Public Voice: आगरा से सामने आए एक अनोखे वीडियो ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी हैं। एक शिक्षक ने कथित गलत ट्रैफिक चालान के विरोध में कार चलाते समय हेलमेट पहन लिया। उनका यह व्यंग्यात्मक विरोध अब सिस्टम और नियमों पर सवाल खड़े कर रहा है।
Helmet Protest Video Viral : आगरा से सामने आया एक अनोखा मामला इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने अपनी कार चलाते समय हेलमेट पहनकर वीडियो बनाया, जो तेजी से वायरल हो रहा है। पहली नजर में यह वीडियो हास्य से भरा लगता है, लेकिन इसके पीछे एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक सवाल छिपा है-क्या यातायात नियमों के नाम पर आम नागरिकों के साथ मनमानी की जा रही है?
पूरा मामला आगरा शहर का बताया जा रहा है। वायरल वीडियो में शिक्षक अपनी निजी कार चला रहे हैं और उन्होंने सिर पर हेलमेट पहन रखा है। वीडियो में वे व्यंग्यात्मक अंदाज में कहते सुनाई दे रहे हैं, “मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं, इसलिए अब कार चलाते समय भी हेलमेट पहनूंगा, ताकि कोई चालान न हो।” यह बयान सीधे तौर पर ट्रैफिक पुलिस पर कटाक्ष माना जा रहा है।
शिक्षक का आरोप है कि हाल ही में आगरा ट्रैफिक पुलिस ने उनका चालान इस बात पर काट दिया कि उन्होंने कार चलाते समय हेलमेट नहीं पहना। जबकि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य नहीं है। कानून के अनुसार, दोपहिया वाहन चालकों और पीछे बैठने वालों के लिए हेलमेट जरूरी है, लेकिन चार पहिया वाहन चालकों के लिए यह नियम लागू नहीं होता।
इस कथित गलती के खिलाफ शिक्षक ने खुले तौर पर शिकायत करने के बजाय एक व्यंग्यात्मक रास्ता चुना। उन्होंने कार के अंदर हेलमेट पहनकर वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे सोशल मीडिया पर साझा कर दिया। देखते ही देखते यह वीडियो फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर वायरल हो गया। हजारों लोग इस वीडियो को शेयर कर रहे हैं और तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
यातायात नियमों के जानकारों का कहना है कि चालान करने से पहले ट्रैफिक पुलिस को पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। नियमों को सही तरीके से समझना और सही धाराओं में चालान काटना बेहद जरूरी है। यह भी कहना है कि अगर किसी गलत चालान की आशंका हो, तो नागरिकों को उसके खिलाफ कानूनी तरीके से अपील करने का अधिकार है।
इस पूरे प्रकरण पर अब तक आगरा ट्रैफिक पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार विभाग के भीतर इस मामले की जांच की बात कही जा रही है। अगर शिक्षक का आरोप सही पाया जाता है, तो संबंधित कर्मी के खिलाफ कार्रवाई भी संभव है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया आज के दौर में आम आदमी की आवाज बनने का एक मजबूत माध्यम बन चुका है। जहां पहले ऐसी शिकायतें सीमित रह जाती थीं, वहीं अब एक वीडियो पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर सकता है।