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अमरीका के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा ‘गदर आंदोलन’ का इतिहास, आजादी में थी महत्वपूर्ण भूमिका

गदर पार्टी की स्थापना को 105 साल पूरे होने पर अमरीका के ओरेगन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें गदर पार्टी के सदस्यों के वंशजों ने हिस्सा लिया।

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अमरीका के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा आजादी के 'गदर आंदोलन' का इतिहास

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली गदर पार्टी के बारे में अमेरिका के ओरेगन प्रांत के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा। इस क्रांतिकारी पार्टी की स्थापना 105 साल पहले हुई थी। इतने साल पूरे होने पर ओरेगन के अधिकारियो ने यह ऐलान किया है। पार्टी के स्थापना दिवस पर यहां एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसी कार्यक्रम में आधिकारियों ने स्कूलों में इस आंदोलन के महत्व के बारे में पढ़ाए जाने की घोषणा की।
कार्यक्रम के दौरान ओरेगान के एटॉर्नी जनरल एलेन एफ रोजनब्लम ने ऐलान किया कि यह ऐतिहासिक घटना राज्य के स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाई जाएगी।

बता दें, अमरीका के इस ऐतिहासिक शहर मे अभी भी कुछ भारतीय-अमरीकी परिवार रहते हैं। यही परिवार गदर पार्टी का स्थापना दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए। सभी परिवारों ने मिलकर स्थापना दिवस का जश्न मनाया। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार- सन 1910 में यहां पर 74 भारतीय परिवार आए थे। इनमें से ज्यादातर पंजाबी थे। ये सभी लकड़ी काटने वाली एक स्थानीय कंपनी में कार्य करते थे। इन लोगों ने भारतीय आंदोलन में योगदान देने वाली क्रांतिकारी 'गदर पार्टी' के स्थापना सम्मेलन में हिस्सा लिया था। गौर हो, भारत की आजादी के आंदोलन में गदर लहर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

यह कार्यक्रम गदर मेमोरियल फाउंडेशन की ओर से आयोजित किया गया था। समारोह में गर्वनर ने भी गदर पार्टी की स्थापना से एस्टोरिया शहर के जुड़े होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। कोलंबिया नदी के तट पर हुए इस कार्यक्रम में वाशिंगटन, कैलिफोर्निया, कैनेडा और ब्रिटिश कोलंबिया से भी भारतीय लोग पहुंचे थे।

क्या था गदर आंदोलन
इस आंदोलन का भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इंग्लैंड की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में क्रांति आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों के आरोप में अमेरिका गए लाला हरदयाल ने गदर के लिए भारतीयों को संगठित किया था। इसके बाद एस्टोरिया में गदर पार्टी की स्थापना का ऐलान किया गया। पार्टी का संस्थापक अध्यक्ष सरदार सोहन सिंह भकना को बनाया गया था।

पार्टी की गतिविधियों को चलाने के लिए युगांतर आश्रम नाम से मुख्ययालय बनाया गया। यहां से गुरमुखी और उर्दू में हिंदुस्तान गदर नाम से अखबार प्रकाशित किए गए, जो भारत की आजादी के लिए लोगों को जागरूक करने का काम करते थे। पहले विश्वयुद्ध के समय पार्टी ने जर्मनी की मदद से अफगानिस्तान के काबुल में निर्वासित आजाद भारत सरकार की स्थापना की थी। इसके बाद अंग्रेजों ने अपने साथी देशों की मदद से जर्मनी से आने वाले हथियारों के जहाब कब्जे में ले लिए और गदर के कई सदस्यों को पकड़कर फांसी पर चढ़ा दिया था।