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Ramgarh Mahotsava: रामगढ़ महोत्सव कल से, भगवान श्रीराम ने यहां किया था विश्राम, रामायण कालीन धरोहरों से है समृद्ध

Ramgarh Mahotsava: आषाढ़ माह के प्रथम दिवस 11 और 12 जून को दो दिवसीय होगा रामगढ़ महोत्सव, होंगे कई सांस्कृतिक कार्यक्रम से लेकर कवि सम्मेलन, सांसद चिंतामणि महाराज होंगे मुख्य अतिथि

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Ramgarh Mahotsava

Sita Bengra cave

अम्बिकापुर. प्राकृतिक संपदा और ऐतिहासिक-धार्मिक मान्यताओं से परिपूर्ण रामगढ़ में इस वर्ष भी रामगढ़ महोत्सव (Ramgarh Mahotsava) का आयोजन किया जाएगा। आषाढ़ माह के प्रथम दिवस 11 और 12 जून को दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव का भव्य आयोजन होगा, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी, विद्यालयीन प्रस्तुतियां और कवि सम्मेलन से लेकर शास्त्रीय नृत्य व संगीत तक की रंगारंग प्रस्तुतियां शामिल होंगी।

भगवान राम ने किया था विश्राम

रामगढ़ (Ramgarh Mahotsava) पहाड़ी के 1000 फीट की ऊंचाई पर राम-जानकी मंदिर स्थित है। वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम मंदिर स्थल के अरण्य क्षेत्र में विश्राम किया था। मंदिर से 50 मीटर की दूरी में पश्चिमी एवं उत्तर की दिशा में राम जानकी कुण्ड स्थित है। मान्यता है कि यहां पर माता सीता स्नान करने आती थीं।

इस कुण्ड के जल को अत्यंत पवित्र माना जाता है। रामगढ़ की पर्वतीय चट्टानों के नीचे प्राकृतिक गुफा है जहां की चंदन मिट्टी से भगवान श्रीराम एवं लक्ष्मण ने अपनी जटाओं को धोकर साफ किया था। इस वजह से लोग चंदन मिट्टी को पवित्र मानकर अपने माथे पर लगाते हैं।

ऐतिहासिक विरासत से जुड़ा रामगढ़

उदयपुर का रामगढ़ (Ramgarh Mahotsava) प्राकृतिक वन संसाधनों और अपने ऐतिहासिक मान्यताओं की वजह से देश भर में प्रसिद्ध हैं। यहां रामायण कालीन साक्ष्य मिलते हैं, भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के दौरान माता सीता और लक्ष्मण ने यहां रहकर कुछ समय बिताया था।

रामगढ़ में 200 ईपू भरत मुनि ने अपनी नाट्यशाला की स्थापना की थी। शिलालेख के अनुसार यह विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला है। इसी स्थान पर महाकवि कालीदास ने विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ मेघदूत की रचना की।

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निरंतर बह रही पतली जलधारा

रामगढ़ पहाड़ी अपने आप में अद्भुत है, पहाड़ी के 900 फीट ऊंचाई पर बड़े तुर्रा स्थित है, जहां से एक पतली जलधारा निरंतर बह रही है। यहां पर पक्का टैंक बनाकर पानी को उपयोग में लिया जाता है। रामगढ़ (Ramgarh Mahotsava) पहाड़ी और सीताबेंगरा के नीचे एक हाथी पोल सुरंग है जिसे ऋक्ष बिल के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम रामगढ़ से लक्ष्मणगढ़ की ओर इसी ऋक्ष बिल से पहुंचे थे।

सांस्कृतिक विरासत और जनआस्था का संगम

रामगढ़ महोत्सव (Ramgarh Mahotsava) न केवल एक सांस्कृतिक आयोजन है, बल्कि यह क्षेत्र की धार्मिक, ऐतिहासिक और जनआस्थाओं से जुड़ी विरासत को जीवंत बनाए रखने का माध्यम भी है। यह महोत्सव युवाओं, शोधार्थियों, साहित्यकारों, कलाकारों और आम जनता के लिए एक अद्भुत अवसर है कि वे रामगढ़ की गरिमा और गौरव को आत्मसात कर सकें।

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वर्ष 1972-73 से हुई थी महोत्सव की शुरूआत

जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 1972-73 से आषाढ़ माह के प्रथम दिवस पर प्रारंभ किए गए रामगढ़ महोत्सव का आयोजन इस वर्ष 11 व 12 जून 2025 को किया जा रहा है। दो दिवसीय महोत्सव (Ramgarh Mahotsava) में राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी, शास्त्रीय नृत्य, कवि सम्मेलन, विद्यालयीन व महाविद्यालयीन प्रस्तुतियां, तथा संजय सुरीला सहित बाह्य कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र रहेंगी।

Ramgarh Mahotsava: सांसद होंगे मुख्य अतिथि

महोत्सव (Ramgarh Mahotsava) में मुख्य अतिथि सरगुजा सांसद चिंतामणि महाराज शामिल होंगे, कार्यक्रम की अध्यक्षता अम्बिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल करेंगे। विशिष्ट अतिथि लुण्ड्रा विधायक प्रबोध मिंज, सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो, गृह निर्माण मंडल अध्यक्ष अनुराग सिंह देव, राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह तोमर, जिला पंचायत अध्यक्ष निरुपा सिंह व महापौर मंजूषा भगत शामिल होंगे।