-एसीबी ने अहमदाबाद, सूरत, सीबीआई ने गांधीनगर में की कार्रवाई
Ahmedabad. गुजरात भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने रिश्वतखोर अधिकारियों, कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की।
एसीबी ने जहां शनिवार को अहमदाबाद के सुभाषब्रिज आरटीओ सर्कल के पास जाल बिछाकर महेसाणा कलक्टर कार्यालय में जमीन शाखा (एनए) के रेवन्यु क्लर्क विश्वजीत कमलेकर को 9 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा है। वहीं सीबीआई ने गांधीनगर में 30 सितंबर को जाल बिछाकर कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट (सीजीडीए) के इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल एडवाइजर पर्सनल-ऑडिटर को 3.50 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है।
आरोप है कि उसने पूणे के एयरफोर्स बेस में 2.50 करोड़ के सीसीटीवी की बोली के मामले में फाइल मंजूर करने के लिए राशि के दो फीसदी (चार लाख) की रिश्वत मांगी थी। शिकायत मिलने पर सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को पकड़ लिया। इसकी जानकारी सीबीआई ने शुक्रवार को साझा की। आरोपी कोपकड़ने के बाद अहमदाबाद सीबीआई की विशेष कोर्ट में पेश किया। ट्रांजिट रिमांड लेकर पूणे की सीबीआई कोर्ट में पेश किया, जहां से उसका शनिवार तक का रिमांड मंजूर किया गया था।
गुजरात एसीबी के तहत शिकायतकर्ता की महेसाणा जिले की जेटाणा तहसील के इजपुरा (जेठाजी) गांव में खेती की जमीन है। उसे गैर कृषि भूमि कराने के लिए उन्होंने महेसाणा कलक्टर कार्यालय में आवेदन किया था।
आरोप है कि इस आवेदन पर कार्यवाही करते हुए उसे गैर कृषि करने के लिए रेवन्यु क्लर्क विश्वजीत कमलेकर ने प्रति वर्ग फुट 50 रुपए के हिसाब से 23 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। बाद में 25 रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से 12 लाख रुपए और फिर 10 लाख रुपए में बात तय हुई थी। अंत में 9 लाख रुपए लेकर कार्य करने की बात हुई। शिकायतकर्ता रिश्वत नहीं देना चाहते थे, जिससे उन्होंने इसकी शिकायत एसीबी में कर दी। इसके आधार पर अहमदाबाद शहर एसीबी फील्ड तीन की टीम ने सुभाषब्रिज आरटीओ सर्कल के पास जाल बिछाया जहां विश्वजीत को 9 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ लिया।
गुजरात एसीबी की टीम ने शनिवार को सूरत के अडाजण क्षेत्र में स्थित सब रजिस्ट्रार कार्यालय में कार्रवाई करते हुए सब रजिस्ट्रार महेश कुमार परमार को ढाई लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा है। आरोप है कि शिकायतकर्ता के मुवक्किल को खेती की जमीन खरीदनी है। इसके लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालय अडाजण से दस्तावेज पंजीकृत करने के लिए भरने योग्य सभी फीस भरकर दस्तावेज कराया, जिसमें कोई आपत्ति नहीं दर्ज करने और ऑर्डर जारी करने के लिए आरोप है कि तीन लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई। बाद में ढाई लाख रुपए देने पर सहमति बनी। यह राशि कार्यालय में ही स्वीकारते हुए एसीबी की टीम ने सब रजिस्ट्रार को पकड़ लिया।