17 साल की कॉलेज स्टूडेंट को कंठस्थ हैं मंत्र और धार्मिक विधियां
वर्तमान समय में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। वे शिक्षा, राजनीति, कारोबार समेत हर क्षेत्र में प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। किशनगढ़ की एक बेटी ने धार्मिक क्षेत्र में कदम बढ़ाए हैं। कॉलेज छात्रा राधिका दाधीच ने अपनी रुचि के अनुसार पहले पिता से पंडि़ताई सीखी और अब महज 17 साल की उम्र में गृह प्रवेश, शादी ब्याह, सुंदरकांड के पाठ आदि धार्मिक पूजन और अनुष्ठान करा रही हैं।
पंडि़ताई से होने वाली आमदनी को वह ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पर खर्च कर रही है, बल्कि पिता पंडि़त नवलकिशोर शर्मा के साथ परिवार के जीवन यापन में आर्थिक सहयोग कर रही है। उसे गौरी गणेश पूजन समेत कई मंत्र कंठस्थ याद हैं और वह सभी धार्मिक पूजन आदि करवा रही है।
राजारेड़ी गणेश नगर निवासी राधिका ने बताया कि उनके पिता नवलकिशोर शर्मा 25 साल से पंडि़ताई का कार्य कर रहे हैं। उन्हें देख उसकी पंडि़ताई में रुचि जागी और उसने पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक आयोजन आदि की पुस्तकें पढ़नी शुरू की। दो साल पहले एक दिन उसने पिता से पंडि़ताई से जुड़े कार्य सिखाने का आग्रह किया। उन्हों भी सहमति दिखाते हुए उसे धार्मिक कार्य करने की कुछ पुस्तकें देकर पढऩे की सलाह दी।
इन पुस्तकों के जरिए कई धार्मिक क्रियाएं, विधियां और मंत्र आदि उसने कंठस्थ याद कर लिए। राधिका ने बताया कि मां पुष्पा देवी ने भी उसका सहयोग किया। वे अक्सर उसे घरेलू काम करने से मना कर देतीं और धार्मिक पुस्तकें पढऩे के लिए प्रेरित करतीं। यही वजह रही कि बहुत कम समय में उसे धार्मिक अनुष्ठान, पूजन आदि की प्रक्रियाएं याद हो गईं।
राधिका ने बताया कि उसने पंडि़ताई के लगभग सभी कार्य सीख लिए हैं। इसके बावजूद वह नियमित अपनी कॉलेज शिक्षा पर भी ध्यान दे रही है। वह बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है।
राधिका ने बताया कि दो साल पहले जब वह 11 वीं कक्षा में थी, तब उसका मन हुआ कि वह भी पिता की भांति पंडि़ताई कार्य करे। उसकी रुचि देख माता-पिता ने भी उसे प्रोत्साहित किया। उसने बताया कि वह चाहती है कि सतातन धर्म और संस्कृति आगे बढ़े। इसके लिए लड़कियों और महिलाओं के साथ युवा पीढ़ी को भी आगे आना चाहिए।