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येरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाए जाने का 128 देशों ने किया विरोध, अमरीका बोला- ये दिन याद रखेंगे

Published: Dec 22, 2017 10:41:33 am

Submitted by:

Kapil Tiwari

128 देशों के इस विरोध के बाद अमरीका ने कहा कि इस दिन को हम याद रखेंगे।

128 countries against USA in UNGA

128 countries against USA in UNGA

न्यूयॉर्क: येरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित किए जाने के बाद पूरी दुनिया में इसका विरोध तेज हो गया है। ट्रंप के इस फैसले का अभी तक तो सिर्फ कुछ देश ही विरोध कर रहे थे, लेकिन अब दुनिया के 128 देशों ने इस पर विरोध जताया है, जिसमें भारत का भी नाम शामिल है। यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में भारत समेत 128 देशों ने येरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाए जाने का विरोध किया है। एक तरह से अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए ये एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
यूएन में अमरीका के फैसले को लेकर पेश किया प्रस्ताव
दरअसल, गुरुवार को यूएन जनरल असेंबली में एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें येरूशलम को इजरायल की राजधानी न मानने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव का 128 देशों ने समर्थन किया है, जबकि 9 देशों ने इसके विरोध में वोट डाला जबकि 35 देशों ने इससे दूरी बनाए रखी। आपको बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते 6 दिसंबर को येरूशल को इजरायल की राजधानी घोषित कर दिया था। इस ऐलान के साथ ही ट्रंप ने कई देशों के विरोध को भी नजरअंदाज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका अपनी एम्बेसी तेल अवीव से इस पवित्र शहर में ले जाएगा।
अमरीका ने कहा- याद रखेंगे ये दिन
वहीं अमरीका ने यूएनजीए में इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है। 193 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निकी हेली ने इस प्रस्ताव की आलोचना की। हेली ने कहा कि अमरीका इस दिन को याद रखेगा कि जब एक संप्रभु देश के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस पर एकतरफा हमला हुआ है।
ट्रंप ने दे दी थी पहले ही धझमरी
आपको बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक तरह से पूरी दुनिया को ये धमकी दी थी कि जो देश यूएन में पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन करेगा उसे अमरीका की तरफ से दी जाने वाली मदद में कटौती की जाएगी। येरूशलम के मुद्दे पर यूएन में अमेरिका अलग-थलग खड़ा नजर आया। कई पश्चिमी और अरब देशों ने उसका विरोध किया। मिस्र, जॉर्डन और इराक जैसे देशों ने भी उसके विरोध में वोटिंग की। इन देशों को अमेरिका बड़ी वित्तीय और मिलिट्री सहायता देता है।
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