पिटारा खुला : नासा ने जारी की 32 करोड़ किलोमीटर दूर से आए सैंपल की जांच रिपोर्ट, 159 साल बाद धरती से पृथ्वी से टकराने की आशंका
वॉशिंगटन. नासा के वैज्ञानिकों को बेन्नू एस्टेरॉयड के सैंपल से पता चला है कि इस एस्टेरॉयड (उल्कापिंड) पर काफी ज्यादा मात्रा में कार्बन कंपाउंड और पानी है। यह कभी पृथ्वी जैसे ग्रह का हिस्सा रहा होगा। नासा के ओसाइरिस रेक्स मिशन के तहत अंतरिक्ष यान पृथ्वी से 32 करोड़ किलोमीटर दूर के इस एस्टेरॉयड के सैंपल लेकर 24 सितंबर को अमरीका के यूटा रेगिस्तान में उतरा था। सैंपल की जांच के बाद नासा ने अब इसकी रिपोर्ट जारी की है।
नासा के प्रमुख बिल नेल्सन का कहना है कि वैज्ञानिक पता लगा रहे हैं कि बेन्नू पर इतना पानी कहां से आया। जिस एस्टेरॉयड से पृथ्वी को खतरा है, उसमें इतनी ज्यादा मात्रा में पानी होगा, इसकी वैज्ञानिकों ने कल्पना नहीं की थी। नेल्सन के मुताबिक मिट्टी और धूल के जो सैंपल बेन्नू से लाए गए हैं, वे दुनिया के लिए बहुत काम के हैं। यह उल्कापिंड 159 साल बाद धरती से टकरा सकता है। इसकी टक्कर से 22 परमाणु बमों के बराबर विस्फोट की आशंका है। इससे बचने के लिए ही नासा ने ओसाइरिस रेक्स मिशन लॉन्च किया था।
क्लीन रूम में खोला गया सैंपल का कैप्सूल
मिशन टीम ने ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में सैंपल के कैप्सूल को खोला। इसके लिए क्लीन रूम बनाया गया। मिशन की नमूना विश्लेषण टीम की सदस्य लिंडसे केलर ने कहा, हमारे पास सभी माइक्रोएनालिटिकल तकनीक हैं। हमने बेन्नू से मिली सामग्री की जांच के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप, एक्स-रे और इन्फ्रारेड उपकरणों का इस्तेमाल किया।
ब्रह्मांड के निर्माण से जुड़े अवशेष
एस्टेरॉयड ब्रह्मांड के निर्माण से जुड़े अवशेष हैं। इनसे पता लगाया जा सकता है कि जब ग्रह बने तो शुरुआती दिनों में कैसे थे। हालांकि पृथ्वी के लिए उल्कापिंड खतरा पैदा करते हंै। नासा के अपने किस्म के इस पहले मिशन का मकसद यह पता लगाना है कि क्या पृथ्वी पर गिरते किसी उल्कापिंड की दिशा बदली जा सकती है या मिसाइल से इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।