
Ambikapur News: स्वच्छता के क्षेत्र में अंबिकापुर निगम का डंका पूरे देश में बज रहा है। देश-विदेश के 200 से अधिक शहर अंबिकापुर के सॉलिड एंड वेस्ट मैनेजमेंट को अपना रहे हैं। देश के लगभग सभी राज्यों के 1000 से अधिक लोग यहां के स्वच्छता मॉडल का अध्ययन कर सराहना कर चुके हैं। 30 मार्च अंतरराष्ट्रीय जीरो वेस्ट दिवस के अवसर पर अंबिकापुर की 480 स्वच्छता दीदियों के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है। इनमें से अधिकांश के पास भले ही डिग्रियां न हों, लेकिन इनके हुनर पढ़ाई की डिग्रियों से कमतर नहीं हैं। ये आईएएस समेत अन्य अधिकारियों को भी कचरा प्रबंधन का प्रशिक्षण दे चुकी हैं।
महिलाओं की शक्ति और पर्यावरण संरक्षण के साथ अंबिकापुर निगम ने जीरो वेस्ट के तहत एक अद्वितीय पहल की है। नगर में स्वच्छता दीदियों द्वारा चलाए जा रहे 20 एसएलआरएम सेंटर ने उन्हें न केवल आत्मनिर्भर बल्कि पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका को भी महत्वपूर्ण बनाया है। जीरो वेस्ट के माध्यम से वे प्लास्टिक को संसाधन में परिवर्तित करके पर्यावरण के लिए एक सकारात्मक योगदान भी दे रही हैं।
स्वच्छता दीदियों द्वारा प्रतिदिन 48 वार्डों से डोर-टू-डोर कचरे का कलेक्शन कर सेग्रेगेशन किया जाता है। इसी प्रक्रिया में हर दिन 50 टन कचरा संग्रहित होता है। दीदियों द्वारा घरों, अस्पतालों व होटलों से निकले कचरे को 4 भागों गीला, सूखा, हानिकारक एवम सेनेटरी कचरा में अलग किया जाता है। इसके बाद एसएलआरएम केन्द्र में फिर इनका 17 भागों में पृथककरण किया जाता है। गीले कचरे से जहां खाद बनाई जाती है, वहीं सूखे कचरे से पेपर, प्लास्टिक, मेटल, कांच, कपड़ा व अन्य को अलग-अलग श्रेणी में बांटकर रिसाइकल के लिए विभिन्न उद्योगों को भेजा जाता है।
केस 1. वर्ष 2023 में 29 मार्च को अंतरराष्ट्रीय जीरो वेस्ट दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में आयोजित कार्यशाला में अंबिकापुर के नाम पर खूब तालियां बजीं थीं। वजह यह थी कि कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया। इसके लिए अंबिकापुर की स्वच्छता दीदी श्वेता सिन्हा को मंच पर आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम में तात्कालीन निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगईं के अलावा 5 स्वच्छता दीदियों को आमंत्रित किया गया था।
केस 2. शहर के ठनगनपारा स्थित एसएलआरएम सेंटर में कार्यरत मंजूषा कुजूर, रामेश्वरी तिर्की, सीता तिर्की, सरस्वती व सुगंती का काम रिक्शा से घर-घर जाकर कचरा कलेक्शन, कचरे की छंटाई के साथ-साथ कचरा शुल्क वसूलना है। एसएलआरएम सेंटर में काम करते हुए मंजूषा कुजूर व रामेश्वरी तिर्की ने पोस्ट ग्रेजुएशन तथा सीता तिर्की, सरस्वती व सुगंती ने ग्रेजुएट कर लिया है। अब पांचों ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां शुरू कर दी है। ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली इन युवतियों का कहना है कि पढ़ाई ही एकमात्र रास्ता है जो इनकी जिंदगी बदलेगी।
Updated on:
30 Mar 2024 12:27 pm
Published on:
30 Mar 2024 12:24 pm
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