गांधीनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने गुरुवार को महाप्रज्ञ विद्या निकेतन के विद्यार्थियों को आशीर्वाद दिया।कोबा िस्थत प्रेक्षा विश्व भारती में विद्यार्थियों अपनी अनेक प्रस्तुतियां दीं। चातुर्मास के दौरानआचार्य ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आयारो आगम आधारित प्रवचन में कहा कि जैन आगमों में वर्णित परिषह जैसे क्षुधा, पिपासा आदि आत्मा की निर्जरा […]
गांधीनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने गुरुवार को महाप्रज्ञ विद्या निकेतन के विद्यार्थियों को आशीर्वाद दिया।
कोबा िस्थत प्रेक्षा विश्व भारती में विद्यार्थियों अपनी अनेक प्रस्तुतियां दीं। चातुर्मास के दौरान
आचार्य ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आयारो आगम आधारित प्रवचन में कहा कि जैन आगमों में वर्णित परिषह जैसे क्षुधा, पिपासा आदि आत्मा की निर्जरा के लिए सहन किए जाते हैं।
गृहस्थ जीवन की कठिनाइयों पर भी प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि समता और शांति बनाए रखते हुए धर्मपथ पर अडिग रहना ही सच्ची सफलता है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें अच्छे संस्कारों का समावेश भी आवश्यक है। सहनशीलता, नैतिकता और प्रमाणिकता के सिद्धांतों को जीवन में अपनाकर ही पूर्णता प्राप्त की जा सकती है। प्रवचन के बाद जैन विश्व भारती की ओर से आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक तेरापंथ दर्शन का विमोचन किया गया।