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यहां के आरटीओ ऑफिस में एजेंटों के बिना नहीं बनते लाइसेंस, ज्यादा रुपए खर्च करने पर बनते हैं दूसरे राज्य के लोगों के भी

RTO: शासकीय नियम के अनुसार लाइसेंस (Licenses), नवीनीकरण, आरसी व फिटनेस से जुड़े कार्य कराने पहुंचा व्यक्ति चक्कर काटते-काटते हो जाता है परेशान, आरटीओ अधिकारी (RTO officer) की भी मिली हुई है सह

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यहां के आरटीओ ऑफिस में एजेंटों के बिना नहीं बनते लाइसेंस, ज्यादा रुपए खर्च करने पर  बनते हैं दूसरे राज्य के लोगों के भी

Ambikapur RTO office

अंबिकापुर. लाइसेंस, नवीनीकरण, आरसी या फिटनेस से जुड़े सहित अन्य सभी कार्य के लिए परिवहन विभाग कार्यालय (RTO office) पहुंचने वालों को चक्कर ही काटने पड़ते हैं। इसके बाद भी काम नहीं हो पाता है।

आरटीओ (RTO) के अधिकारी व बाबू लोगों को इतना परेशान कर देते हैं कि वे स्वयं एजेंटों (Agents) के दुकान में पहुंच जाते हैं, फिर वे उनका मोटा मुनाफा वसूल मिनटों में काम करा देते हैं। इसके लिए एजेंट विभाग के अधिकारी व बाबू को भी मोटी रकम पहुंचाते हैं।

कर्मचारियों को इसका तनिक भी भय नहीं रहता है, क्योंकि उन्हें उनके अधिकारी का भी संरक्षण मिला हुआ है। कुल मिलाकर विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण आम लेागों को मुश्किल झेलनी पड़ रही है। परिवहन विभाग कार्यालय में हर काम के दाम एजेंटों ने निर्धारित कर रखे हैं।

आवेदक की वेशभूषा, आवश्यकता देख इसे घटाया-बढ़ाया भी दिया जाता है। अस्थाई से लेकर स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन फीस जमा करने की प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। इसके बाद निर्धारित तिथि का स्लॉट मिल जाता है, जिस पर बायामैट्रिक (Bio-metric) के लिए पहुंचना होता है।

आवेदन की कॉपी, पहचान पत्र, आयु प्रमाण पत्र और फोटो साथ लेकर जाने होते हैं। ऑनलाइन आवेदन के तामझाम से बचने के लिए, गड़बड़ी होने के डर से बहुत से आवेदक सीधे कार्यालय पहुंच जाते हैं। इसके बाद कार्यालय परिसर के बाहर बनी दुकानों से खेल शुरू होता है। अस्थाई से लेकर स्थाई लाइसेंस के दाम तय कर लिए जाते हैं।

ये चार से पांच हजार तक होते हैं। फीस अलग से देनी होती है। बायोमैट्रिक के लिए कतार में नहीं लगने का प्रलोभन दिया जाता है। अस्थाई लाइसेंस (License) के लिए होने वाले टेस्ट में पास कराने का लालच दे एजेंट डील करते हैं।


एजेंट बनवा देते हैं लोकल पता
आरटीओ अधिकारियों की मिली भगत से एजेंट द्वारा बाहरी लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस बनाया जा रहा है। इसके लिए सारे नियम ताक पर रखे जा रहे हंै। एजेंट द्वारा जारी फाइल को आरटीओ अधिकारी द्वारा जांचा भी नहीं जाता है है। बाहरी लोगों का एजेंट द्वारा लोकल पता दर्शा दिया जाता है। जबकि वे यहां के निवासी भी नहीं रहते हैं।


सीधी बात- मृत्युंजय पटेल, आरटीओ अधिकारी
सवाल- क्या दूसरे प्रदेश के लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का नियम है।
आरटीओ अधिकारी- नियम में है। वह अस्थाई रूप से यहां का निवासी होना चाहिए।
सवाल- अस्थाई निवासी नहीं होने के बाद भी लाइसेंस बनाया जा रहा है।
आरटीओ अधिकारी- ज्यादा नहीं बन रहा है।


सवाल- यानी बन रहा है।
आरटीओ अधिकारी- नहीं पूर्ण रूप से बंद है। जो लोग यहां रहकर काम कर रहे हैं या अस्थाई रूप से रह रहे हैं केवल उन्हीं का बनाया जा रहा है।


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