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अफगानिस्तान के नेता भाग गए और वहां की सेना बिना लड़े हार गई, हम अपने बेटे-बेटियों को लडऩे-मरने क्यों भेजे- बिडेन

Published: Aug 18, 2021 09:20:56 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने अफगानिस्तान से अमरीकी सेना को वापस बुलाने के फैसले का बचाव करते हुए अफगान लीडरशिप को बिना लड़े तालिबान को सत्ता सौंपने के लिए जिम्मेदार ठहराया। बिडेन ने तालिबान को चेतावनी भी दी कि यदि उसने अमरीकी कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाया, तो अमरीका जवाबी कार्रवाई करेगा।
 

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नई दिल्ली।

अफगानिस्तान पर तालिबान ने सिर्फ 22 दिन में कब्जा कर लिया। यह सब इतनी तेजी से तब हुआ, जब 20 सालों से वहां तैनात अमरीकी नेतृत्व वाली सेना ने अफगानिस्तान छोडऩे का फैसला और धीरे-धीरे प्रक्रिया शुरू कर दी। अमरीकी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुलाने का फैसला राष्ट्रपति जो बिडेन ने गत जनवरी में सत्ता संभालने के कुछ हफ्तों बाद लिया था।
तालिबान के क्रूर शासन की वापसी के बाद अब सेना वापस बुलाने के फैसले को लेकर बिडेन पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। वहीं, जो बिडेन ने लोगों से स्पष्ट कह दिया है कि उनका फैसला सही है। बिडेन ने कहा, अगर अफगानिस्तान के सैनिक नहीं लड़ते, तो मैं कितनी पीढिय़ों तक अमरीकी बेटे-बेटियों को भेजता रहूं। उन्होंने कहा, मेरा जवाब स्पष्ट है। मैं वह गलतियां नहीं फिर नहीं करूंगा, जो पहले अमरीका पहले कर चुका है।
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अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने अफगानिस्तान से अमरीकी सेना को वापस बुलाने के फैसले का बचाव करते हुए अफगान लीडरशिप को बिना लड़े तालिबान को सत्ता सौंपने के लिए जिम्मेदार ठहराया। बिडेन ने तालिबान को चेतावनी भी दी कि यदि उसने अमरीकी कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाया, तो अमरीका जवाबी कार्रवाई करेगा। बिडेन ने अफगानिस्तान से आ रही तस्वीरों को भी चिंताजनक बताया।
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उन्होंने कहा कि अमरीकी सैनिक किसी ऐसे युद्ध में नहीं मर सकते, जो अफगानिस्तान की सेना अपने लिए लडऩा ही नहीं चाहती। उन्होंने कहा, मैं अपने फैसला के साथ पूरी तरह हूं। मैंने 20 साल के बाद यह सीखा कि अमरीकी सेना को वापस बुलाने का कभी अच्छा समय नहीं आया और इसीलिए हम अभी तक वहां थे।
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बिडेन ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, हम अफगानिस्तान में इन हालातों को लेकर स्पष्ट थे। मैंने अमरीकी लोगों से वादा किया था कि मैं आपसे बिल्कुल स्पष्ट बात करूंगा। सच यह है कि अफगानिस्तान में जो कुछ भी हुआ उसका अंदाजा हमें था, मगर यह अनुमान से काफी पहले हो गया। अफगान सेना पस्त हो गई बिना लड़े और वहां की लीडरशिप देश छोडक़र भाग गई। इन घटनाक्रमों ने यह साबित कर दिया कि अफगानिस्तान में अमरीकी सेना की भागीदारी को खत्म करना सही फैसला था।
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