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छत्तीसगढ़ के इस शहर में गिरते जलस्तर ने बढ़ाई चिंता, अभी नहीं चेते तो एक-एक बूंद के लिए करनी पड़ेगी मशक्कत

Water level: ग्राउंड वाटर लेवल का लगातार घटना, बढ़ते शहरीकरण, ग्राउंड वाटर का अंधाधुंध दोहन और जल खपत की मात्रा के मुताबिक रिचार्ज नहीं होना इस समस्या की जड

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छत्तीसगढ़ के इस शहर में गिरते जलस्तर ने बढ़ाई चिंता, अभी नहीं चेते तो एक-एक बूंद के लिए करनी पड़ेगी मशक्कत

Ambikapur City

अंबिकापुर. शहर की जनसंख्या बढऩे के साथ ही यहां का जलस्तर (Water level) भी गिरता जा रहा है। अगर अभी भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में जल संकट गहरा जाएगा। कई क्षेत्रों में अभी से पानी का स्तर काफी नीचे चले गया है। यहां ग्राउंड वाटर लेवल का लगातार घटना, बढ़ते शहरीकरण, ग्राउंड वाटर का अंधाधुंध दोहन और जल खपत की मात्रा के मुताबिक रिचार्ज नहीं होना इस समस्या की जड़ है।

विशेषज्ञों की अगर मानें तो पहले की अपेक्षा शहर में तुलनात्मक रूप से बारिश कम हुई है और पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई व प्राकृतिक जल स्त्रोत पर कब्जा करने की होड़ ने अंबिकापुर जैसे शहर को जल संकट की तरफ धकेल दिया है। समय रहते इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया तो शहर के लोगों को एक-एक बूंद पानी के लिए मशक्कत करनी होगी।


अंबिकापुर नगर निगम की जनसंख्या जहां वर्ष 2011 में जहां 1 लाख 21 हजार 71 थी, वहीं वर्ष 2020 में बढक़र यह जनसंख्या 1 लाख 95 हजार 575 हो गई है। आंकड़ों के अनुसार लगातार शहर की जनसंख्या बढ़ती ही जा रही है, लेकिन जल के स्रोत लगातार घटते जा रहे हैं।

जहां लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक जल स्त्रोत को पाटकर उसके आसपास कब्जा करना शुरू कर दिया है, वहीं नदी का अस्तित्व ही प्रशासन व अधिकारियों की उदासीनता की वजह से खतरे में आ गया है।

लगातार गिरते जल स्तर पर एक नजर डाले तो कई क्षेत्र में गर्मी से पहले ही सूखे की स्थिति निर्मित हो जाएगी और अधिकारी से लेकर नगर निगम का पूरा अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा रह जाएगा।


बांक नदी की स्थिति बेहद चिंताजनक
बांक नदी कभी शहर की सभी जरूरतों को पूरा करती थी, आज इस पर बढ़ती आबादी का बोझ आ गया है। एक आंकड़े के अनुसार बांक नदी पूरी तरह से अब नाले में परिवर्तित हो चुकी है और उसके चारों तरफ लोगों ने कब्जा कर उसके बहाव को भी रोक दिया है। अब बांक नदी का एक फीसदी पानी भी मानवीय प्रयोग में नहीं आता है।

बारिश में लगातार कमी, वाटर रिचार्जिंग नहीं के बराबर होना और शहरीकरण के कारण शहर के कई हिस्सों में प्राकृतिक रूप से अस्तित्व में रहे तालाब तेजी से समाप्त हो गए हैं। इसकी वजह से शहर का जलस्तर लगातर गिरता ही जा रहा है।


कांक्रीटीकरण एक बड़ी वजह
ग्राउंड वाटर की रिचार्जिंग और इसके लेवल में गडबड़ी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भूगोल विभाग के डॉ. रमेश जायसवाल ने बताया कि पहले शहर की जनसंख्या कम थी, लेकिन समय के साथ शहर की जनसंख्या काफी बढ़ गई है।

इसके साथ ही शहर का कांक्रीटीकरण भी हो गया है। पहले घर में मिट्टी का आंगन होता था, लेकिन अब विकास के नाम पर लोग घरों के आंगन में भी टाइल्स लगवा रहे हैं, इसकी वजह से बारिश का पानी ठहरने की वजह से पूरा पानी वेस्ट हो जा रहा है।


पेड़ों की अंधाधुध कटाई से बढ़ी परेशानी
डॉ. रमेश जायसवाल ने बताया कि शहर में पहले काफी हरियाली नजर आती थी लेकिन विकास के नाम पर न केवल अंबिकापुर बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई व उस स्तर पर पौधरोपण नहीं होने की वजह से शहर का जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। पिछले वर्षों में हुई बारिश की तुलना की जाए तो काफी कम बारिश भी लगतार गिरते जलस्तर की मुख्य वजह है।

ये हैं कन्सर्न
० ग्राउंड वाटर का बेतहाशा दोहन
० वाटर रिचार्जिंग की समस्या
० बांक नदी व तालाबों का घटता क्षेत्रफल
० डीप ट्यूबवेल के कारण जल का मनमाफिक दोहन होना
० सबसे अधिक नमनाकला व नवागढ़ क्षेत्र में गिरा पानी का जलस्तर


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