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ट्रम्प प्रशासन ने बदला कानून, भारत को गार्जियन ड्रोन की ब्रिकी का रास्ता साफ

नाटो देशों के बाहर भारत ऐसा पहला देश होगा जिसे अमरीका ऐसे ड्रोन बेचेगा। बता दें कि अप्रैल में ट्रंप प्रशासन द्वारा अमरीकी हथियार निर्यात नीति में बदलाव किए जाने के बाद हथियारों की बिक्री को सहयोगियों के बीच बढ़ाये जाने का लक्ष्य तैयार किया गया है।

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ट्रम्प प्रशासन ने बदला कानून, भारत को गार्जियन ड्रोन की ब्रिकी का रास्ता साफ

वाशिंगटन। एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम के तहत अमरीका ने भारत को हथियारबंद गार्जियन ड्रोन देने की पेशकश की है। इससे पूर्व यह ड्रोन गैर हथियार और सर्विलांस उद्देश्यों के लिए ही बेचा जाता था। नाटो देशों के बाहर भारत ऐसा पहला देश होगा जिसे अमरीका ऐसे ड्रोन बेचेगा। बता दें कि अप्रैल में ट्रंप प्रशासन द्वारा अमरीकी हथियार निर्यात नीति में बदलाव किए जाने के बाद हथियारों की बिक्री को सहयोगियों के बीच बढ़ाये जाने का लक्ष्य तैयार किया गया है। इससे पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ड्रोन को अपने सहयोगियों को बेचने के लिए लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया को छोटा करने का वादा किया था।

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रोजगार का सृजन मुख्य लक्ष्य

ट्रम्प प्रशासन अपने इस कदम से अमरीका दोहरे लक्ष्य को भेदने की राह पर है। प्रशासन का कहना है ट्रम्प के इस कदम से अमरीकन रक्षा इंडस्ट्री को फायदा होगा और इस क्षेत्र में नई नौकरियों का सृजन होगा। इसके अलावा ड्रोन के निर्यात से एशिया के विश्वस्त सहयोगियों को चीन के खिलाफ तैयार किया जा सकेगा। इसके तहत मिसाइल फायर करने वाले विध्वंसक और सर्विलांस ड्रोन को दूसरे सहयोगियों को भी बेचने की अनुमति दी गई है। बता दें कि अमरीकी नीति आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में ड्रोन विमानों का अधिकतम इस्तेमाल करने की है। हालांकि अमरीका किसी देश या आतंकवादी संगठन के खिलाफ बल प्रयोग को तभी सही मानेगा जबकि इसकी वाजिब वजहें हों।

यह हैं गार्डियन ड्रोन मिलने की शर्तें

अमरीकी गार्जियन ड्रोन प्राप्त करने वाले सहयोगी देशों के लिए अनिवार्य है कि वो "गैरकानूनी तरीके से कोई भी निगरानी न करें या अपने राज्य क्षेत्र में गैरकानूनी तरीके से कोई बल प्रयोग न करें"। अमरीकी सामरिक कानून के अनुसार इन्हें केवल संचालन में ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

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अमरीका में व्याप्त हैं चिंताएं

अमरीका में इस ड्रोन के उपयोग पर "अंत-उपयोग मॉनिटरिंग और अतिरिक्त सुरक्षा शर्तों" संबंधी चिंताएं हो सकती हैं। भारत को ड्रोन की ब्रिकी इन्हीं शर्तों पर की जाएगी कि अमरीकी अधिकारियों को भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों के निरीक्षण की अनुमति दी जाएगी ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि अमरीका द्वारा निर्मित ड्रोन का उपयोग सही और वैध तरीके से किया जा रहा है। जुलाई में भारत और अमरीका के बीच रद्द हुई 2+2 बैठक में ड्रोन की डील पर भी बात होनी थी। लेकिन यह बैठक नहीं हो पाई ।