Rajasthan News: राजस्थान के अजमेर शहर में आनासागर झील के किनारे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निर्मित सेवन वंडर्स पार्क को ध्वस्त करने की कार्रवाई हो रही है।
Rajasthan News: राजस्थान के अजमेर शहर में आनासागर झील के किनारे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 8 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सेवन वंडर्स पार्क को ध्वस्त करने की कार्रवाई हो रही है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों के बाद अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) ने 12 सितंबर 2025 से इस पार्क को तोड़ना शुरू कर दिया।
बताया जा रहा है कि इस कार्रवाई में पांच जेसीबी मशीनों, ट्रैक्टरों और क्रेन के साथ मजदूरों की टीम लगी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर 2025 तक पार्क को पूरी तरह हटाने का आदेश दिया था।
दरअसल, आनासागर झील के वेटलैंड क्षेत्र में बने इस पार्क पर वेटलैंड नियमों और मास्टर प्लान की अवहेलना का आरोप था। स्थानीय निवासी अशोक मलिक ने 2023 में एनजीटी की भोपाल बेंच में याचिका दायर कर इस निर्माण को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि सेवन वंडर्स पार्क, पटेल स्टेडियम, गांधी स्मृति उद्यान और झील के किनारे बने फूड कोर्ट से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है।
एनजीटी ने अगस्त 2023 में इन सभी निर्माणों को हटाने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने एनजीटी के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह पार्क शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए बनाया गया है और इसके निर्माण में उच्च गुणवत्ता का ध्यान रखा गया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि भले ही निर्माण सुंदर हो, लेकिन नियमों का उल्लंघन हुआ है तो उसे तोड़ा जाएगा। कोर्ट ने 2025 की शुरुआत में राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी और एनजीटी के आदेशों का पालन करने के निर्देश दिए।
सेवन वंडर्स पार्क अजमेर के वैशाली नगर में आनासागर झील के किनारे बनाया गया था। इस पार्क में विश्व के सात अजूबों की प्रतिकृतियां बनाई गई थीं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र थीं। स्मार्ट सिटी योजना के तहत निर्मित इस पार्क पर करीब 8 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लेकिन वेटलैंड क्षेत्र में निर्माण के कारण यह पर्यावरण नियमों के उल्लंघन का शिकार हो गया।
एडीए ने आज सेवन वंडर्स पार्क और गांधी स्मृति उद्यान को तोड़ा है। बता दें, पहले इस कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव सुधांश पंत मार्च 2025 में सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि पर्यावरण नियमों का पालन प्राथमिकता है। एनजीटी ने अपनी सुनवाई में चिंता जताई थी कि आनासागर झील के आसपास अनियोजित निर्माण से झील का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। झील के वेटलैंड क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए सख्त नियम हैं, जिनका उल्लंघन इस प्रोजेक्ट में हुआ।
वहीं, अब सवाल उठ रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर निर्माण की अनुमति देने की जिम्मेदारी किसकी थी? नियमों की अनदेखी कर करोड़ों रुपये खर्च करने वाले इस प्रोजेक्ट की जवाबदेही कौन लेगा?