अलवर

माता रानी का 700 साल पुराना एक मंदिर ऐसा, जहां सिर्फ दो घड़ी में भक्तों मनोकामना पूरी

सातवें नवरात्र को निशान यात्रा लाकर माता को निशान चढ़ाते हैं। रात्रि जागरण होता है।

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Sep 25, 2025

थानागाजी. ब्लॉक में माता रानी का 700 साल पुराना एक मंदिर ऐसा भी हैं, जहां सिर्फ दो घड़ी में माता रानी भक्तों की मनोकामना पूरी कर आशीर्वाद प्रदान करती हैं। अलवर-जयपुर मार्ग पर घाटा बस स्टैंड से नारायपुर रोड पर करीब 4 किमी चलने पर सुरजनपुर व नीमड़ी के मध्य बाबा मौजनाथ गोशाला के समीप माता रानी का दरवाजा है। यहां से करीब 500 मीटर आगे पहाड़ पर दो घड़ियां माता रानी का भव्य मंदिर हैं। गुफा में माता रानी का दरबार सजा है। 24 घण्टे जोत जलती है। भक्त इसे दो घड़ियां माता रानी के नाम से पुकारते हैं।माता ने दो घड़ी किया था विश्राम

कहते हैं कि आकाश मार्ग से जाते समय माता रानी दो घड़ी यहां पहाड़ी पर विश्राम को रुकी तो माता रानी के तेज प्रभाव से पहाड़ की चट्टानें टूट कर गिरने लगी। इससे ग्वाले डर गए। तभी माता रानी की आकाशवाणी हुई कि डरे नहीं मैं आकाश मार्ग से जा रही थी। यहां शांत वातावरण व पहाड़ की सुंदरता देख दो घड़ी के लिए विश्राम को रुकी हूं। अब मैं यहां से जा रही हूं। यह सुनकर ग्वाले नजदीक गए तो माता रानी की सवारी देख छवि निहारते ही रह गए। माता रानी ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि इस स्थान पर आकर जो कोई भक्त ढोक लगाएगा, उसकी मनोकामना दो घड़ी में पूरी करूंगी और माता रानी वहां से प्रस्थान कर गई। बताया जाता है कि रास्ते में माता रानी कुछ क्षण के लिए रूपुकाबास में और वहां से किशोरी में अपनी ज्योत जलवाई। ग्वालों ने माता रानी का यह सब वृतांत गांव में बताया तो भक्त पहाड़ पर आकर माता रानी की ज्योत जलाई। यहां एक कमरा बनाया, जिसमें माता रानी का दरबार सजा ज्योत जलती हैं। गुफा को पक्की करा माता रानी की प्रतिमा प्रतिष्ठित करवाई गई।

नवरात्र में भक्तों का तांतानवरात्र में यहां मेले जैसा रहता हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। माता रानी को चुनरी, नारियल, प्रसाद चढ़ा मन्नत मांगते हैं। थानागाजी ही नहीं अन्य जिलों व राज्यों से श्रद्धालु बोतल व पीपियों में कुई का जल ले जाते हैं। कहा जाता है कि पेट में किसी भी प्रकार की समस्या के लिए बहुत उपयोगी है। कुई का जल कभी खराब नहीं होता। गंगाजल की तरह स्वच्छ रहता है। मन्दिर परिसर में द्वादश ज्योतिर्लिंग का मंदिर भी है, जो की भारत के नक्शे पर भी अंकित है। प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष अष्टमी को कन्या पूजन व हवन होता है।सातवें नवरात्र को निशान यात्रा लाकर माता को निशान चढ़ाते हैं। रात्रि जागरण होता है।

Updated on:
25 Sept 2025 01:07 am
Published on:
25 Sept 2025 01:04 am
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