सैकड़ों लोगों एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी करने वाले डॉ. महला खामोशी से दुनिया को अलविदा कह गए। सीकर हाल जयपुर निवासी डॉ. महला जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग में विभागाध्यक्ष थे।
अजमेर। ‘वो जो बेचते थे दवा-ए-दिल, वो दुकान अपनी बढ़ा गए….’। बहादुर शाह जफर की एक गजल का यह शेर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश महला के असामयिक निधन की घटना पर सटीक बैठता है।
सैकड़ों लोगों एंजियोग्राफी एवं एंजियोप्लास्टी करने वाले डॉ. महला खामोशी से दुनिया को अलविदा कह गए। सीकर हाल जयपुर निवासी डॉ. महला जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग में विभागाध्यक्ष थे।
रोजाना अस्पताल में हार्ट रोग के मरीजों की खुद एजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी करते थे। उनके उपचार और परामर्श से सैकड़ों मरीज स्वस्थ हुए और ऑपरेशन के बाद सामान्य हैं।
चिकित्सा विज्ञान में हृदय की बारीकियों को पढ़ने और उपचार करने वाले डॉ. महला के लिए यही रोग जानलेवा साबित हुआ। अचानक हार्ट अटैक होने पर उनकी तबीयत बिगड़ गई। विगत शुक्रवार को हार्ट में दर्द होने पर जांचें करवाई।
खुद अपनी जांच रिपोर्ट देख कर साथियों की मदद से जयपुर में अपने मित्र कार्डियोलॉजिस्ट के पास पहुंचे। ऑपरेशन के लिए मित्र कार्डियोलॉजिस्ट ने दिल्ली गुरुग्राम में मेदांता हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराने की सलाह दी।
उन्हें मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया। उन्हें एऑटिक डायसेक्शन (बड़ी एरोटा में हार्ट प्रेशर से गेप) होने पर सर्जरी की गई। मगर दूसरी बार कॉलेप्स होने पर रिऑपन किया गया।
सोमवार को उन्होंने आंखें खोली भी मगर फिर कॉलेप्स हो गए। वेंटीलेटर पर रहने के दौरान मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. अनिल सामरिया ने बताया कि उनके निधन से कॉलेज व अस्पताल को बड़ी क्षति पहुंची है।