Rajasthan News : राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में नीम हकीमों की ओर से बिना डायग्नोस दी जाने वाली हाइडोज एवं सस्ती दवाइयां स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रही हैं। कुछ टेबलेट लेने के बाद भी पेट में नहीं घुल रही है।
चन्द्र प्रकाश जोशी
Health News : ग्रामीण क्षेत्रों में नीम हकीमों की ओर से बिना डायग्नोस दी जाने वाली हाइडोज एवं सस्ती दवाइयां स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रही हैं। कुछ टेबलेट लेने के बाद भी पेट में नहीं घुल रही है। इससे अल्सरेटिव कोलाइटिस रोग हो रहा है। जानकारी के अनुसार अजमेर के एक निजी अस्पताल में पिछले दस दिनों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के मामले सामने आए हैं। इन मरीजों में वे अधिक शामिल हैं जिन्होंने नीम-हकीम प्राइवेट क्लिनिक पर इलाज कराया। बिना जांच के हाइडोज और एंटीबाइटिक टेबलेट लेने से अब अल्सरेटिव कोलाइटिस की चपेट में आ गए।
एक फार्मासिस्ट ने लोकल मैन्युफैक्चरिंग एंटीबाइटिक टेबलेट को पानी में घोलकर देखा। इनमें ब्रांडेड कंपनी की एंटी बाइटिक दवा कुछ समय में घुल गई, जबकि लोकल मैन्युफैक्चरिंग एंटीबाइटिक टेबलेट घुली नहीं। आरओ के पानी में दवा जल्दी घुली जबकि रोजमर्रा सप्लाई वाले पानी में दवा नहीं घुली। विशेषज्ञ के अनुसार ब्रांडेड दवा आरओ या डिस्टल वाटर से दवा तैयार होती है, वह आसानी से घुल जाती है, लेकिन स्थानीय दवा मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां दवा में साधारण पानी का उपयोग करती हैं। लोकल पानी में 500 से अधिक टीडीएस पाया गया, जबकि आरओ पानी में 250-260 टीडीएस होता है।
ड्रग आयुक्तालय ने 6 दवाओं पर बैन लगाया मगर यह धड़ल्ले से बिक रही हैं। इनमें थायरोक्सिन सोडियम, टोबरा माइसिन एंड डेक्सामेथासोन, कैल्सियम कार्बोनेट एंड विटामिन, मेटफोर्मिन हाइड्रोक्लोराइड, रेबेप्राजल सोडियम के सैंपल फेल हुए थे। इनकी बिक्री पर रोक के बावजूद बाजार में यह उपलब्ध हैं। ये दवाइयां थॉयराइड, पेट दर्द, डायबिटीज में काम आती हैं।
गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट के अनुसार कुछ मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां लोकल दवा बना रही हैं। इनमें स्टेरॉयड अधिक पाया गया है। इन दवाइयों से साइड इफेक्ट हो रहा है। कुछ दवा पैकिंग कर बेचते हैं, जिनमें निम्न गुणवत्ता वाली टेबलेट नीम हकीमों के क्लिनिक पर बड़ा कमीशन देकर सप्लाई की जा रही है।
समय पर डायग्नोस करना जरूरी है। बिना डायग्नोस के दवा लेने का साइड इफेक्ट होता है। ऐसे अल्सरेटिव कोलाइटिस के केस भी आए हैं। कई दवाइयां हैं जिनमें स्टेरॉइड अधिक मात्रा में पाया गया। कुछ लोग ब्रांडेड दवा लिखवाते हैं और बाद में जैनरिक दवा लेते हैं लेकिन उनके फर्क नहीं पड़ने की बात कह कर वापस ब्रांडेड दवा लिखवाते हैं।
- डॉ. आकाश माथुर, गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, अजमेर
ओपीडी में अल्सरेटिव कोलाइटिस के मामले बढ़े हैं। इस बीमारी को वेस्टर्न की डिजीज माना जाता था जो अब यहां भी हो रही है। टेबलेट के बजाय वेस्टर्न फूड व लाइफ स्टाइल में बदलाव मुख्य वजह है।
- डॉ. एमपी शर्मा, गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, जेएलएन अस्पताल
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