अजमेर

मिसाल: 30 साल से बेटियों की किस्मत गढ़ रही हैं कॉलेज शिक्षा विभाग की पूर्व सहायक, मायरे से लेकर करियर बनाने तक कर रही मदद

उनकी लगन और मेहनत के बूते छात्राएं-बालिकाएं सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस, स्कूल शिक्षा, लघु-कुटीर उद्यम सहित अन्य क्षेत्रों में कामयाब हैं।

2 min read
Sep 22, 2025
निजी आवास में रहने वाली छात्रा संग पूर्व सहायक निदेशक डॉ. सुनीता पचौरी (फोटो: पत्रिका)

Unique Example: बालिकाओं की पढ़ाई-करियर से लेकर उनकी देखभाल करने सहित जरूरतमंद की बेटी का मायरा भरने और आर्थिक मदद करने को कॉलेज शिक्षा की पूर्व सहायक निदेशक डॉ. सुनीता पचौरी ने जीवन का लक्ष्य बना रखा है। उनकी लगन और मेहनत के बूते छात्राएं-बालिकाएं सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस, स्कूल शिक्षा, लघु-कुटीर उद्यम सहित अन्य क्षेत्रों में कामयाब हैं।

निजी आवास में रहने वाली बालिका संग पूर्व सहायक निदेशक (फोटो: पत्रिका)

पिछड़ी और गरीब तबके की कई बालिकाएं तो स्कूल शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाती। कई कॉलेज तक पहुंचती हैं पर पढ़ने के संसाधन नहीं मिलते हैं। सुनीता पिछले 30 साल से ऐसी ही बालिकाओं का जीवन संवारने में जुटी हैं। वह गुलाबबाड़ी-धौलाभाटा, पहाडग़ंज सहित अन्य इलाके के निर्धन परिवारों की बेटियों की शिक्षा-दीक्षा में मदद कर रही हैं।


घर में रहती हैं बालिकाएं

आर्थिक रूप से कमजोर बालिकाएं उनके मदार स्थित घर पर रहती हैं। उनकी फीस भरने, कपड़े, भोजन की व्यवस्था भी वही करती हैं। कई छात्राओं को सरकारी छात्रवृत्ति योजनाओं से जोड़ चुकी हैं। उनके सहयोग से पूजा रावत सीआरपीएफ, ज्ञान रावत दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं।

कई छात्राएं सरकारी और निजी स्कूल में शिक्षक बन गई हैं। वह अपने तकनीकी शिक्षण संस्थान में छात्राओं को सिलाई, कंप्यूटर, टेलरिंग और इलेक्ट्रिॉनिक्स सामान रिपेयरिंग की नि:शुल्क ट्रेनिंग भी देती हैं।

डॉ. सुनीता पचौरी (फोटो: पत्रिका)


मायरे से शादी तक मदद

बेहद निर्धन परिवारों की शादी-ब्याह, मायरा भरने में मदद करती हैं। कई परिवारों को उनकी गुप्त मदद का पता तक नहीं है। मदद के लिए फोन आने के साथ वह वहां पहुंच जाती हैं।

तब होती है पीड़ा

सुनीता बताया कि कई बालिकाओं की जल्दी शादी होने पर ससुराल वाले पढऩे नहीं देते। बालिकाएं मानसिक-शारीरिक प्रताडऩा की शिकार होती हैं। वे ऐसे घरों में बुजुर्गों, महिलाओं और पुरुषों से बातचीत करती हैं। उनकी समझाइश का तुरन्त असर नहीं होता है। लेकिन धीरे-धीरे वे ऐसे परिवारों को उनकी सोच को बदलने में कामयाब हो रही हैं।

ये भी पढ़ें

Sarla Mata Mandir: राजस्थान में यहां रक्षा के लिए उड़ते हुए आया माता का ये अनूठा मंदिर, 200 साल से बिना नींव के टिका है ये मंदिर

Published on:
22 Sept 2025 01:53 pm
Also Read
View All

अगली खबर