15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भारत-पाकिस्तान के बीच अमरीका का मध्यस्थता से इनकार, पाक की मदद पर लगे रोक

अमरीका भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ के रूप में भूमिका नहीं निभाना चाहता।

2 min read
Google source verification
US refuses mediation India and Pakistan

वॉशिंगटन: राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की दक्षिण एशिया के दौरे पर सभी की निगाहें टिकी थी कि अमरीका भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है, लेकिन ट्रंप ने किसी मध्यस्थता वाली भूमिका से साफ इनकार कर दिया है। दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक मंत्री एलिस जी वेल्स ने सांसदों से कहा कि ट्रंप प्रशासन दक्षिण एशिया में परमाणु क्षमता वाली नई बलिस्टिक या क्रूज मिसाइल प्रणालियों के आने से इस क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता के लिए पैदा खतरे को लेकर चिंतित है। लेकिन अमरीका भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ के रूप में भूमिका नहीं निभाना चाहता।

बातचीत के लिए करता है प्रोत्साहित

हालांकि उन्होंने कहा कि दोनों देशों को निकटतम उपलब्ध मौके पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने सांसदों से कहा, 'दक्षिण एशिया रणनीति का ध्यान पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव कम करने पर भी है।' उन्होंने यह बात अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान पर कांग्रेस में चर्चा के दौरान कही।

पाकिस्तान को मदद करना बंद करे अमरीका

वहीं अमरीकी संगठन वर्ल्ड मुहाजिर कांग्रेस (डब्ल्यू एमसी) ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और उसने अमरीका से पाक को दी जाने वाली सभी वित्तीय सहायता रोक देने की मांग की है। बता दें कि उर्दू भाषी लोगों का समूह मुहाजिर विभाजन के बाद भारत से चला गया था। डब्ल्यू एमसी ने दक्षिण एवं मध्य एशिया के कार्यकारी सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें कहा गया है, ‘‘डब्ल्यू एमसी अमरीकी प्रशासन और संसद से अपील करती है कि नफरत करने और हिंसा फैलाने वाले किसी भी देश को सहयोग अथवा सहायता देना बंद करें और पाकिस्तान कोई अपवाद नहीं है.’

पाकिस्तान आतंक को दे रहा बढ़ावा
ज्ञापन में ये भी कहा गया है कि अमरीका पाकिस्तान को आर्थिक, सैन्य और वित्तीय सहायता मुहैया कराने वाला अब तक का सबसे बड़ा दानदाता है और पाकिस्तान का शक्तिशाली सुरक्षा तंत्र इस मदद का इस्तेमाल आतंकवाद का सफाया करने के बजाए आंतकवाद को बढ़ावा देने और सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने में कर रहा है।