता निश्चित मिलेगी।

सेल्फ स्टडी से मिला मुकाम
सीजीपीएससी परीक्षा में 78 वां रैंक हासिल करने वाली अंबिकापुर के ब्रम्हरोड निवासी उमंग जैन ने बताया कि उनकी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा होली क्रास कान्वेंट स्कूल से पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने होली क्रास वूमेंस कॉलेज से बीकॉम में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ शिक्षिकों ने सिविल सर्विसेज की तरफ ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया।

इसके बाद उन्होंने इसकी तैयारी की। इंटरनेट के माध्यम से परीक्षा का सिलेबस देखा और उसकी तैयारी भी खुद की। उन्होंने बताया कि उनके पिता ईश्वर चंद जैन व उनके परिवार द्वारा कभी भी उनकी पढ़ाई पर रोक नहीं लगाया गया बल्कि हमेशा सपोर्ट ही किया। इसके बावजूद उन्होंने कोचिंग की जगह घर में ही पूरी पढ़ाई की।

पूरी तैयारी इंटरनेट के माध्यम से की। उन्होंने बताया कि कभी भी उन्होंने पढ़ाई के लिए समय तय नहीं किया। कभी १ घंटा पढ़ाई की तो कभी जरूरत के हिसाब से पूरी रात जाग कर पढ़ाई की।

किसान के शिक्षाकर्मी बेटे को मिला 73वां रैंक
सीतापुर. छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में सीतापुर क्षेत्र के पेटला पतरापारा निवासी कृषक शंभू गुप्ता के पुत्र सुनील गुप्ता ने सफलता हासिल करते हुए 73वां रैंक हासिल किया है। उनके चयन से परिजन व क्षेत्रवासी काफी गौरवान्वित हैं। सुनील ने बालक उमावि सीतापुर से बारहवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने के बाद डीएड किया फिर शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के लिए चयनित होकर वर्ष 2003 से 2007 तक लुंड्रा में पदस्थ रहे।

इसके बाद उनकी नौकरी लैब टेक्निशियन के पद पर शासकीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज में लगी, वे भी यहीं पदस्थ हैं। सुनील ने बताया कि शिक्षाकर्मी की नौकरी के दौरान उनकी मुलाकात लुंड्रा सीईओ पी. दयानंद से हुई थी और उन्हीं का मार्गदर्शन मिलने के बाद उन्होंने पीएससी की तैयारी शुरू की थी और तीसरे प्रयास में सफलता मिल गई।

उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, गुरू व साथियों को दिया है। वहीं सीजीपीएससी में सीतापुर से रागिनी सिंह ने भी 126वां रैंक हासिल कर क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। रागिनी सीतापुर बीईओ मिथलेश सिंह सेंगर की पुत्री हैं। वे पहले ही प्रयास में सफल हुईं हैं। रागिनी ने इलेक्ट्रिकल्स व इलेक्ट्रॉनिक्स में बीई किया है। उन्होंने भी अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, गुरू व साथियों को दिया है।

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