यूएन में अमरीका के फैसले को लेकर पेश किया प्रस्ताव
दरअसल, गुरुवार को यूएन जनरल असेंबली में एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें येरूशलम को इजरायल की राजधानी न मानने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव का 128 देशों ने समर्थन किया है, जबकि 9 देशों ने इसके विरोध में वोट डाला जबकि 35 देशों ने इससे दूरी बनाए रखी। आपको बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते 6 दिसंबर को येरूशल को इजरायल की राजधानी घोषित कर दिया था। इस ऐलान के साथ ही ट्रंप ने कई देशों के विरोध को भी नजरअंदाज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका अपनी एम्बेसी तेल अवीव से इस पवित्र शहर में ले जाएगा।
दरअसल, गुरुवार को यूएन जनरल असेंबली में एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें येरूशलम को इजरायल की राजधानी न मानने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव का 128 देशों ने समर्थन किया है, जबकि 9 देशों ने इसके विरोध में वोट डाला जबकि 35 देशों ने इससे दूरी बनाए रखी। आपको बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते 6 दिसंबर को येरूशल को इजरायल की राजधानी घोषित कर दिया था। इस ऐलान के साथ ही ट्रंप ने कई देशों के विरोध को भी नजरअंदाज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका अपनी एम्बेसी तेल अवीव से इस पवित्र शहर में ले जाएगा।
अमरीका ने कहा- याद रखेंगे ये दिन
वहीं अमरीका ने यूएनजीए में इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है। 193 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निकी हेली ने इस प्रस्ताव की आलोचना की। हेली ने कहा कि अमरीका इस दिन को याद रखेगा कि जब एक संप्रभु देश के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस पर एकतरफा हमला हुआ है।
वहीं अमरीका ने यूएनजीए में इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है। 193 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निकी हेली ने इस प्रस्ताव की आलोचना की। हेली ने कहा कि अमरीका इस दिन को याद रखेगा कि जब एक संप्रभु देश के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस पर एकतरफा हमला हुआ है।
ट्रंप ने दे दी थी पहले ही धझमरी
आपको बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक तरह से पूरी दुनिया को ये धमकी दी थी कि जो देश यूएन में पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन करेगा उसे अमरीका की तरफ से दी जाने वाली मदद में कटौती की जाएगी। येरूशलम के मुद्दे पर यूएन में अमेरिका अलग-थलग खड़ा नजर आया। कई पश्चिमी और अरब देशों ने उसका विरोध किया। मिस्र, जॉर्डन और इराक जैसे देशों ने भी उसके विरोध में वोटिंग की। इन देशों को अमेरिका बड़ी वित्तीय और मिलिट्री सहायता देता है।
आपको बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक तरह से पूरी दुनिया को ये धमकी दी थी कि जो देश यूएन में पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन करेगा उसे अमरीका की तरफ से दी जाने वाली मदद में कटौती की जाएगी। येरूशलम के मुद्दे पर यूएन में अमेरिका अलग-थलग खड़ा नजर आया। कई पश्चिमी और अरब देशों ने उसका विरोध किया। मिस्र, जॉर्डन और इराक जैसे देशों ने भी उसके विरोध में वोटिंग की। इन देशों को अमेरिका बड़ी वित्तीय और मिलिट्री सहायता देता है।