Rajasthan Politics: अजमेर में कांग्रेस पार्टी की आंतरिक गुटबाजी अब सड़कों पर खुलकर सामने आ गई है। RTDC के पूर्व चेयरमैन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ के खिलाफ शहर में कई जगहों पर पोस्टर लगाए गए हैं।
Rajasthan Politics: राजस्थान के अजमेर में कांग्रेस पार्टी की आंतरिक गुटबाजी अब सड़कों पर खुलकर सामने आ गई है। RTDC के पूर्व चेयरमैन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ के खिलाफ शहर में कई जगहों पर पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें उन्हें "चोर" और "दलाल" बताया गया है। इन पोस्टरों में लिखा है, "कांग्रेस-देश में वोट चोर, गद्दी छोड़" और "कांग्रेस-अजमेर में दलाल व चोर, अजमेर छोड़" के साथ राठौड़ की तस्वीर और नाम भी छपा है।
दरअसल, कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक अशोक तंवर इन दिनों अजमेर के दौरे पर हैं और वे बार-बार पार्टी में एकजुटता का दावा कर रहे हैं। हालांकि, रविवार को हंस पैराडाइज में आयोजित शहर कांग्रेस कमेटी की बैठक में आपसी कहासुनी और हंगामे ने उनकी कोशिशों पर पानी फेर दिया। इस बैठक में राठौड़ और निवर्तमान जिलाध्यक्ष विजय जैन के समर्थकों के बीच नोकझोंक हुई, जिसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। करीब 15 मिनट तक चले इस हंगामे को अन्य नेताओं ने बीच-बचाव कर शांत कराया।
राठौड़ के खिलाफ लगे पोस्टरों में उनकी छवि को निशाना बनाया गया है। इन पोस्टरों को शहर के टॉयलेट्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर देखा गया। राठौड़ के समर्थकों ने इस घटना की निंदा करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचकर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने इसे राठौड़ की छवि खराब करने की साजिश बताया और जांच के साथ सख्त कार्रवाई की मांग की।
वहीं, राठौड़ ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं धरियावद में पार्टी के काम से हूं। मुझे नहीं पता कि अजमेर में कोई पोस्टर लगे हैं। यह किसने और क्यों किया, इसकी जानकारी ले रहा हूं।
बताते चलें कि धर्मेंद्र राठौड़ पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं, जबकि विजय जैन पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के गुट से जुड़े हैं। दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है और वे एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं। रविवार की बैठक में भी यह विवाद खुलकर सामने आया।
विजय जैन ने अपने संबोधन में राठौड़ पर निशाना साधते हुए कहा कि 2016 में मुझे जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन 2020 में संगठन भंग कर दिया गया। फिर भी मैंने बिना पद के पांच साल तक ऐतिहासिक काम किया। उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यकाल में संगठन ने बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि राठौड़ के नेतृत्व में पार्षद चुनाव में 72 में से केवल 11 टिकट जीते गए, वहीं उनके द्वारा दिए गए 8 टिकटों में से 7 जीते।